पत्नी की प्यास बुझाने के लिए हरि सिंह बन गया दशरथ मांझी, चट्टानें काटकर 3 साल में खोदा 60 फीट गहरा कुआं
Thursday, Jun 09, 2022-06:36 PM (IST)

सीधी(अनिल सिंह): बिहार के दशरथ मांझी किसी पहचान के मोहताज नहीं है जिन्होंने पत्नी की याद में पहाड़ खोदकर रास्ता निकाल दिया था। दशरथ मांझी की तरह और भी बहुत से पति ऐसे हैं जिन्होंने पत्नी के प्यार में असंभव काम को संभव कर दिखाया है। दशरथ मांझी की तरह अब मध्य प्रदेश के हरि सिंह ने भी दो बूंद पानी के लिए पहाड़ खोद डाला। सीधी जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर जनपद पंचायत सिहावल के ग्राम पंचायत बरबंधा के रहने वाले हरि सिंह ने पत्नी की खातिर वो कर दिखाया कि अब उनकी चर्चा चारों ओर हो रही है। हरि सिंह ने पत्नी की पानी की विवशता को देखकर पहाड़ का सीना चीरकर कुंआ खोद डाला। तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में लोग अभी भी पानी जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं।
40 वर्षीय हरि सिंह ने बताया है कि पत्नी सियावती की पानी की परेशानी को लेकर वे काफी चिंतित थे उनकी पत्नी को 2 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता था और उनसे पत्नी की ये परेशानी देखी नहीं जाती है। जिसकी वजह से हरि सिंह ने चट्टानों से घिरे पहाड़ को खोदकर 20 फीट चौड़ा 60 फीट गहरा कुआं खोद डाला।
हरि सिंह ने बताया है जो पानी उपलब्ध हो रहा है वह बहुत कम मात्रा में है। इससे गुजारा नहीं होता। जब तक समुचित उपयोग के लिए पानी नहीं मिल जाता तब तक ये कुआं खोदने का कार्य लगातार जारी रहेगा। इसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े। हरि सिंह कुएं की खुदाई का कार्य पिछले 3 साल से कर रहा है। कुएं की खुदाई में पत्नी सियावती व दो बच्चे तथा एक बच्ची ने मदद की और थोड़ा-थोड़ा करके उन्होंने अपनी पत्नी की परेशानी को दूर कर दिया है।
हरि सिंह ने बताया है कि शुरू में ये कार्य बहुत कठिन लग रहा था क्योंकि पूरा का पूरा चट्टानी पत्थर खोदना था। मिट्टी की परत एक भी नहीं थी। ऐसे में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन मन मारकर बैठने की बजाए संकल्प लिया कि जब तक कुआं खोदकर पानी न निकाल लूं चैन से नहीं बैठूंगा।
वहीं प्रशासन पर सवाल खड़े करते हुए हरिसिंह गोंड ने बताया कि मेरे पास 50 डिसमिल जमीन का पट्टा है। इसके बावजूद भी पंचायत कर्मी गुमराह करने का प्रयास करते हैं। मैं कई बार उनसे सहायता मांगने गया लेकिन किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिली और अंत में मैंने कुआं खोदने की सोची।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि 40 वर्षीय हरि सिंह की यह कहानी बिहार के दशरथ मांझी से कम नहीं है इसीलिए लोग उन्हें सीधी के दशरथ मांझी के नाम से भी पुकारने करने लगे हैं। इनके कुंआ खनन कार्य के लिए हमने प्रयास किया किंतु उनके पास जो पट्टे का दस्तावेज था वो उनके चाचा के नाम है और वो गुम गया है जिसकी वजह से इनका कुंआ नहीं खुद पाया।