मांस के टुकड़ों को प्रसाद में बदलने वाली मां हिंगलाज! 500 साल पहले पाकिस्तान से MP लाए थे ये महात्मा

10/12/2021 5:45:07 PM

रायसेन(नसीम अली): रायसेन जिले के बाड़ी तहसील में स्थित है मां हिंगलाज देवी का प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर,यहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है। लगभग 500 साल पहले यहां के संत भगवान दास जी पाकिस्तान के बलूचिस्तान से लाए थे मां हिंगलाज को यहां तब से लेकर आज तक मां हिंगलाज देवी के दरबार में सभी भक्तों की मनोकामना होती है पूरी।

मां हिंगलाज देवी का मंदिर पूरे भारतवर्ष में केबल रायसेन जिले के बाड़ी में स्थित है। यहां मां विराजमान है और देश के 52 शक्तिपीठों में से एक हैं। इस स्थान का अलग ही महत्व है यहां भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण कराने आते हैं और मां की कृपा से खुश होकर जाते हैं।व हीं इस मंदिर का इतिहास बताता है कि लगभग 500 वर्ष पहले यहां के संत भगवान दास जी पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मां हिंगलाज देवी के दर्शन करने जा रहे थे कि एक रात रास्ते में उन्हें सपना आया कि मां कह रही हैं कि मुझे यहां से ले जाकर बाड़ी में स्थित हिंगलाज देवी की स्थापना कर दो। तब महात्मा भगवान दास जी ने मां को यहां लाकर स्थापित किया था तब से लेकर आज तक मां भक्तों की हर पीड़ा को हरती ही जा रही हैं।

एक बार भोपाल नवाब की बेगम सिकंदरा को उनके अधीनस्थ कर्मचारियों ने बताया कि बाड़ी के पास हिंगलाज देवी का स्थान है, जहां के संत भगवान दास अपने आपको मां का परम भक्त बताते हैं। तब बेगम सिकंदरा ने संत भगवान दास की और हिंगलाज देवी मां की परीक्षा लेनी चाही थी और उन्होंने एक बार मांस के टुकड़ों को थाल में सजाकर मां के दरबार में भोग लगाने भेजा था लेकिन संत महाराज ने करीब 200 मीटर पहले ही अपने शिष्यों को बोला कि यह जल थाल पर छिड़क देना और कहना कि प्रसाद चढ़ गया है और यह थाल बेगम सिकंदरा के सामने ही खोलना।

भोपाल नवाब के सिपाही जब बेगम सिकंदरा के पास पहुंचे और उन्होंने उस थाल को खोला तो, देखा की मां ने साक्षात मांस के टुकड़ों को प्रसाद में बदल दिया है। इसके बाद बेगम सिकंदरा ने अपनी गलती मानी थी और भोपाल से बाड़ी के हिंगलाज मंदिर तक की पदयात्रा की और इसके बाद ही करीब 100 एकड़ जमीन मंदिर समिति को दान में दी थी। वही मंदिर के मुख्य पुजारी का कहना है कि करीब 500 साल पुराने इस मंदिर में सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है दूर दूर से भक्त यहां आते है और कहते हैं इस मंदिर में आकर मां हिंगलाज से जो भी मांगों वह मिल जाता है।


वही मंदिर के शास्त्री जी कहते हैं कि यहां खाकी अखाड़े का अलग महत्व है। खाकी अखाड़े के संत भगवान दास जी मां हिंगलाज को बाड़ी स्थित लेकर आए थे तब से लेकर आज तक मां हिंगलाज सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती जा रही हैं।

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