सरकारी अधिकारियों का बड़ा खेल !, 500 करोड़ की कॉलोनी के लिए खेतों पर बना दी सड़क

10/12/2020 5:14:09 PM

जबलपुर(विवेक तिवारी): 500 करोड़ की कॉलोनी बनाने के लिए एक एम एच रेसिडेंसी ने 100 करोड़ रुपए खर्च कर दिए 100 करोड़ रुपए में उसने बाबू से लेकर जिले के बड़े बड़े अधिकारियों को मानो खरीद ही लिया हम यह इसलिए यह कह रहे हैं क्योंकि यहां पर नियमों की धज्जियां उड़ा दी गई कानून नाम की तो यहां कोई चीज ही नजर नहीं आई। जो कागज होते हैं वह तो मानो बेमानी साबित हो रहे हैं हम जिस स्टोरी का आज खुलासा करने जा रहे हैं, वह बेहद चौंकाने वाली है कछपुरा ने एमएच रेसिडेंसी  नाम की 11 एकड़ कॉलोनी विकसित हो रही है। यहां से आप लक्ष्मीपुर इलाके से हो कर जा सकते हैं। आसपास आपको गन्ने के खेत नजर आएंगे ,किसानों की यहां पर भूमि है लेकिन आपको कोई भी यहां नजर नहीं आएगा लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए सड़क निर्माण की खुलेआम अनुमति दे दी गई। इस कॉलोनी का निर्माण मंगल पटेल एवं हर्ष पटेल कर रहे हैं। इसके पीछे बड़ा खेल चल रहा है। अधिकारियों से सांठगांठ करके पूरा खेल खेल खेला जा रहा है।



पहले आपको बता देते हैं कि यह पूरा खेल है क्या? आखिर कैसे खेला जा रहा है यह खेल। दरअसल लक्ष्मीपुर से होते हुए जब हम कछपुरा की ओर जाएंगे तो एक नाला पड़ेगा। यह नाला ओमती नाला है। यह नाला यहां कॉलोनी विकसित करने के लिए बाधा बन रहा था लिहाजा यह सब पूरा खेल खेला गया क्योंकि कॉलोनी ही कछपुरा में विकसित हो रही है और करीब उसकी कीमत कॉलोनी की डेवलपमेंट की 500 करोड़ होगी लिहाजा लक्ष्मीपुर के आसपास जितने भी लोग बसे थे और रोड निर्माण में बाधा बन रहे थे उनको खरीदने की कोशिश की गई जब वह अपनी जमीन बेचने के लिए तैयार नहीं हुए तो दस्तावेजों में हेरफेर करना शुरू कर दिया गया। इसकी पड़ताल की गई तो पाया गया कि खसरा नंबर 56/ 06 कि जो भूमि है 18 0000 स्क्वायर फीट की शैलेश जॉर्ज की है। इस भूमि को 100 फीट पीछे दर्शाया दिया गया। नक्शे में हेर फिर कर दिया गया और उस भूमि के ऊपर से ही 30 फीट की सड़क निकाल दी गई। ऐसे ही खसरा नंबर 68/4 की भूमि है जो की सीलिंग भूमि है। नीलिमा तिवारी के नाम से है 22000 स्क्वायर फीट की भूमि है। इस भूमि को भी कहीं अलग दिखा दिया गया और यहां से सड़क निकाल दी गई। ज्यादा जरूरत सड़क की थी लिहाजा पुराना नक्शा जो था उसे बदल दिया गया और नया नक्शा बना कर बकायदा सड़क प्रस्तावित की गई और खेल खेला गया




बिल्डर  को लाभ देने के लिए निजी एवं सीलिंग भूमि पर नक्शों का फेरबदल कर दिया गया और अब उसमे भी स्टे खत्म कर  निर्माण कार्य करने की अनुमति देने की पूरी कवायद चल रही है। सूत्रों की माने तो भूमाफिया बैठक एसडीएम आधारताल के साथ बैठक कर रहे हैं और अपने पक्ष में आदेश करवाने की कोशिश में लगे हुए हैं।

मुनव्वर खान तहसीलदार ने बदल दिया नक्शा
2015-16 में सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन इस भूमि पर जैसे ही माफियाओं की नजर पड़ी और उन्हें लगा कि यहां पर बड़ी कॉलोनी विकसित हो सकती है, तो मुस्कान प्लाजा से निकलकर कछपुरा जाने का रास्ता प्रस्तावित करने का विचार किया और यहां पर निजी भूमि और शासकीय भूमि भी आई लेकिन उस वक्त के नायब तहसीलदार मुनव्वर खान ने सारे ही बदलाव कर दिए। भूमि जो यहां पर निजी थी उसको 100 और 200 फीट पीछे कर दिया गया और इसी के बलबूते नगर निगम से कानूनी निर्माण की अनुमति भी प्राप्त कर ली गई। अब यह बनकर तैयार है और उसके आगे अब घर बने हैं लिहाजा जो इसके है उसको भी खत्म करके अधिकारी से सांठगांठ करके सारा मामला अपने पक्ष में करने की कोशिश चल रही है।




2 मार्च 2020  को मिला  स्टे  4 मार्च को दे दी  गई  कॉलोनी विकास की अनुमति
पीड़ित शैलेश जार्ज ने सोचा कि कानून से उसको मदद मिलेगी लिहाजा उसने एसडीएम कार्यालय अधारताल में अपना केस दाखिल किया और बताया कि भू माफिया यहां पर मेरी जमीन पर कब्जा कर चुके हैं। एसडीएम कार्यालय में अपील की गई और 2 मार्च 2020 को शैलेश को स्टे दे दिया गया। लेकिन आप ताज्जुब  करिए 2 मार्च को स्टे के बावजूद 4 मार्च को इसकी अनदेखी कर नगर निगम ने कॉलोनी विकसित करने की अनुमति जारी कर दी। जाहिर तौर पर एसडीएम के आदेश की अनदेखी करके जब नगर निगम अनुमति देता है तो आप सोच लीजिए कि कितना बड़ा खेल है। ऐसे में अब पीड़ित न्याय की गुहार लगाते भटक रहा है तो भूमाफिया पैसे से अधिकारियों को खरीद रहा है। दहशत का माहौल ऐसा है कि शैलेश जब घर से निकलते हैं तो आसपास उनके बाइक सवार जो कि हेलमेट लगाए रहते हैं इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं। शैलेश जॉर्ज कई बार आवेदन लेकर थाने भी गए लेकिन थाने में भी यही कहा जाता है आवेदन रख जाओ जब कोई मारे तब आना ऐसे में आप समझ सकते हैं कि पैसे के बल पर किस तरह से एक गरीब व्यक्ति को जोकि अपनी पुश्तैनी जमीन को बेचकर जबलपुर में एक प्लॉट खरीदा था उस पर कब्जा हो चुका है। बेहद चौंकाने वाली बात है कि अब यह बिल्डर लगातार और भी हावी होते जा रहे हैं ।


प्रदीप गोटिया ने अधिकारियों को सेट करने की जिम्मेदारी उठाई
इस पूरे खेल में कॉलोनी को विकसित करने का जिम्मा प्रदीप गोटिया ने उठाया है प्रदीप गोटिया ने 100 करोड रुपए लिए और जितने भी अधिकारी सामने आते गए उनको मुंह मांगी रकम देता गया ,नगर निगम हो या फिर जिला प्रशासन या अनुविभागीय अधिकारी सभी पूरी तरह से बिल्डर के पक्ष में खड़े हो गए हाल ये है की डेढ़ किलोमीटर की सड़क बना दी गई जो कि 30 फीट की है। आप विचार कीजिए अगर इस सड़क से निकलते हुए जब लोग गुजरेंगे जोकि 11 एकड़ की बनी कॉलोनी में पहुंचेंगे तो सड़क पर कितना दबाव होगा और फिर इन गन्ने के खेत के किसानों का क्या होगा यानी कि किसानों को भी पूरी तरह से भयभीत कर दिया गया है कि भविष्य में आप की जमीन भी कॉलोनी विकास के लिए खरीद ली जाएगी। ताज्जुब होता है कि एक पीड़ित जंग लड़ रहा है लेकिन जंग लड़ने के बीच में वह बेहद भयभीत है।



कई  नेता भी खेल में शामिल, साझेदारी भी विकसित
लक्ष्मीपुर के आसपास लोग तो यह भी कहते हैं कि सिर्फ अकेला प्रदीप गोटियां यह बड़ा खेल नहीं कर सकता है। इसके पीछे सत्ता पक्ष और विपक्ष के बड़े नेता भी शामिल हैं जो अधिकारियों को कॉल करके ऐसा करने के लिए कहते हैं कि बिल्डर का साथ दो।

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