दहन नहीं रावण की पूजा करता है यह परिवार, खुद को बताता है दशानन का वंशज

Monday, Oct 26, 2020-07:00 PM (IST)

सतना(फिरोज बागी): देश भर में दशहरे वाले दिन लंकापति रावण का दहन किया जाता है। दुनिया भर में रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है, लेकिन भारत देश के कई हिस्सों में आज भी रावण की पूजा होती है। ऐसा ही है कि स्थान मध्यप्रदेश के सतना जिले में है जहां रावण की प्रतिमा स्थापित है और हर साल दशहरा के अवसर पर ग्रामीण रावण की पूजा करते हैं। सतना जिले का यह परिवार पिछले 40 सालों से दशानन की पूजा करता आया है।

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जी हां सतना के कोठी थाने परिसर में बनी वर्षो पुरानी रावण के प्रतिमा पर रनेही निवासी रमेश मिश्रा और उनका परिवार पूजा करता चला आ रहा है। रमेश मिश्रा और उनके परिवार का कहना है कि वह सभी रावण के वंशज है, इसलिए उनकी पूजा करते है। इनके अलावा भी गांव के काफी लोग खुद को रावण का रिश्तेदार मानते हैं।

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भारत सचमुच अद्भुत परंपराओं और संस्कृति से भरा देश है। यहां पूरे देश में दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, बुराई पर सच्चाई की जीत स्वरूप रावण का पुतला दहन किया जाता है, लेकिन सतना जिले के कोठी इलाके में स्थित रावण की प्रतिमा की कई वर्षों से पूजा की जा रही है। दरअसल खुद को रावण के वंशज या रिश्तेदार मानने वाले समाज के लोग रावण का पुतला दहन नहीं करते बल्कि विधि विधान के अनुसार रावण की भी पूजा की जाती है।

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पिछले 40 सालों से कोठी थाने परिसर में बनी वर्षो पुरानी रावण के प्रतिमा पर रनेही निवासी रमेश मिश्रा और उनका परिवार पूजा करता चला आ रहा है। हर साल दशहरा के अवसर पर रावण को मानने वाले लोग बकायदा ढोल ताशों के साथ जुलूस निकालते हैं और प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित कर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते हैं। इतना ही नहीं रावण को अपना रिश्तेदार बताने वाले यह लोग जय लंकेश के नारे लगाकर आज भी रावण के अमर अजर होने की कामना कर रहे हैं।


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