कमल शुक्ला मारपीट मामला: केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने गृहमंत्रालय को कार्रवाई करने के दिए निर्दश

10/1/2020 7:02:08 PM

छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला और सतीश यादव से मारपीट के मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने संज्ञान में लिया। निशंक ने मंगलवार को गृहमंत्रालय को ईमेल कर छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकारों से मारपीट मामले में त्वरित कार्रवाई करने को कहा है। पोखरियाल ने ईमेल के जरिए गृहसचिव अजय कुमार भल्ला को संबोधित करते हुए कहा है कि इस संबंध में हुई कार्रवाई से उन्हें भी यथाशीध्र अवगत कराया जाए। शिक्षा मंत्री ने गृह सचिव को यह ईमेल ‘जन विकल्प’ नामक गूगल ग्रुप में बुद्धिजीवियों व पत्रकारों द्वारा इस मामले पर कार्रवाई की मांग का संज्ञान लेते हुए किया है।



बता दें छत्तीसगढ़ में गत 27 सितंबर को कुछ लोगों ने पत्रकार कमल शुक्ला और सतीश यादव के साथ मारपीट की। पुलिस थाने के बाहर जब उनकी पिटाई की जा रही थी उस वक्त स्थानीय पुलिस भी वहां मौजूद थी। ये घटना कांकेर में उस वक्त की है जब कमल शुक्ला पहले से ही कांग्रेस पार्टी के पार्षदों और दबंगों द्वारा पीटे गए एक अन्य पत्रकार से मिलने कोतवाली थाना पहुंचे थे। आरोप है कि ये हमला कांग्रेस से जुड़े नेताओं ने किया था।



गौरतलब है कि कमल शुक्ला के नेतृत्व में ही छत्तीसगढ़ की पिछली सरकार के कार्यकाल में पत्रकार सुरक्षा क़ानून को लेकर कई आंदोलन हुए थे। सत्ता में आने के बाद राज्य के सीएम भूपेश बघेल ने दिसंबर 2018 में पत्रकार सुरक्षा क़ानून लागू करने का वादा किया था। राज्य में पत्रकार सुरक्षा क़ानून तो लागू नहीं हुआ, लेकिन इसके विपरीत सुरक्षा क़ानून के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले पत्रकार पर ही शनिवार को थाने के ठीक सामने हमला हुआ।



वहीं इस मामले को लेकर घायल कमल शुक्ला का कहना है कि उनके उपर हमला छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जानकारी में हुआ है, क्योंकि उनके राजनीतिक सलाहकार व मंत्री का दर्जा प्राप्त कांग्रेस नेता राजेश तिवारी का एक ऑडियो उनके पास आया है, जिसमें वे कांकेर कलेक्टर व एसपी को बोल रहे हैं कि दो घंटा तक किसी का फोन नहीं उठाना है। साथ ही थाना में भी मात्र 10 पुलिस को ही रखा गया था, ताकि उनकी हत्या हो जाए। क्योंकि मार पीट के इस मामले में कांग्रेस नेताओं का नाम आ रहा है इसलिए भाजपा कोई ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री द्वारा गृहमंत्रालय को लिखे गए ईमेल में यह राजनीतिक कोण शामिल किया गया है।

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