पति को एक महीना ससुराल में रहना होगा, कोर्ट का अनोखा फैसला

2/27/2022 5:24:32 PM

ग्वालियर(अंकुर जैन): हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक बार फिर टूटते हुए परिवार को दोबारा मिलाने की कोशिश की है। पति-पत्नी के बीच चल रहे तकरार को दूर करने के लिए कोर्ट ने अनोखा फैसला सुनाया है। कोर्ट की एकल पीठ के आदेश पर अब पति को एक महीने तक ससुराल में ही रहना होगा। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ससुराल जाइए और खीर-पूड़ी खाएं। इसके पीछे न्यायालय का मानना है कि बच्चों की वजह से ही सही, लेकिन पति पत्नी फिर से साथ रहने के लिए एकमत हो जाते हैं तो यह बेहतर होगा।

दरअसल, ग्वालियर के सेवा नगर की रहने वाली महिला जिसका ससुराल मुरैना में है ने अपने दो साल के बेटे को वापस लेने के लिए हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए पूर्व में नोटिस जारी किए थे और दोनों पक्षों को सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद रहे के निर्देश दिए थे। इस निर्देश पर गत रोज याचिकाकर्ता महिला उसका पति बेटा और अन्य ससुरालीजन न्यायालय पहुंचे थे। महिला का आरोप था कि पति की प्रताड़ना से तंग आकर उसे ससुराल छोड़ना पड़ा था। उसका दो साल का बच्चा पति, सास ससुर व देवर के कब्जे में है। वह उसे वापल लेना चाहती है। महिला ने याचिका में तर्क दिया कि बच्चे का लालन-पालन मां के हाथ में अच्छा होगा। वहीं कोर्ट में जब मां ने बच्चे को गोद में लेना चाहा तो बच्चे ने मना कर दिया।

वही पति ने अपने ऊपर लगाए गए प्रताड़ना के आरोपों को खारिज किया उसने कहा कि पत्नी खुद ही ससुराल छोड़कर मायके रहने पहुंच गई है। वह अभी भी उसे साथ रखने के लिए तैयार है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट को लगा कि पति पत्नी में उतनी खटास नहीं है कि उन्हें अलग किया जाए। हाईकोर्ट ने अपने स्तर पर दोनों को एक करने के मकसद से पति को एक महीने के लिए ससुराल में रहने की सलाह दी है। अब इस मामले की सुनवाई 22 मार्च को होगी। कोर्ट ने पति को एक महीने के लिए अपने बेटे के साथ ससुराल में रहने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट के आदेश का महिला के माता-पिता ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि वह दामाद का अच्छी तरह से ख्याल रखेंगे और उसे किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने देंगे। गौरतलब है कि इससे मिलता-जुलता एक मामला पिछली तेईस फरवरी को भी सामने आया था जिसमें एक महिला को  सप्ताह के लिए अपनी ससुराल में रहने के निर्देश दिए गए थे। उस महिला ने भी अपने बच्चों को सुपुर्दगी में लेने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट की इसके पीछे मंशा सिर्फ यह है कि घरों को किसी भी तरह टूटने से बचाया जाए और यदि उनमें साथ रहने की थोड़ी भी गुंजाइश है तो उसे तलाशा जाए।


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Content Writer

meena

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