जिन पत्थरों पर बैठकर भगवान राम ने किया था तप, राम मंदिर निर्माण में होगा उनका इस्तेमाल

12/9/2020 6:21:32 PM

सतना: मध्यप्रदेश के चित्रकूट में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के साढ़े 11 वर्ष वनवासकाल के साक्षी रहे कामदगिरि की शिला मंगलवार को अयोध्या के लिए रवाना हो गई। यह शिला राममंदिर के निर्माण में उपयोग में लाई जाएगी। दर्जनों साधु संत शिला को लेकर अयोध्या के लिए निकले। गौरतलब है कि 5 अगस्त को जब अयोध्या में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राममंदिर निर्माण की आधारशिला रख रहे थे तभी यहां चित्रकूट में भी कामदगिरि शिला की विधिवत पूजा अर्चना की गई थी।



गौरतलब है कि 14 वर्ष के वनवास काल में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने मां जानकी और भाई लक्ष्मण के साथ 11 बरस 5 माह और 28 दिन चित्रकूट में ही बिताए थे। भगवान राम को मनाने के लिए भरत अयोध्या की जनता तीनों माताएं, भाई शत्रुघ्न और गुरु वशिष्ठ के साथ चित्रकूट आए थे।



जिस जगह भरत मिलाप हुआ उसके चिन्ह आज भी विद्यमान हैं। 5 अगस्त को विधिविधान से पूजे गए कामदगिरि शिला को अब अयोध्या के लिए रवाना किया गया है। कामदगिरि शिला को एक रथनुमा कार में ले जाया गया। कामदगिरि शिला के साथ दर्जनों साधु-संत और श्रद्धालु रवाना हुए। 



कामदगिरि ट्रस्ट के महंत मदनगोपाल  ने बताया कि भगवान कामता नाथ की यह पवित्र भूमि श्री चित्रकूट धाम है। जहां पर भगवान श्री सीताराम जी साढ़े 11 वर्षों तक रहे। उन्हीं की ये पावन शिला अयोध्या धाम जा रही है। भगवान रामलला का जो दिव्य मंदिर बन रहा है उसी में इस शिला को समर्पित किया जाएगा।



चित्रकूट से यह शिला रामघाट, बेड़ी पुलिया, अतर्रा, बांदा, फतेहपुर होते हुए लखनऊ और फिर सीधे अयोध्या पहुंचेगी। वहां भक्त लोग स्वागत करेंगे। चित्रकूट के अधिक से अधिक संत जाएंगे साथ में। भक्त भी जाएंगे।

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