मजाक बनकर रह गई PM फसल बीमा योजना, किसी किसान के खाते आए 5 तो किसी को मिले 2 रुपए (Video)

10/5/2020 6:53:03 PM

बालाघाट (हरीश लिल्हारे): किसानों को लेकर जब सरकारें बड़े बड़े वादे करती हैं तो ये वादे कम मजाक ज्यादा लगते हैं। हर बार किसानों के कल्याण की बात कही जाती है, लेकिन होती है सिर्फ दुर्गती। कुछ ही दिनों पहले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के खाते में बीमा राशी डलवाई, जिसे देखकर किसान तो चौंके ही आम आदमी भी चौंक गए, क्योंकि किसी किसान को 4 रुपए का मुआवजा मिला था तो किसी को 10 रुपए। ये बात किसान भूले भी नहीं थे कि अब प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत मिलने वाली राशी भी उनके खाते में आ गई। ये राशी भी किसानों के लिए दुखदाई ही साबित हुई, क्योंकि प्रधानमंत्री बीमा राशी भी कई किसानों के खाते में 2 रुपए, 5 रुपए, 10 रुपए तो किसी किसान के खाते में 20 रुपए आई। खुद के साथ हुए इस मजाक के बाद किसान अब ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।  



वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के लिए बड़े बड़े बयान देते सुने जाते हैं। लेकिन पीएम मोदी को बालाघाट के किसानों की ये तस्वीर भी देखनी चाहिए। जहां किसानों को राहत देने के नाम पर छल किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के सर्वाधिक धान उत्पादन वाले बालाघाट जिले के किसान इन दिनों खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। जिले में सैकड़ों किसान ऐसे हैं। जिन्हें हजारों लाखों के नुकसान और फसल बर्बाद होने के एवज में एक दो या पांच या फिर 6 रुपए ही मिले। इतने रुपए तो शायद किसान अपने खर्च काट कर ही बचा लेता। जब केंद्र की मोदी सरकार ने इतनी भारी रकम किसानों के खाते में पहुंचाई तो किसानों में भी आक्रोश पनपने लगा है। किसानों का मानना है कि रकबे के हिसाब से सैकड़ों हजारो रुपये बीमा के नाम पर उनके खाते से प्रीमियम राशि काटी जाती है। लेकिन जब बीमा देने की बारी आई तो उनके खाते में महज एक दो रुपए ही डाले गए। किसान इसे खुद के साथ हुए भद्दा मजाक मान रहे हैं।

बालाघाट जिले के कई गांव के किसानों को पहली बार प्रधानमंत्री फसल बीमा की राशि नशीब हुई है। लेकिन पहली बार में ही वे जान गए कि सरकार किसानों को लेकर कितना गंभीर है। वहीं कुछ किसान तो अभी भी ऐसे हैं। जिनकी पिछले कई वर्षो से प्रधानमंत्री फसल बीमा के नाम पर सोसाइटियों द्वारा करोड़ों रूपये काट लिए गए। लेकिन फसल बीमा से राशी नहीं मिली। प्रधानमंत्री फसल बीमा के मामले में जहां किसान नाराज हैं। तो वहीं वे अब खुदको फसल बीमा के नाम पर ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। किसानों का मानना है कि बीमा के नाम पर बीमा कंपनी औऱ सरकारें तो मालामाल हो गईं, लेकिन किसान कंगाल हो गया।



वैसे तो चाहे केंद्र की मोदी सरकार हो या प्रदेश की शिवराज सरकार, किसानों को लेकर दोनों ही बड़ी-बड़ी बातें करते दिखाई देते हैं। लेकिन असल में किसानों के लिए सरकारें कितनी गंभीर हैं। वो ये तस्वीर देखकर बिल्कुल साफ हो जाता है। पीएम मोदी को ये बात समझनी चाहिए कि साहब अब तो 4 रुपए में पार्लेजी भी नहीं आता है। तो किसान इतने पैसों में खाएगा क्या और बचाएगा क्या? कदम-कदम पर मुसीबत का सामना करने वाले अन्नदाता को जब शासन से राहत और उचित मुआवजे के तौर पर बीमा की राशी की आवश्यकता है, तो चंद रुपये देकर किसानों के साथ भद्दा मजाक किया जा रहा है। पहले प्रदेश की शिवराज सरकार ने महज 4, 5 रुपए देकर किसान के साथ मजाक किया, लेकिन इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा भी दोबारा इससे भी बड़ा मजाक किया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकारें सिर्फ किसानों के साथ मजाक करने के लिए हैं?

Vikas Tiwari

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