कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का खर्चा उठाएगी शिवराज सरकार, विवेक तन्खा बोले- वापसी का नहीं, बसाने का सोचिए

3/28/2022 6:24:12 PM

भोपाल(प्रतुल पाराशर): मध्य प्रदेश में रहने वाले कश्मीरी पंडितों को शिवराज सरकार ने एक बड़ा ऑफर दिया है। इस मामले पर प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मजबूरीवश कश्मीर छोड़कर रह रहे पंडित परिवार यदि फिर से कश्मीर जाकर बसना चाहते हैं तो शिवराज सरकार उनकी मदद करेगी। पंडितों की घर वापसी का सारा खर्च सरकार उठाएगी। वहीं मामले को लेकर राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडित इतने सक्षम है कि वे अपने परिवहन का खर्चा खुद उठा सके लेकिन मुख्य समस्या तो वहां 

कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने उठाए थे सवाल...फिल्म द कश्मीर फाइल्स पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने कहा था कि मुझे फ़िल्म देखने की जरूरत नहीं है, मैंने कश्मीरी पंडितों का दर्द खुद देखा है। 32 साल पहले कश्मीर में क्या हुआ मुझे पता है। पीड़ित कश्मीरी पंडित 32 साल से न्याय मांग रहे हैं, लेकिन न्याय नहीं मिला। बड़ा सवाल यह है कि पीड़ितों को न्याय मिलेगा भी कैसे? उनके पुनर्वास के इंतजाम क्या हैं? विवेक तन्खा के इन्हीं सवालों के जवाब में नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि द कश्मीर फाइल्स फिल्म नहीं देखने की बात कहने वाले कांग्रेस ‌सांसद विवेक तन्खा जी से मेरा निवेदन है कि वो मध्य प्रदेश में रह रहे उन  कश्मीरी पंडितों की सूची उपलब्ध करा दें जो वापस जाना चाहते हैं।

अब गृहमंत्री का बयान सामने आने के बाद राज्यसभा सांसद तन्खा ने फिर से सवाल उठाए हैं। उन्होंने गृहमंत्री के प्रस्ताव का स्वागत किया, साथ ही कहा कि कश्मीरी पंडितों को परिवहन व्यवस्था की जरूरत नहीं बल्कि सुरक्षा और पुनर्वास की नीति चाहिए। उन्होंने कहा, 'अभी मैंने नरोत्तम जी का कश्मीरी पंडितों के विषय में बयान सुना। वैसे तो मैं उनके बयान का स्वागत करता हूं क्योंकि उन्होंने कहा है कि वे कश्मीरी पंडितों को वापस ले जाने की पूरी व्यवस्था करेंगे। पर मैं अपने भाई से बोलना चाहता हूं कि समस्या वापस जाने की नहीं है।

कश्मीरी पंडित सक्षम हैं, वापस तो वे खुद जा सकते हैं। उनकी मुख्य समस्या तो वापस जाकर उनके सामने आने वाली परेशानियों की है। समस्या है उनकी सम्पत्ति की, जो चली गई है, वो उनको कैसे वापस मिलेगी या कैसे उसका मुआवजा मिलेगा। समस्या है, वहां जाकर वो करेंगे क्या, उनकी नौकरियों की। समस्या है, जब वो पहुंचेंगे तो क्या शासन में उनको स्थान मिलेगा। समस्या है उनके जो तमाम मंदिर हैं अन्य स्थान हैं उनकी देखरेख कौन करेगा। उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर कौन रहेगा, कौन उनकी सुरक्षा करेगा?

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