BJP में सिंधिया का एक साल पूरा, क्या वाकई कांग्रेस छोड़ कर बैकबेंचर बन गए हैं सिंधिया ?

3/10/2021 1:18:59 PM

भोपाल: आज ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी ज्वाइन किए एक साल हो गया है। 9 मार्च 2020 वो दिन था जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। नतीजन कमलनाथ की सरकार गिरी और शिवराज के सिर मुख्यमंत्री का सेहरा बंदा और बिना चुनाव लड़े बीजेपी की जीत हुई। ये अपने आप में एक बहुत बड़ी राजनीतिक घटना थी। साथ ही उम्मीद थी कि भाजपा सिंधिया के इस एहसान को कभी नहीं भुलाएगी। लेकिन 9 मार्च को ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। न तो सिंधिया को किसी नेता ने बधाई दी और न ही मध्य प्रदेश में बीजेपी की वापसी दिलाने के लिए धन्यवाद किया गया।

इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सिंधिया को बैकबेंचर बयान और उस चुनौती जिसमें उन्होंने कहा कि मैं लिखकर देता हूं कि सिंधिया बीजेपी में कभी सीएम नहीं बन सकते मध्य प्रदेश की राजनीति गरमाई हुई है। वहीं अगर राहुल गांधी की बयानबाजी को दूसरे नजरिए से देखा जाए तो कहीं न कहीं उनकी बाते सच साबित होते दिख रही है। क्योंकि यदि सिंधिया के पिछले एक साल के सफर पर नजर डाली जाए तो सिंधिया बीजेपी के बैकबेंचर ही नजर आ रहे हैं।



सिंधिया को न तो केंद्र में मंत्री का दर्जा दिया गया और उनके समर्थक जो उपचुनाव में हार चुके हैं उनका राजनीतिक भविष्य भी अनिश्चित बना हुआ है। सवाल उठने लगे हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की जो धाक है वह कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी में कम है। क्या उनका स्टेटस दिनप्रतिदिन गिरता चला जा रहा है। आखिर वो क्या कारण है कि इतना कुछ दे पाने के बावजूद भी बीजेपी उन्हें वो सबकुछ नहीं दे पा रही जिसके वे असल में हकदार हैं।

मध्य प्रदेश की राजनीति के लिहाज से देखे तो सिंधिया समर्थकों को सिर्फ मंत्री पद के मोर्चे पर ही संतुष्ट किया गया। इसके बाद न तो हारे हुए नेताओं को निगम मंडल में एडजस्ट करने की कोशिश की जा रही है और न ही संगठन में उनकी किसी प्रकार की सुनवाई हो रही है। अब तो माना जाने लगा है कि सिंधिया का लेबल उनके समर्थकों को और भी परेशान करने वाला बनने वाला है। यही कारण है कि कई नेताओं ने सिंधिया को छोड़ कर दूसरे आकाओं की तालाश भी शुरु कर दी है। कोई कैलाश विजयवर्गीय का हाथ थामने को आतुर है तो कोई नरेंद्र सिंह तोमर का, तो कोई सीएम शिवराज को ही अपनी सबकुछ बता रहा है। कोई अलाप रहा है कि हमारे रग रग में भाजपा बह रही है।



इन बातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कहीं न कहीं बीजेपी ने सिंधिया से उनके समर्थकों को भी छीन लिया है जो कल तक सिंधिया के लिए कुएं में कूदने तक को तैयार थे। कुल मिलाकर बीजेपी में आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने एक के बाद एक चुनौती आ रही है। उनकों अपना खुद का भी राजनीतिक भविष्य देखना है, अपने उन समर्थकों को भी साथ लेकर चलना है। कुल मिलाकर सिंधिया के सामने कई चुनौतियां है फिलहाल देखना होगा कि सिंधिया इन सबका सामना कैसे करते हैं और कांग्रेस के बैकबैंचर के टैग से उभरकर टॉपबेंचर कैसे बनते हैं।

meena

This news is Content Writer meena