मरती हुई मां से किया था जज बनने का वादा! सब्जी बेचकर घर चलाया, लॉकडाउन में रोजगार भी छिना, फिर भी जज बनकर दिखाया

5/2/2022 12:27:58 PM

सतना(रवि शंकर पाठक): मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती हैं, यह कहावत तो आपने अक्सर सुनी होगी, लेकिन इसे चरितार्थ किया है मध्यप्रदेश के सतना स्थित अमरपाटन के एक बेहद गरीब परिवार के बेटे शिवाकांत कुशवाहा ने। गरीबी ऐसी की परिवार एक वक्त का खाना भी मुश्किल से जुटा पाता था, लेकिन 9 साल पहले मर चुकी मां का सपना था कि उसका बेटा जज बने, मां का सपना पूरा करने में गरीबी आड़े आई तो दिन में सब्जी का ठेला लगाया और रात में पढ़ाई की। कोरोना ने इस कामयाबी को दिलाने के लिए अवसर दिया और इस शिवाकांत ने अपनी मां का सपना पूरा कर दिखाया।

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सब्जियों का ठेला लगाने वाले शिवाकांत ने ओबीसी वर्ग में पूरे मध्यप्रदेश मे दूसरी रैंक हासिल की है। अब जज की कुर्सी में बैठकर न्याय करेगा। मध्य प्रदेश सिविल जज परिणाम ओबीसी वर्ग में द्वितीय स्थान पाने वाले सतना जिले के अमरपाटन के रहने वाले शिवाकांत कुशवाहा चार बार सिविल जज की परीक्षा में बैठे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब कहीं जाकर पांचवी और आखिरी बार सफलता हाथ लगी।

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इस बार घोषित परीक्षा परिणाम में ओबीसी वर्ग से प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है कड़ी मेहनत, लगन, परिश्रम के बल पर शिवाकांत कुशवाहा ने यह मुकाम हासिल किया है। शिवाकांत कुशवाहा के संघर्ष की कहानी सुन हर कोई को प्रेरणा ले सकता है।

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पिता कुंजी लाल कुशवाहा मजदूरी करके पूरे परिवार का भरण पोषण करते है, तो मां भी बेटों को पालने के लिए मजदूरी करती थी, जो 9 साल पहले नहीं रही, तीन भाई एक बहन में शिवाकांत कुशवाहा दूसरे नंबर के है।

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बचपन से ही पढ़ाई में लगन थी लेकिन घर की दयनीय स्थिति को देखते हुए पढ़ाई के साथ साथ सब्जी का ठेला लगाकर परिवार का भरण पोषण में हाथ बटाया, कभी गन्ने के जूस का ठेला लगाते तो कभी सब्जियों का, लेकिन हार नहीं मानी और पठन पाठन करता रहा परिणाम अब सामने है। ठेला लगाकर सब्जियां बेचने वाला शिवाकांत अब न्याय के मंदिर की कुर्सी में बैठ इंसाफ करेगा, बेटे की इस सफलता पर पिता गर्व महसूस कर रहे और बेहद खुश है।


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Content Writer

meena

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