राम मंदिर निर्माण के लिए वृद्ध महिला ने 1992 से नहीं खाया अन्न, सरयू नदी के किनारे तोड़ेंगी अपना संकल्प

8/2/2020 4:38:17 PM

जबलपुर: अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो इसके लिए सदियों से संघर्ष चला, सड़क से लेकर अदालत तक लड़ाईयां लड़ी गईं और आखिरकार देश के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भव्य राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत होने जा रही है। भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण के लिए लाखों लोगों ने सहभागिता दी। जिनमें कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने मन ही मन राम मंदिर निर्माण का संकल्प ले लिया, और तपस्या की। उनमें से एक हैं जबलपुर की उर्मिला चतुर्वेदी, जो पिछले 28 सालों से लगातार अन्न त्यागकर व्रत कर रही हैं।



81 साल की उर्मिला चतुर्वेदी आज भले ही उम्र के इस पड़ाव में आकर कमजोर नजर आ रही हैं। लेकिन इनका संकल्प बेहद मजबूत है। पिछले 28 सालों से केवल इसलिए उपवास किया क्योंकि वे अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनते हुए देखना चाहती थीं। सन् 1992 में जब कारसेवकों ने राम जन्मभूमि पर बने बाबरी मस्जिद के ढ़ांचे को गिराया और वहां खूनी संघर्ष हुआ, तब उन्होंने संकल्प लिया था, कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम शुरू न हो जाए तब तक वह अनाज ग्रहण नहीं करेंगी। राजनीतिक इच्छाशक्ति से इतर उर्मिला चतुर्वेदी का संकल्प इतना मजबूत था कि उन्होंने 1992 के बाद खाना नहीं खाया और सिर्फ फलाहार से ही जिंदा रहीं। वे पिछले 28 सालों से इंतजार कर रही थी कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो।



जबलपुर के विजय नगर इलाके की रहने वाली उर्मिला चतुर्वेदी की उम्र तकरीबन 81 साल है। विवादित ढ़ांचा टूटने के दौरान देश में दंगे हुए खून खराबा हुआ, हिंदू-मुस्लिम भाईयों ने एक दूसरे का खून बहाया तो ये सब नजारा देखकर उर्मिला चतुर्वेदी बेहद दुखी हुईं और उस दिन उन्होंने संकल्प ले लिया कि अब वह अनाज तभी खाएंगी, जब देश में भाईचारे के साथ अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। सालों की तपस्या के बाद आज जब उर्मिला चतुर्वेदी का सपना साकार हो रहा है, तो वह बेहद अभिभूत हैं। वे लगातार अपने परिजनों से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ज़िद कर रही हैं। लेकिन उनके परिवार जन कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन का हवाला देकर उन्हें बाद में अयोध्या ले जाने का आश्वासन दे रहे हैं। उम्र दराज राम भक्त उर्मिला चतुर्वेदी का कहना है कि भूमि पूजन के कार्यक्रम में वे भले ही भौतिक रूप से नहीं पहुंच पा रही हैं लेकिन मन से उनकी मौजूदगी वहीं रहेगी। अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए लगातार कई सालों तक अन्न त्यागने वाली उर्मिला चतुर्वेदी की दिली इच्छा है कि अयोध्या में उनके लिए भी कोई ऐसी जगह निश्चित हो जिससे उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की शरण में रहने का अवसर मिले।



81 साल की उर्मिला चतुर्वेदी अपना बचा हुआ जीवन भगवान राम की शरण में ही बिताना चाहती हैं। उर्मिला चतुर्वेदी की इस साधना और तपस्या में परिवार जनों ने भी भरपूर सहयोग किया। सालों की तपस्या के बाद अब जब इस वृद्ध राम भक्त उर्मिला चतुर्वेदी का सपना साकार हो रहा है तो उनके परिजन भी खासे उत्साहित तो हैं ही, साथ ही वे चाहते हैं कि अब जल्द से जल्द वे अनाज ग्रहण करना शुरू कर दें। बीते साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, तो उर्मिला चतुर्वेदी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने भगवान राम को साष्टांग प्रणाम किया। उर्मिला का कहना है कि 28 साल के लंबे संघर्ष के बाद उन्हें सफलता मिल गई। इन 28 सालों में उन्हें कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ा, अनाज का त्याग करने से वह अपने रिश्तेदार और समाज से भी दूर हो गईं। लोगों ने कई बार उन पर उपवास खत्म करने का भी दबाव बनाया। लेकिन बहुत सारे लोग ऐसे भी थे कि जिन्होंने उनके आत्मविश्वास और साधना की तारीफ भी की और उन्हें कई बार सार्वजनिक मंच से सम्मानित किया गया। अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद से अब उर्मिला चतुर्वेदी का पूरा दिन उससे जुड़ी जानकारियां और खबरों को देखने में ही बीत रहा है। दिनभर पूजा-पाठ में व्यस्त रहने वाली उर्मिला चतुर्वेदी को जब भी समय मिलता है तो वे टेलीविजन पर राम मंदिर के निर्माण से जुड़ी खबरों को देखने में ही जुटी रहती हैं। उर्मिला चतुर्वेदी के परिजन उन्हें अयोध्या ले जाकर सरयू किनारे उनका संकल्प तुड़वाने की योजना बना रहे हैं।

Vikas kumar

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