मोदी सरकार ने दिया सवर्णों को 10% आरक्षण, सियासत शुरू

1/7/2019 6:19:06 PM

भोपाल: लोकसभा चुनाव से चंद महीने पहले मोदी सरकार ने बड़ा दांव चलते हुए आर्थिक रुप से पिछड़े सर्वणों को आरक्षण देने का फैसला किया है। सरकार के फैसले के मुताबिक गरीब सवर्णों को नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की जाएगी। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद से देश में राजनीति भी शुरू हो गई है। मध्यप्रदेश के आदिम जाति कल्याण मंत्री ओंकार सिंह ने कहा है कि आरक्षण के नाम पर समाज और जातियों को बांटने की कोशिश की जा रही है। तो वहीं कांग्रेस के एक अन्य विधि मंत्री पीसी शर्मा ने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। 
 

 



राकेश सिंह ने किया कांग्रेस का पलटवार

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि 'प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र ने एक एतिहासिक फैसला किया है। आर्थिक आधार पर सवर्णों को भी 10 % आरक्षण देकर सरकारी नौकरियों में जगह मिले इसका प्रावधान किया है। यह अपने आप में एक एतिहासिक फैसला है। सरकार ने पहले से ही यह निर्णय किया था 'सबका साथ सबका विकास' और उसी रास्ते पर समाज के सभी वर्गों को स्थान मिले इस दिशा में ये सरकार काम करती आई है।' कांग्रेस के आरोप लगाने के सवालों पर राकेश सिंह ने कहा कि, 'आरोप तो कभी भी कोई भी लगा सकता है। मोदी सरकार के इस फैसले से पूरे देश में जो स्वीकार्यता आई है। इसीलिए कांग्रेस भयभीत है। आज पूरा देश मोदी के लिए आभार प्रकट कर रहा है। मध्यप्रदेश की सात करोड़ जनता भी पीएम मोदी के इस कदम के लिए आभार प्रकट कर रही है।   



 

 


शिवराज ने क्या कहा ?

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवारज सिंह ने कहा कि 'बीजेपी के सबका साथ, सबका विकास के मूल मंत्र पर आगे बढ़ते हुए आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10% आरक्षण प्रदान करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कैबिनेट के ऐतिहासिक निर्णय का अभिनंदन करता हूं। इससे निश्चित रूप से लंबे समय से लाभ से वंचित रहे सवर्णों को न्याय मिलेगा।' उन्होंने कहा कि ' इस क्रांतिकारी पहल से आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा। इस फैसले को लागू करने के लिए संकल्पित हैं। समाज के हर वर्ग का उत्थान व नये भारत का निर्माण ही हमारा ध्येय है। देशवासियों की ओर से मैं आदरणीय प्रधानमंत्री का फिर से आभार व्यक्त करता हूं।'

 

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सवर्णों के आरक्षण के लिए संविधान में संसोधन करना होगा

मोदी सरकार सवर्ण आरक्षण आर्थिक आधार पर ला रही है, जिसकी अभी संविधान में व्यवस्था नहीं है। इसलिए सरकार को आरक्षण लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना ही होगा। संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव किया जाएगा। दोनों अनुच्छेद में बदलाव कर आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का रास्ता साफ हो पाएगा। 


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पहले भी किया जा चुका है सवर्णों को 10% आरक्षण का प्रावधान

1991 में पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने भी आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया था और 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की थी। हालांकि 1992 में कोर्ट ने उसे निरस्त कर दिया था।


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ये सवर्ण आएंगे आरक्षण के दायरे में 

  • आठ लाख से कम आमदनी हो
  • कृषि भूमि 5 हेक्टेयर से कम हो
  • घर है तो 1000 स्क्वायर फीट से कम हो
  • निगम में आवासीय प्लॉट है तो 109 यार्ड से कम जमीन हो
  • निगम से बाहर प्लॉट है तो 209 यार्ड से कम जमीन हो
     

बता दें कि वर्तमान समय में देश में 49.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है। इसमें अनुसूचित जाति के लिए 15 फीसदी, अनुसूचित जन जाति के 7.5 फीसदी और ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है। आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े ऐसे गरीब लोगों को दिया जाएगा जिन्हें अभी आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है। 


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Vikas kumar

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