MP विधानसभा सत्र आज, अध्यक्ष के लिए NP प्रजापति का नाम तय

1/7/2019 11:15:02 AM

भोपाल: मध्यप्रदेश में सोमवार से 15वीं विधानसभा का पहला सत्र शुरु हो रहा है। यह कांग्रेस की वास्तव में अग्नि परीक्षा है, क्योंकि कांग्रेस को सदन में बहुमत पेश करना होगा। इसको लेकर कांग्रेस में देर रात तक बैठक चली। बैठक में कमलनाथ ने अपने 114 विधायकों को भोपाल में रविवार को ही एकत्रित कर ताकत दिखाई। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष के लिए एनपी प्रजापति का नाम तय हुआ है। 


 

भाजपा विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ती है तो पहले नंबर पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरण शर्मा का नाम होगा। इसके अलावा पार्टी वरिष्ठ विधायक केदारनाथ शुक्ला, राजेंद्र शुक्ला को भी सामने ला सकती है। माना जा रहा है अगर बीजेपी अपनी विस अध्यक्ष के लिए दावेदारी पेश करती है तो उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देने की परंपरा को तोड़कर कांग्रेस चुनाव करवा सकती है। विधानसभा अध्यक्ष के लिए भाजपा के प्रत्याशी उतारने पर कांग्रेस भी उपाध्यक्ष को लेकर रणनीति बना रही है। निर्विरोध अध्यक्ष नहीं बनने की स्थिति में कांग्रेस विधानसभा उपाध्यक्ष का विपक्ष को दिया जाने वाला पद अपने या अपने सहयोगी दल या निर्दलीय विधायकों को दे सकती है। उपाध्यक्ष के लिए कांग्रेस अपने असंतुष्ट वरिष्ठ नेताओं को प्रत्याशी बनाकर उनकी नाराजगी को कम कर सकती है।

 




ऐसे चुना जाता है विधानसभा स्पीकर

जब भी किसी प्रदेश में चुनाव होते हैं और नई सरकार बनती है तो विधानसभा में सबसे पहला काम होता है अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन। आमतौर पर सत्ताधारी पार्टी या गठबंधन का कोई विधायक ही स्पीकर होता है। सबसे वरिष्ठ सदस्य को स्पीकर चुना जाता है और ध्वनिमत से विधायक अपनी स्वीकृति देते हैं। स्पीकर का काम विधानसभा की कार्रवाई को संचालित करना है। वह संविधान के नियमों के मुताबिक सदन संचालित करता है। जब स्पीकर मौजूद नहीं होता है तो उपाध्यक्ष सदन संचालित करता है। सभी सदस्य स्पीकर का सम्मान करते हैं और उनकी हर बात ध्यान से सुनते हैं। स्पीकर अगली सरकार के बनने तक इस पद पर रहता है। स्पीकर को पद से हटाने के लिए सदन में प्रस्ताव लाना होता है। इसके लिए 14 दिन पूर्व ही नोटिस दिए जाने का नियम है।





विधायकों को शपथ दिलाएंगें प्रोटेम स्पीकर

पंद्रहवीं विधानसभा के पहले सत्र में पहले दिन प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे। एक-एक कर विधायकों की शपथ होगी और आठ जनवरी को पूर्वान्ह तक शपथ चलने की संभावना है। शपथ के बाद विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा और फिर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का अभिभाषण होगा और इस पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पेश किया जाएगा।



कांग्रेस को सता रहा हॉर्स ट्रेडिंग का खतरा
15 साल सत्ता का वनवास काटकर सरकार बनाने के बाद भी कांग्रेस को हार्स ट्रेंडिंग का डर सता रहा है। कांग्रेस को आशंका है कि बीजेपी कर्नाटक की तरह मध्यप्रदेश में कांग्रेस और उसे समर्थन करने वाले निर्दलीय विधायकों को अपने साथ ना ले ले। दरअसल मंत्रीमंडल बनने के बाद से कांग्रेस में असंतुष्ट विधायकों ने नाराजगी जाहिर की थी। ऐसे में नई सरकार का पहला विधानसभा सत्र 7 जनवरी से होना है । दिग्विजय सिंह इस बात की आशंका जाहिर कर चुके हैं। हालांकि सीएम कमलनाथ का कहना है कि विरोधी दल कितनी भी कोशिश कर लें। मध्यप्रदेश के विधायक समझदार है उन्हें पता है कि क्या सही है। 

 

Vikas kumar

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