‘इरादा अपराध का नहीं था’... शिवराज सिंह ने MP हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखा पत्र, जानिए क्यों की माफी की मांग

12/16/2023 12:51:05 PM

भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखा है। पत्र में जज की कार छीनकर मरीज को अस्पताल ले जाने वाले छात्रों की माफी की बात कही है। उन्होंने कहा कि छात्रों का इरादा अपराध करने का नहीं था। शिवराज ने कहा कि छात्रों ने जिंदगी और मौत से जूझ रहे व्यक्ति की जान बचाने के लिए यह अलग तरह का अपराध कर दिया। उनके भविष्य को देखते हुए उन्हें माफ कर दें।

बता दें कि एबीवीपी ग्वालियर के सचिव हिमांशु(22) श्रोत्रिय और उप सचिव सुकृत शर्मा (24) को सोमवार को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पुलिस के अनुसार, दोनों ने जज की कार के ड्राइवर से चाबी छीन ली थी। कार छीनने के आरोप में दोनों छात्रों ते खिलाफ डकैती का केस दर्ज हुआ था। बुधवार को दोनों छात्रों की जमानत खारिज कर दी गई। वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। बाद में पता चला कि छात्रों ने ऐसा हार्ट अटैक से पीड़ित कुलपति रणजीत सिंह की जान बचाने के लिए किया था। ग्वालियर पुलिस ने बताया कि रणजीत सिंह (68) उत्तर प्रदेश के झांसी में एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति थे, उनकी हृदय गति रुकने से मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है।

दोनों का इरादा अपराध का नहीं था- शिवराज

इस मामले को लेकर प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ को पत्र लिखा और छात्रों की गलती के लिए माफी मांगी। उन्होंने लिखा- 'चूंकि यह पवित्र उद्देश्य के लिए किया गया एक अलग तरह का अपराध है और जीवन बचाने के लिए मानवीय आधार पर किया गया है, इसलिए यह माफ करने लायक है। हिमांशु श्रोत्रिय और सुकृत शर्मा का इरादा अपराध करने का नहीं था। इसलिए उनके भविष्य को देखते हुए उन्हें माफ कर दें।'

बता दें कि डकैती के इस मामले में न्यायाधीश संजय गोयल ने दोनों छात्रों को जमानत देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति विनम्रता से मदद मांगता है, ताकत से नहीं। न्यायाधीश ने घटना में पुलिस डायरी का हवाला देते हुए कहा कि एक एंबुलेंस, जो ऐसे उद्देश्यों के लिए ही बनी है, बीमार व्यक्ति को ले जाने के लिए मौके पर पहुंची थी।

वहीं एबीवीपी की एमपी इकाई के सचिव संदीप वैष्णव ने मामले में सफाई देते हुए कहा कि दोनों छात्रों ने मरीज की जान बचाने के लिए वारदात को अंजाम दिया। क्योंकि मरीज की स्वास्थ्य स्थिति तेजी से बिगड़ रही थी। उन्हें नहीं पता था कि कार उच्च न्यायालय के जज की थी।

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