'आरोपी ही नहीं, दोषी भी है तो भी घर नहीं गिराया जा सकता' बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
Monday, Sep 02, 2024-03:31 PM (IST)
भोपाल : भाजपा शासित प्रदेशों में लगातार हो रही बुलडोजर कार्रवाई को लेकर बवाल जारी है। अब बुलडोजर कार्रवाई का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मामला हाल ही में मध्य प्रदेश के छतरपुर में हुई कार्रवाई से जुड़ा है। मुस्लिम संगठन जमीयत-उलेमा-ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। याचिका में बुलडोजर कार्रवाई को गलत बताते हुए भाजपा शासित राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार को पार्टी बनाया गया है। तीनों राज्य की सरकारों पर अल्पसंख्यकों को परेशान करने का आरोप लगाया है। याचिका पर जस्टिस विश्वनाथन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने सुनवाई की और कहा कि अगर कोई सिर्फ आरोपी है तो प्रॉपर्टी गिराने की कार्रवाई कैसे की जा सकती है? उन्होंने कहा कि अगर कोई दोषी भी हो, तब भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें पेश कीं। मेहता ने कहा कि जो कार्रवाई की गई है, वह म्युनिसिपल कानून के अनुसार ही की गई है। उन्होंने बताया कि अवैध कब्जे के मामलों में म्युनिसिपल संस्थाओं द्वारा नोटिस देने के बाद ही कार्रवाई की गई है। जस्टिस विश्वनाथन ने सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है। अदालत ने नोटिस, कार्रवाई और अन्य आरोपों पर सरकार को उत्तर देने के निर्देश दिए हैं।
जस्टिस विश्वनाथन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा कि अगर कोई सिर्फ आरोपी है तो प्रॉपर्टी गिराने की कार्रवाई कैसे की जा सकती है? अगर कोई दोषी भी हो, तब भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती है।"
क्या है छतरपुर बुलडोजर कार्रवाई मामला
बता दें कि छतरपुर कोतवाली पर पथराव के मुख्य आरोपी शहजाद अली पर बुलडोजर कार्रवाई की गई। जिसके आलीशान बंगले को जमींदोज कर दिया गया है। इतना ही नहीं इस कार्रवाई के दौरान वहां खड़ी गाड़ियों को भी बुलडोजर से तहस नहस कर दिया गया। इसी कार्रवाई के बाद पूरे देश में सियासी पारा चढ़ गया था। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं से लेकर दिल्ली हाईकमान ने भी बीजेपी सरकार पर हमला बोला था।