कमलनाथ सरकार का अजीबो-गरीब तर्क, कॉलेज सिलेबस से हटाई कारगिल युद्ध की शौर्यगाथा

7/16/2019 3:28:51 PM

भोपाल: कारगिल युद्ध भारतीय सेना के अदम्य साहस और शौर्य प्रतीक है। यही कारण है कि कारगिल युद्ध की चर्चा देश में सभी जगह बल्कि छात्रों की पुस्तकों में भी की गई है। लेकिन मध्यप्रदेश सरकार बदलते पाठ्यक्रम के साथ इससे जुड़े अध्याय को भी बदल रही है। आपको बता दें कमलनाथ सरकार ने कॉलेज सिलेबस से कारगिल युद्ध से जुड़े अध्याय को हटा दिया है और अब जो इस पीछे तर्क दिए जा रहे हैं वह समझ से परे हैं।


 

दरअसल भोपाल के सबसे पुराने MVM साइंस कॉलेज के सिलेबस में बदलाव किया गया है। सरकार के द्वारा वर्ष 2019-20 के पाठ्यक्रम से कारगिल युद्ध का अध्याय हटा दिया गया है। जबकि 2017-18 के सेशन तक यह सिलेबस में शामिल था। कॉलेज ने इस वर्ष 15 से 20 लोगों का दल रिव्यू के लिए बनाया था। जिसके बाद इस दल ने कोर्स में बदलाव कर दिया और इसके बाद जो तर्क दिए जा रहे हैं वो समझ से परे हैं। टीम का कहना है कि कारगिल युद्ध की किताबें ना मिलने के कारण इसे कोर्स से हटाया गया है। करगिल युद्ध पर अच्छे लेखकों की किताबें नहीं मिल पाई हैं। वहीं छात्रों के पाठ्यक्रम से कारगिल युद्ध हटाने के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। भाजपा का कहना है कि यह सब कांग्रेस के इशारे पर किया जा रहा है। क्योंकि प्रदेश की कमलनाथ सरकार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में हुए इस युद्ध की वीर गाथा छात्रों को बताना नहीं चाह रही है।



कब हुआ था कारगिल युद्ध?
26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी। तब से इसी दिन वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। करीब दो महीने तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर सभी देशवासियों को गर्व होना चाहिए। करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में देश ने करीब 527 से ज्यादा वीर जवानों को खोया था, वहीं 1300 से अधिक जवान घायल हुए थे।

Vikas kumar

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