1965 के युद्ध में पूरी संपत्ति दान कर दी थी बुंदेलखंड के इस लाल ने, आज झोपड़ी में गुजार रहा जिंदगी
5/3/2020 1:11:21 PM
छतरपुर (राजेश चौरसिया): एक ऐसा शख्स जिसने 1965 के युद्ध में अपनी सारी संपत्ति दान कर दी, यहां तक की उसने अपनी मां के कंगन तक दान कर दिए, हम बात कर रहे हैं झांसी इस बड़े दानवीर मोहन कुशवाहा की। यह जीवंत कहानी है उस वीर भूमि बुंदेलखंड की जहां वीर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजों से लड़कर बलिवेदी पर चढ़कर अमर हुई। यह वही बुंदेलखंड की वीर भूमि है जहां पृथवीराज चौहान, आल्हा-ऊदल और छत्रशाल जैसे वीर रहे। इसी क्रम में मोहन कुशवाहा उर्फ मोहन दालुदरी भी कमतर नहीं हैं। वहः भी इन्हीं वीरों की श्रेणी में आते, लेकिन गुमनामी के अंधेरे में कहीं गुम हो गए, और एक झोपड़ी में रह रहे हैं।
देश के लिए वही जिये-मरे, जो जीने के लिए रोटी खाते हैं, वो नहीं जो रोटी के लिए जीते हैं। अपने लिये तो सभी जीते हैं, वो विरले ही हैं जो देश के लिए जीते हैं। 1965 के युद्ध मे अपनी सारी सम्पति दान कर अपनी मां के कंगन तक दान करने वाले मोहन कुशवाहा 80 साल की आयु में भी किसी के मोहताज़ नहीं हैं। न ही राशन मांगा ना राशन कार्ड की दरकार, स्वाबलंबन से अपना जीवन यापन कर बदहाल जीवन जीने को मजबूर हैं। लेकिन इसके उलट सरकार ने इनकी इस वीरता पर जरा भी ध्यान नहीं दिया है, और आज मोहन एक छोटी से झोपड़ी में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं।
देश के लिए अपनी संपत्ति दान कर देने वाले मोहन कुशवाहा बावजूद सरकारी उपेक्षा और उदासीनता के शिकार हैं। बुन्देलखण्ड की दशा दर्शाते गुमनाम दानवीर वीरभूमि बुन्देलखण्ड से माटी के लाल मोहन कुशवाहा उर्फ मोहन दालूदरी साहब को आज बुंदेलखंड के निवासी सलाम करते हैं। लेकिन शासन-प्रशासन इनकी इस महानता को अब तक नहीं समझ पाया है। लोगों का मानना है कि सरकार को चाहिए कि इस महान दानवीर की गरीबी दूर करे, जीवन यापन में इसकी मदद करे, और इन्हें इनका हक दे।
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