मेरे बेटे को फांसी दे दो, एक मां क्यों मांग रही अपने ही बेटे की मौत? जानिए इस नफरत की वजह
10/14/2021 3:03:42 PM
छतरपुर(राजेश चौरसिया): शारदेय नवरात्रि चल रहे हैं। सारा देश मां के प्यार में रमा हुआ है। क्योंकि मां वो है जो हमेशा अपने बच्चों को दुआ देती और बच्चों की भलाई चाहती है। लेकिन छतरपुर में ऐसा क्या हुआ कि एक मां अपने ही सगे बेटे के लिए फांसी की सजा मांग रही हो और उसकी मौत की दुआएं कर रही हो। इस मां के बेटे ने आखिर ऐसा क्या किया कि वह चाह रही है कि उसके बेटे को मौत आ जाए, उसे फांसी हो जाए, हवालात-जेल हो जाए।
ये है वजह...
जिंदगी और मौत के बीच लड़ रही अस्पताल के पलंग पर लेटी यह बुजुर्ग महिला 70 वर्षीय नन्नी बाई कुशवाहा हैं महिला का यह हाल किसी और ने नहीं बल्कि इसके अपने बेटे ने किया है। बेटे ने अपनी मां पर जानलेवा हमला किया लाठी-डंडों से पीटा है और मरणासन्न हालत में मरा हुआ समझ कर छोड़कर वह जंगल की ओर भाग गया है। जानकारी के मुताबिक मामला छतरपुर जिले के ओरछा रोड थाना क्षेत्र के महेबा गांव के पास के पुरवा का है जहां की रहने वाली 65-70 भर्ती नन्नी बाई कुशवाहा पति स्व. रामदास कुशवाहा को उसके ही सगे बेटे 45 वर्षीय परसराम कुशवाहा ने लाठी-डंडों से पीट-पीटकर लहूलुहान और मरणासन्न कर दिया और ज़ब मां जब गश खा कर नीचे गिर पड़ी तो निर्दयी बेटा मरा हुआ समझकर जंगल की ओर भाग खड़ा हुआ। जानकारी मिलने पर उसकी गांव और पड़ोस में ही रहने वाली बहनें और बेटी पहुंची। वे घायल महिला को जिला अस्पताल लेकर पहुंची, जहां उसका चल रहा है।
पिता और पत्नी का हत्यारा भी है बेटा...
परिजनों ने बताया कि 45 वर्षीय परसराम बचपन से ही दिमाग से थोड़ा सनकी है और उसका इलाज चल रहा है और उसी की दवाई खाने को लेकर यह सब हुआ है। इसी सनक के चलते उसने 10 वर्ष पूर्व अपने पिता रामदास कुशवाहा की कुल्हाड़ी से हमलाकर हत्या कर चुका है और ज़ब उसकी पत्नी ने ससुर को बचाना चाहा तो उसने अपनी पत्नी को भी नहीं बख्शा और उसकी भी कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी थी। उस समय वह जेल गया था फिलहाल अभी बाहर है। पर इस बार उसने अपनी बूढ़ी मां पर जानलेवा हमला कर दिया पर गनीमत रही कि वह बच गई। पुलिस उसे गिरफ्तार कर जेल में डाल दे वरना वह इस तरह किसी पर भी हमला कर सकता है सभी को उससे अपनी जान का खतरा है।
ऐसे दिया घटना को अंजाम...
घायल नन्नी बाई कुशवाहा ने बताया कि वह बचपन से दिमाग से थोड़ा ऐसा ही है उसका इलाज चल रहा है। जब मैंने उससे दवाई खाने के लिए बोला तो उसने मना कर दिया मैंने कहा दवाइयां नहीं खाओगे तो ठीक कैसे होगे बहुत जिद करने पर भी वह नहीं माना और दवाई खाने से मना कर दिया, मुझसे खाना मांगने लगा तो मैंने कहा पहले दवाइयां खा लो फिर खाना देती हूं। पर वह नहीं माना और आव देखा ना ताव उसने लाठी उठाकर मुझ पर हमला कर दिया मैं अबला अकेली बुढ़िया उसका मुकाबला नहीं कर सकी मैं पड़ी रही और वह पीटता रहा जब बेहोश हो गई तो मुझे छोड़ कर भाग गया।
बेटे के लिए मौत की सजा मांग रही मां...
घायल मां की मानें तो अब मैं ऐसे बेटे को बर्दाश्त नहीं कर सकती जिसने मेरा सुहाग उजाड़ दिया हो। मेरी बहू को मारकर घर बर्बाद कर दिया हो। अब मुझे मार कर वह सब कुछ समाप्त कर देना चाहता है। कल को वह अपने बेटे को भी मार डालेगा, ऐसे बेटे की अब मुझे कोई चाह नहीं रही। मैं चाहती हूं कि उसे मौत आ जाए। फांसी हो जाए, वह हवालात में जेल की सलाखों में चला जाए। अब वह मेरा बेटा नहीं है ऐसे बेटे से बेहतर है बिना बेटे का बना रहना।