दमोह उपचुनाव में उठा कुंडलपुर रेल लाइन का मुद्दा, CM शिवराज को भारी पड़ सकती है ये वादाखिलाफी

4/1/2021 7:40:30 PM

दमोह(इम्तियाज चिश्ती): मध्यप्रदेश के दमोह जिले से महज 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित देश का सबसे बड़ा जैन तीर्थ स्थल कुण्डलपुर जो अपनी भव्यता और विशालता के लिए सारी दुनियाभर में जाना जाता है। जहां दुनियाभर से पर्यटक और दर्शनार्थियों का आना जाना लगा रहता है लेकिन दमोह से सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर मंदिर जाने के लिए रेल लाइन नहीं है। इसे लेकर दमोह रेल संघर्ष समिति,जैन महिला मंडल ,सकल युवा जैन समाज के संयुक्त तत्वाधान में संघर्ष समितियां बीते 13 सालों से कोशिशें कर रही है जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश के मुखिया तक से गुहार लगाई लेकिन मुख्यमंत्री दमोह कुण्डलपुर रेल लिंक परियोजना को अपनी  वित्तीय अंश की स्वीकृति प्रदान नहीं कर सके जबकि केन्द्र सरकार ने आज से 13 साल पहले इसे अपनी सहमति और स्वीकृति दे दी थी और कहा गया था कि राज्य सरकार भी दमोह कुंडलपुर लिंक रेल लाईन की जल्द से जल्द अपनी वित्तीय अंश की स्वीकृति प्रदान करें, ताकि 20 किलोमीटर की दूरी तक रेल लिंक डाली जा सके। बावजूद इसके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान है कि मानने को तैयार नहीं।


दमोह -कुंडलपुर लिंक रेल लाईन परियोजना को मध्यप्रदेश सरकार पिछले 8 मई 2008 से अटकी पड़ी है। 13 वर्षों से अपने भेदभाव पूर्ण रवैये से जानबूझकर रोके हुए है। हालांकि यहां देश के गृह मंत्री अमित शाह, प्रदेश और खुद शिवराज सिंह चौहान भी आ चुके हैं और जनता के सामने वादे किए लेकिन वो वादे वादे होकर रह गये। अब जब यहां सारी दुनियाभर से जैन धर्मावलंबी हजारों किलोमीटर का सफर तय करके दमोह पहुंचते है तो वे टूटी फूटी सड़क का सहारा लेकर सफर करने मजबूर रहते हैं।



अब इसके लिए एक बार फिर से दमोह से आवाज़ फिर बुलन्द हुई है जहां स्थानीय  कुण्डलपुर रेल संघर्ष समिति और महिला मण्डल खुद सड़कों पर आकर अब हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। वहीं घोषणावीर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को जगाने की कोशिश कर रहे है। 



आपको बता दें कि वर्ष 2022-23 में कुंडलपुर में बड़े बाबा का मंदिर पूर्ण होने जा रहा है, जो कि पूरे देश के दिगंबर जैन समाज का तीर्थ देव स्थान है। इस मंदिर के उद्घाटन होने पर पूरे देश व विदेश के लोग भारी संख्या में दमोह आएंगे। अब दमोह के लोगों के सब्र का बांध भी टूट गया और ऐसे में दमोह में होने वाले उप चुनाव पर भी भारी असर पड़ेगा। वहीं डर सता रहा है कि कही मुख्यमंत्री की जिद मौजूदा सरकार को भारी ना पड़ जाए।

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