मंत्री विजय शाह पर संज्ञान लेने वाले हाईकोर्ट के जज का ट्रांसफर, दमोह मामले पर भी की थी अहम टिप्पणी
Thursday, Oct 16, 2025-03:29 PM (IST)

भोपाल: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरन का इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया है। जस्टिस श्रीधरन मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अपने समय के दौरान विवादित मामलों में स्वत: संज्ञान लेने और सख्त आदेश जारी करने के लिए जाने जाते थे।
जस्टिस श्रीधरन ने हाल ही में दमोह जिले में ओबीसी युवक से ब्राह्मण वर्ग के व्यक्ति के पैर धुलवाने और गंदा पानी पिलाने के मामले में स्वत: संज्ञान लिया था। 14 अक्टूबर 2025 को सुनवाई के दौरान जस्टिस ने टिप्पणी की थी कि, “ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र सभी अपनी स्वतंत्र पहचान का दावा कर रहे हैं। यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो डेढ़ सदी के भीतर खुद को हिंदू कहने वाले लोग आपस में लड़कर अस्तित्वहीन हो जाएंगे।” सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस श्रीधरन को पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट भेजने की अनुशंसा की थी, लेकिन केंद्र सरकार के अनुरोध पर आदेश संशोधित कर उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया गया। इस ट्रांसफर के बाद उनकी सीनियरिटी सातवें नंबर पर रहेगी।
जस्टिस श्रीधरन ने 2016 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला था। इससे पहले वे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम के चेंबर में पांच साल कार्यरत रहे और फिर इंदौर में वकालत शुरू की। 2023 में उन्होंने स्वेच्छा से स्थानांतरण की मांग की थी, जिसके बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट भेजा गया था।
दमोह मामले में उनके सख्त रुख के कारण पुलिस ने पांच आरोपियों पर एनएसए के तहत मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया। जस्टिस श्रीधरन के अन्य प्रमुख स्वत: संज्ञानों में शामिल हैं:
- 14 मई 2025 – मंत्री विजय शाह के कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए बयान पर संज्ञान, एफआईआर के निर्देश।
- 22 सितंबर 2025 – शिवपुरी के एडिशनल सेशन जज के खिलाफ न्यायिक मर्यादा उल्लंघन पर संज्ञान।
- 14 अक्टूबर 2025 – दमोह पैर धुलवाने प्रकरण में दोषियों पर एनएसए के तहत कार्रवाई।
सख्त, निष्पक्ष और बेबाक न्यायाधीश के रूप में पहचाने जाने वाले जस्टिस श्रीधरन के आदेश कानूनी दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना के स्तर पर भी महत्वपूर्ण रहे हैं।