शहीद संतराम मीणा पंचतत्व में विलीन, 8 महीने के बेटे को गोद में लेकर पत्नी ने दी अंतिम विदाई

5/15/2022 1:40:47 PM

श्योपुर(जेपी शर्मा): गुना में शिकारियों के हमले में बलिदानी आरक्षक संतराम मीणा का शव पूरे सम्मान के साथ उनके वीरपुर के गोहर गांव में लाया गया। यहां अपने गांव के वीर सपूत को श्रद्धांजलि देने के लिए पहले से ही पूरा गांव जमा था। जब शव पहुंचा तो गांव में जिला प्रशासन, पुलिस एवं वन विभाग के भी तमाम अधिकारी मौजूद थे। इसके बाद पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गई। बलिदानी काे उनके 8 माह के बेटे ने मुखाग्नि दी। इस अवसर पर पुलिस जवानों द्वारा गार्ड आफ आनर दिया गया। राष्ट्रीय ध्वज में लिपटी बलदानी स्व. संतराम मीणा की पार्थिव देह पर उनकी पत्नि वर्षा रावत ने श्रद्धासुमन अर्पित कर अपने वीर बलिदानी पति को अंतिम विदाई दी।

गौरतलब है कि संतराम एक दिन पहले ही गुना अपनी ड्यूटी पर पहुंचे थे और गश्त के दौरान उनका सामना शिकारियों से हो गया और उनके हमले में बलिदान हो गए। स्वजनों का कहना था कि ऐसा पता होता तो उसे एक दिन और रोक लेते। जब संतराम का शव गोहर गांव में पहुंचा तो स्वजन फफक-फफक कर रो पड़े। इस दौरान श्योपुर मुख्यालय से पुलिस के अफसर भी संतराम के घर पर पहुंच गए थे और उन्होंने स्वजनों को ढांढस बंधाया। संतराम का अंतिम संस्कार उनके गांव गोहर में किया गया। संतराम मीणा के पिता श्रीनिवास मीणा किसान हैं और वे पांच भाई व एक बहन हैं। संतराम के दो भाई आर्मी में हैं और एक शिक्षक हैं।


संतराम को पुलिस में भर्ती हुए अभी 8 साल ही हुए हैं। 2014 में संतराम पुलिस में भर्ती हुआ था और दो साल पहले ही संतराम की शादी हुई है। संतराम के 8 माह का बेटा भी है। जिसे यह नहीं मालूम कि दो दिन पहले उसे गोद में खिलाने वाला पिता अब शहीद हो गया है। संतराम मीणा के शिकारियों के हमले में शहीद होने की खबर जैसे ही गोहर गांव में पहुंची तो पूरे गांव में ही शोक लहर फैल गई। स्वजनों का भी रो रोकर बुरा हाल था। गांव व आसपास के लोग संतराम के घर पर सूचना मिलने के बाद ही एकत्रित होना शुरू हो गए।



शाम को करीब 4 बजे गुना से संतराम की पार्थिव देह उनके पैतृक गोहर गांव में पहुंची। घटना की सूचना मिलते ही जिला मुख्यालय से पुलिस अफसर गोहर गांव पहुंचे। शहीद के स्वजनों से मिलने श्योपुर के एएसपी पीएल कौरव सहित इनमें वीरपुर थाना प्रभारी व एसडीओपी पहुंचे। सभी अफसर उन्हें ढांढस बंधा रहे थे।

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