कोरोना से मुक्ति के लिए भगवान की शरण में पहुंचा प्रशासन, मंदिरों में लगाया मदिरा का भोग(Video)

6/13/2020 6:47:19 PM

उज्जैन(तरुण पाडलिया): रेड जोन शहर उज्जैन में कोरोना का कहर इस कहर लोगों के जहन में है कि अब सरकारी अमला भी भगवान की शरण में है। कोरोना संक्रमण रोकने के तमाम उपायों के बीच कलेक्टर-एसपी मंदिर पहुंचे। इतिहास में पहली बार कोरोना से मुक्ति के लिए कलेक्टर आशीष सिंह व एसपी मनोज सिंह ने शनिवार को अष्टमी के अवसर पर 24 खंबा स्थित महालया एवं महामाया माता जी का नगर शासकीय पूजन करते हुए कोरोना वायरस महामारी को खत्म करने की प्रार्थना की एवं मदिरा की धार लगाई।

शहर में नहीं थम रहा कोरोना का कहर
लगभग बीते तीन महीने से उज्जैन कोरोना की चपेट में हैं। शासन प्रशासन ने शहर से कोरोना के कहर को खत्म करने के लिए रात दिन एक कर दिए लेकिन संक्रमण को कम न कर पाए। इसे आस्था कहें या अंधविश्वास लेकिन प्रशासन अब कोरोनावायरस से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान की शरण में पहुंच गया है। शनिवार की सुबह 8 बजे माता मंदिर पर ढोल नगाड़े के साथ प्रशासन का अमला शहरवासियों के साथ माता रानी के मंदिर पहुंचा। भक्तों के जयकारों से उज्जैन गुंजायमान ही उठा। लॉक डाउन के बाद अनलॉक -1 में यह पहला अवसर था कि जनकल्याण की भावना से शहर में इस तरह का धर्मिक कार्यक्रम सामुहिक तौर आयोजित किया गया हो।

कलेक्टर ने नवाया शीश और लगाई मदिरा की धार
इस मौके पर कलेक्टर आशीष सिंह व एसपी मनोज सिंह ने उज्जैन वासियो की ओर प्रतिनिधित्व करते हुए माता रानी के सम्मुख शीश नवाया और मदिरा(शराब) की धार लगाई। उन्होंने उज्जैन शहर को महामारी से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। इस मंदिर में साल में एक बार चैत्र नवरात्रि की अष्टमी पर मदिरा चढ़ायी जाती है। शहर में इस पूजन की शुरुआत चौबीस खंबा माता मंदिर से की गई और समापन गढ़ कालिका माता मंदिर पर किया जाएगा।



इसलिए चढ़ाई शराब
किंवदंति है कि राजा विक्रमादित्य अपनी प्रजा को महामारी से बचाने के लिए चौबीस खंभा स्थित इस माता मंदिर में मदिरा चढ़ाकर पूजन अभिषेक करते थे। शहर में भी इन दिनों कोरोना महामारी का प्रकोप है। इससे जनता को बचाने के लिए उज्जैन कलेक्टर ने भी माता को शराब चढ़ाई। उनके साथ एसपी मनोज सिंह भी थे। कलेक्टर के यहां पूजा के बाद भैरव मंदिर में शराब का भोग लगाया गया।



बताया जा रहा है कि उज्जैन में सम्राट वीर विक्रमादित्य राजा के कार्यकाल से ही शासकीय नगर पूजा की परंपरा चली आ रही है। यही नहीं जब जब देश में प्रदेश में और शहर में किसी प्रकार की लाइलाज महामारी आती है तो नगर पूजा की जाती है और माता रानी के सम्मुख प्रार्थना कर बीमारियों को जड़ से खत्म करने के लिए सामुहिक प्रार्थना कर पूजन किया जाता है। 



महाकाल वन के मुख्य प्रवेश द्वार पर विराजित माता महामाया और माता महालाया चौबीस खंभा माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं। यहां पर मंदिर के भीतर 24 काले पत्थरों के खंभे हैं, इसीलिए इसे 24 खंभा माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह उज्जैन नगर में प्रवेश करने का प्राचीन द्वार हुआ करता था। पहले इसके आसपास परकोटा हुआ करता था। तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध उज्जैन या प्राचीन अवंतिका के चारों द्वार पर भैरव तथा देवी विराजित हैं, जो आपदा-विपदा से नगर की रक्षा करते हैं।



चौबीस खंभा माता भी उनमें से एक हैं। यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है। नगर की सीमाओं पर स्थित इन देवी मंदिरों में राजा विक्रमादित्य के समय से नगर की सुरक्षा के लिए पूजन और मदिरा चढ़ाए जाने की परंपरा चली आ रही है।

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This news is Edited By meena