नगर भ्रमण पर निकले राजाधिराज, पालकी में सवार श्री चन्द्रमौलीश्वर ने दिये भक्तों को दर्शन

11/15/2021 6:42:38 PM

उज्जैन(विशाल सिंह): महाकालेश्वर मंदिर में कार्तिक माह के दूसरे सोमवार देव प्रबोधिनी एकादशी के शुभ दिवस भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी सम्पूर्ण वैभव व परंपरा के साथ सायं 04 बजे सभामंडप में कोटतीर्थ कुण्ड के पवित्र जल से अभिषेक एवं पूजन के उपरान्त नगर भ्रमण पर निकली। भगवान के नगर भ्रमण पर निकलने के पूर्व परिसर स्थित सभामण्डप में श्री महाकालेश्‍वर मंदिर के मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा ने भगवान चन्द्रमौलीश्वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन किया गया।



उसके पश्चात महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के महाकालेश्‍वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड ने भगवान चंद्रमौलीश्वर का पूजन किया।बाबा महाकाल के जयकारों के साथ सभी ने पालकी में विराजित चन्द्रमौलीश्वर को नगर भ्रमण की ओर रवाना किया। जैसे ही पालकी मुख्य द्वार पर पहुंची होमगार्ड, पुलिस एवं एस.ए.एफ. के जवानों द्वारा भगवान को सलामी दी गई। सवारी में श्री चन्द्रमौलीश्वर पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले। सवारी निकलने के पूर्व सभा मण्‍डप में पूजन के दौरान पुलिस बैंड के साथ श्री महाकालेश्‍वर मंदिर के मुख्‍य द्वार पर सुन्‍दर भजनों की प्रस्‍तुति दी गई।

भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर की पालकी श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार से बडा गणेश मंदिर के सामने उज्जैन स्थित सप्‍त सागरों में से एक रूद्रसागर से, हरसिद्धि मंदिर के समीप से नृसिंह घाट रोड पर सिद्धआश्रम के सामने से निकल कर क्षिप्रातट रामघाट पहुंची। रामघाट पर मां क्षिप्रा के जल से बाबा श्री चन्द्रमौलीश्वर के अभिषेक-पूजन  किया गया। 

अभिषेक पश्चात सवारी रामानुजकोट, हरसिद्धी पाल से हरसिद्धी मंदिर के सामने पहुंची। भगवान शिव की प्राण वल्लभा सती की कोहनी गिरने से यह शक्तिपीठ मां हरसिद्धी के नाम से विश्वप्रसिद्ध हैं। नगर भ्रमण के दौरान बाबा श्री महाकाल की आरती मां हरसिद्धी प्रतिनिधियों द्वारा की गई। यहां शक्ति एवं सर्वशक्तिमान के मिलन का विहंगम दृश्य देखते ही बन रहा था। आरती के पश्चात सवारी बडा गणेश मंदिर के सामने से होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण में वापस आई। जहां सभामण्डप में पुन: पूजन के बाद सवारी का विश्राम हुआ।



राजसी ठाट-बाट से सुसज्जित सवारी निकासी के समय के उद्घोषक, तोपची भगवान श्री महाकाल का ध्वज, अश्वारोही दल, विशेष सशस्त्र बल, पुलिस बैण्ड, नगर सेना, महाकाल के पुजारी-पुरोहित, ढोलवादक, झांझवादक, चोपदार, चांदी की झाडुवाहक, अन्य आवश्यक व्यवस्था में लगने वाले अधिकारी-कर्मचारी सीमित संख्या में उपस्थित थें।


 

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