उपचुनाव में कांग्रेस ने BSP से मिला लिया होता हाथ, तो नहीं होती इतनी बड़ी हार

Wednesday, Nov 11, 2020-06:11 PM (IST)

भोपाल: मध्यप्रदेश उपचुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह से हार हुई। जिसका कारण कुछ नेताओं द्वारा ये बताया जा रहा है कि कमलनाथ औऱ दिग्विजय इसका कारण हैं, तो वहीं कुछ नेता इस बात को भी कह रहे हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण ऐसा हुआ। लेकिन यदि हम आंकणों पर नजर डालें तो असल में इस बड़ी हार का कारण कमलनाथ या सिंधिया नहीं बल्कि बसपा है। जी हां, बहुजन समाज पार्टी, जिसके चलते कांग्रेस को इतनी बड़ी हार झेलनी पड़ी है।

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कांग्रेस के लिए वोटकटवा साबित हुई BSP...
मध्यप्रदेश में ग्वालियर चंबल क्षेत्र को सिंधिया की पकड़ वाला छेत्र कहा जाता है। अब सिंधिया भाजपा में हैं, और जनता से जुड़े रहे हैं हैं। तो वहीं कांग्रेस की बड़ी कमजोरी बसपा भी थी। इस उपचुनाव में कांग्रेस भाजपा के अलावा बसपा ने भी अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। बसपा प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने से सबसे बड़ा घाटा कांग्रेस को हुआ, क्योंकि बीएसपी कांग्रेस के लिए वोट कटवा पार्टी साबित हुई है। कम से कम पांच सीटें तो ऐसी थीं, जहां कांग्रेस में हार का अंतर बसपा प्रत्याशी को मिले वोट से कम था। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अगर कांग्रेस बसपा को साथ में लेकर चली होती तो शायद परिणाम ऐसे नहीं आते। बल्कि 28 में से 14 सीटें कांग्रेस आसानी से जीत पाती।
 

विधानसभा

भाजपा प्रत्याशी को मिले वोट

कांग्रेस प्रत्याशी को मिले वोट

हार जीत का अंतर

बसपा प्रत्याशी को मिले वोट

भांडेर

रक्षा संतराम सिरोनिया- 56683

फूल सिंह बरैया- 56632

51 वोट

महेंद्र बौद्ध- 7023

जौरा

सूबेदार सिंह- 66946

पंकज उपाध्याय- 53500

13446 वोट

सोनेराम कुशवाहा- 47881

पोहरी

सुरेश धाकड़- 66001

हरिवल्लभ शुक्ला- 42435

23566 वोट

कैलाश कुशवाहा- 43747

मेहगांव

ओपीएस भदोरिया- 72043

हेमंत सत्यदेव कटारे- 60210

11833 वोट

योगेश नरवरिया-21960

मलहरा

प्रद्युमन सिंह लोधी- 67112

राम सिया भारती- 49713

13799 वोट

अखंड दादा- 20424



ये हैं वो पांच सीटें जहां BSP बनी कांग्रेस की हार का कारण...   

भांडेर- भांडेर विधानसभा से कांग्रेस के बड़े नेता फूल सिंह बरैया खड़े थे, और वे बीजेपी प्रत्याशी रक्षा सिरोनिया से महज 161 वोटों से हार गए। वहीं इस सीट पर बसपा प्रत्याशी महेंद्र बौद्ध भी खड़े थे, जिन्हें इस सीट पर 7500 वोट मिले। अब अगर इस सीट पर बसपा प्रत्याशी नहीं उतारा गया होता तो फूल सिंह बरैया के वोट नहीं बंटते और वे चुनाव आसानी से जीत जाते।  

जौरा- जौरा ऐसी विधानसभा सीट है जहां अगर यहां कांग्रेस औऱ बसपा प्रत्याशी के वोट प्रतिशत को मिला दिया जाए तो ये आंकड़ा पहुंचता है 59% पर, जो कि भाजपा को मिले वोट से 20% प्रतिशत ज्यादा है। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी पंकज उपाध्यय को 31.02% वोट, बसपा को 28% वोट तो वहीं भाजपा को 39% वोट मिले। अगर हम कांग्रेस और बसपा के वोट प्रतिशत जोड़ दें तो ये आंकड़ा 59% का हो जाता है जो बीजेपी के आंकड़ों से 20% ज्यादा है।   

पोहरी- इस विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी सुरेश धाकड़ को 39.2% वोट मिले, और ये जीत गए। अब इस सीट पर बसपा प्रत्याशी कैलाश कुशवाहा को 26% वोट मिले, तो वहीं कांग्रेस उम्मीदवार हरिवल्लभ शुक्ला को 25.02% वोट मिले। अगर कांग्रेस और बसपा उम्मीदवारों के वोट प्रतिशत जोड़ दिए जाएं तो ये होते हैं 51% जो भाजपा उम्मीदवार के वोटों से 12 प्रतिशत ज्यादा हैं। तो इस सीट पर भी कांग्रेस की हार का बड़ा कारण भाजपा नहीं बल्कि बसपा बनी।

मेहगांव- इस विधानसभा सीट पर बीजेपी नेता व मंत्री ओपीएस भदोरिया जीत गए। उन्हें इस सीट पर 45% वोट मिले। वहीं कांग्रेस के हेमंत कटारे को 37.7% वोट मिले। वहीं इस सीट पर तीसरे उम्मीदवार बसपा के योगेश नरवरिया थे जिन्हें 13.07% वोट मिले, जो कि कांग्रेस और भाजपा नेता के बीच हार के अंतर से करीब 7 प्रतिशत है। तो यहां भी कांग्रेस की हार का कारण बसपा ही बनी।

बड़ा मलहरा- इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी प्रद्युमन सिंह लोधी को 45.01% वोट मिले। तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी रामसिया भारती को 33.4% तो बसपा के अखंड दादा को 13.07% वोट मिले। अगर यहां कांग्रेस और बसपा के वोट जोड़ दिया जाएं तो ये आंकड़ा पहुंचता है 46% के पार। यानि कि यहां भी कांग्रेस की हार का कारण बसपा बनी, न की भाजपा।  
 


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Vikas Tiwari

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