कंप्यूटराइज्ड हो रही सैकड़ों साल पुरानी वंशावली! नाम-गांव बताने पर पुरोहित एक क्लिक में देंगे जानकारी

9/22/2021 6:10:26 PM

उज्जैन(विशाल सिंह): उज्जैन के सिद्धवट पर यजमानी करने वाले पुरोहितों ने अब वंशावली को डिजिटाइज्ड करने का काम शुरु कर दिया है। पहले तर्पण के लिए उज्जैन पहुंचने वाले लोगों के आगे पुरोहित पलो में बही खाते में से पीढ़ियों का हिसाब सामने रख देते थे। पोथी में इंडेक्स, समाज का नाम, गांव या शहर का नाम या गोत्र बताने से ही पीढ़ी में कौन कब आया था और किसका तर्पण किया गया था ये सब चुटकियों में पता चल जाता था। लेकिन अब पुरोहित इन पोथियों की जगह कंप्यूटर और लेपटॉप पकड़े नजर आएंगे। वे सैंकड़ों साल पुराने डाटा को फोटोग्राफी कर कंप्यूटर में सेव करेंगे।

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श्राद्धों के लिए ऑनलाइन बुकिंग
मान्यता है कि श्राद्ध करने से पितरों को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। पितृ मोक्ष हेतु श्रद्धालु इन 16 दिनों की विभिन्न तिथियों में ब्राह्मण को भोजन दान, गाय दान, कौओं को भोजन कराते हैं। लेकिन कोरोना गाइडलाइन के चलते कई श्रद्धालु उज्जैन नहीं आ पा रहे हैं। उनके लिए पंडितों ने ऑनलाइन पूजा-पाठ और तर्पण की व्यवस्था की है।

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सिंगापुर से जुड़े शर्मा परिवार और असम से जुड़े सक्सेना परिवार ने सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़कर घर बैठे तर्पण किया। उज्जैन में पंडित ने ऑनलाइन मंत्र पढ़े और दूसरी ओर घर पर बैठे श्रद्धालु पूर्वजों के निमित्त पूजन पाठ करते रहे। फेसबुक के माध्यम से कई परिवारों ने ऑनलाइन तर्पण बुक कराया है। श्रद्धालु दान-दक्षिणा भी ऑनलाइन पंडित के खाते में जमा करा देते हैं।

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आपको बता दें कि, उज्जैन के रामघाट, सिद्धवट घाट में 12 पण्डे प्रमुख है जो श्राद्ध पक्ष की पूजन करवाते है जिसमे तर्पण, विष्णु पूजा, देव पूजा, ऋषिमनुष्य और पित्र तर्पण आदि की पूजन होता है। शहर में 350 ब्राह्मण परिवार हैं जो तीर्थों पर पूजा पाठ, तर्पण करवाते हैं। इनमें से करीब 70 परिवार ऐसे हैं जिनके पास सैंकड़ों साल पुरानी वंशावली सुरक्षित हैं।


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meena

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