अफसरों की एक गलती से गायब हो गया पूरा गांव! इस बड़ी योजना के लाभ से चूके किसान
3/31/2021 3:51:01 PM
भोपाल(इजहार हसन खान): राजधानी भोपाल के कृषि विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही और बेरुखी के चलते बैरसिया के बर्रीछीर खेड़ा गांव के आधा सैकड़ा किसान वर्ष 2018 और 2019 की फसल बीमा की राशि से मेहरूम हो गए। यह किसान पिछले कई सालों से फसल बीमा की राशि का प्रीमियम जमा कर रहे हैं लेकिन जब उन्हें बीमा मिलने की बारी आई तो उन्हें पता चला कि उनके गांव का नाम ही बीमा राशि की सूची में नहीं है।
जांच करने पर पता चला कि बीमा कंपनी की सूची में इनका गांव का नाम किसी दूसरे हल्के में जुड़ गया है और बीमा कंपनी हलके के हिसाब से बीमा की राशि का भुगतान करती है क्योंकि इनके गांव का नाम किसी दूसरे हल्के में जुड़ गया था इसलिए कंपनी ने इनको बीमा का भुगतान नहीं किया। गांव के जागरूक और उन्नत किसानी करने वाले किसान कुबेर सिंह गुर्जर ने अपने और अपने गांव के लोगों के साथ हुई। इस बेरुखी की बेरसिया विधायक विष्णु खत्री, कलेक्टर भोपाल अविनाश लवानियां और कृषि विभाग के अधिकारियों से शिकायत की। वही मामले की गंभीरता को देखते हुए विधायक विष्णु खत्री ने भी कलेक्टर भोपाल को पत्र लिखा साथ ही विधानसभा में भी इसका सवाल उठाया।
इसके बाद कलेक्टर भोपाल और कृषि विभाग के संचालक के बीच पत्राचार हुआ जिससे जानकारी सामने आई कि राजस्व विभाग और कृषि विभाग के अधिकारियों की वजह से उनकी लापरवाही की वजह से बर्री छीर खेड़ा गांव का नाम किसी दूसरे में हल्के में जुड़ गया है जिससे उन्हें बीमा का लाभ नहीं मिल रहा है। वहीं इस मामले में कृषि विभाग के संचालक ने कलेक्टर भोपाल को पत्र लिखकर इस बात को स्वीकार किया कि राजस्व विभाग और कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से किसानों का फसल बीमा नहीं मिला है और उन पर कार्यवाही की जाना चाहिए।
क्योंकि हल्का सूची गजट नोटिफिकेशन में जारी होती है जिसके आधार पर बीमा कंपनी बीमा देती है और गजट नोटिफिकेशन में बर्री छीर खेड़ा का नाम किसी दूसरे में हल्के में जुड़ गया है जिसकी वजह से इनको बीमा नहीं मिला। अब बड़े अधिकारी इस मामले में छोटे अधिकारी कर्मचारियों पर कार्यवाही की बात कह रहे हैं लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर इस कार्रवाई से इन किसानों को क्या लाभ होगा इनको तो इनकी फसल का बीमा चाहिए जिसका प्रीमियम हर साल भर रहे हैं लेकिन इनको अपनी फसल की बीमा राशि नहीं मिल रही है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस मामले में आला अधिकारी क्या संज्ञान लेते हैं।
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