Video: कितनी वाजिब है सिंधिया और पायलट की तुलना ? अब कांग्रेस में बढ़ेगी पायलट की भूमिका !

3/19/2020 12:54:36 PM

भोपाल/जयपुर: मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 18 साल की कांग्रेस राजनीति छोड़ बीजेपी में कदम रख लिया। उनके इस निर्णय के बाद देश की सियासत में अटकलों का दौर शुरु हुआ कि क्या सचिन पायलट भी कभी यह राह अपना सकते हैं? क्या वे भी सिंधिया के नक्शे कदम पर चलते हुए कांग्रेस से किनारा कर सकते हैं? इन दोनों दिग्गजों के राजनीतिक सफर पर एक नजर डाली जाए तो राजस्थान और मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनावों में, ऐसी स्थिति आई जब ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट दोनों ने अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों का नेतृत्व करने का वैध दावा किया। हालांकि, बहुत परामर्श के बाद, राजस्थान में अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश में कमलनाथ जैसे वरिष्ठ नेताओं को चुना गया। अब ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से बाहर होने और भाजपा में प्रवेश करने के पीछे विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद लिए गए निर्णय ही जिम्मेदार हैं।

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इसके बाद सवाल यह उठता है कि क्या सिंधिया और सचिन पायलट एक ही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं? हालांकि ये सोचना वाजिब नहीं क्योंकि दोनों के बीच परिस्थितियां बहुत भिन्न हैं। वहीं सियासी गलियारों में तो चर्चाएं यहां तक हैं, कि बीजेपी नेतृत्व ने सिंधिया के बाद सचिन पायलट पर भी डोरे फैंकने शुरू कर दिए हैं। लेकिन तर्कों की जमीन पर बात करें, तो पायलट के दलबदल से जुड़े कयास अपने आप में काफी कमजोर नजर आते हैं, और वह और उनकी सियासत कई स्तर पर सिंधिया से अलग भी देखने को मिल रही है। आइए जानते हैं, इससे जुड़े प्रमुख पहलुओं के बारे में।

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 सिंधिया और सचिन पायलट के सियासी हालात में काफी अंतर-

·         राजस्थान में सत्ता मिलने के बाद कांग्रेस ने पायलट को बहुत कुछ दिया। लेकिन मध्य प्रदेश में सिंधिया को कोई भी बड़ा राजनीतिक पद नहीं दिया गया।
·         डिप्टी सीएम के साथ पीसीसी चीफ जैसा मजबूत पद पायलट के पास , लेकिन सिंधिया की मांग के बावजूद भी उन्हें पूरी तरह अनदेखा किया गया।
·         सीएम अशोक गहलोत के हर बड़े फैसले में हिस्सेदार रहते हैं पायलट, और जबकि मध्यप्रदेश में शुरूआत से ही सिंधिया की उपेक्षा की गई।   
·         सिंधिया के पारिवारिक इतिहास में कई बार कांग्रेस विरोध देखने को मिला।
·         जबकि पायलट परिवार कभी भी कांग्रेस की बगावत का हिस्सा नहीं बना।
·         अब्दुल्ला परिवार भी कांग्रेस से पायलट के जुड़ाव को और मजबूत बनाता है।

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सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने पर भले ही कांग्रेस ने खुलकर कुछ न कहा हो और न ही सिंधिया को मनाने की कोशिश की हो लेकिन इस वक्त कांग्रेस को युवा जोश की सबसे अधिक जरूरत है। सबसे बड़ी बात यह है कि शायद राहुल गांधी यह कमी पूरी करने में सफल नहीं हो पा रहे। ऐसे में कांग्रेस के भीतर किसी दूसरे विकल्प पर गौर करें, तो सचिन पायलट के अलावा कोई दूसरा चेहरा भी नजर नहीं आता। इस बात को शायद पायलट भी अच्छी तरह से समझते हैं और वह नहीं चाहेंगे, कि कांग्रेस जैसे बड़े दल में इतनी बड़ी संभावना को छोड़कर वह किसी दूसरे दल का दामन थाम लें।


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meena

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