एक तरफ PM मोदी ने किया केन-बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास, दूसरी तरफ नाराज ग्रामीण चिता पर लेटे

Wednesday, Dec 25, 2024-08:51 PM (IST)

छतरपुर (राजेश चौरसिया) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज खजुराहो में देश की पहली जल परियोजना का शिलान्यास किया। वहीं दूसरी ओर केन बेतवा लिंक परियोजना का भूमिपूजन/शिलान्याश से नाराज ग्रामीण और प्रभावितों ने आज के दिवस को काला दिवस मनाया और परियोजना स्थल पर ग्राउंड ज़ीरो पर पहुंचकर जंगल की लकड़ी बटोरकर उसकी चिता बनाकर और जलाकर उसपर लेटकर प्रदर्शन किया है। ग्रामीणों ने अपना दर्द बयां कर कहा कि हमने अपना सब कुछ खो दिया, पर फिर भी हमारे साथ अन्याय क्यों हो रहा है।

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बता दें कि एक तरफ प्रधानमंत्री के हाथों केन बेतवा लिंक का शिलान्यास तो वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण/प्रभावित काला दिवस के रूप में मना रहे थे। यहां केन बेतवा लिंक के शिलान्यास से नाराज प्रभावितों ने आज के दिन को काला दिवस के रूप में मनाते हुए परियोजना स्थल पर ही जंगल से लकड़ी बटोरकर उसकी चिता बनाई और उसपर आग लगाकर लेट गए।

आंदोलन करने वाले अमित भटनागर की मानें तो 46 लाख पेड़, 22 गांव मिट जायेंगे यहां कानून, सुप्रीम कोर्ट, NGT के सुझाव की अनदेखी की गई है। यह योजना विकास नहीं विनाश लाएगी। बुंदेलखंड के जल संकट का स्थाई हल पारंपरिक जल स्रोतों और जल संचयन, 46 लाख पेड़ और जंगल उजाड़ने से विनाश होगा।

ग्रामीणों का कहना है कि इस परियोजना ने उनके जीवन, माटी और आजीविका को नष्ट कर दिया है। उन्होंने परियोजना के लिए अपने खेत, घर और सांस्कृतिक पहचान का त्याग किया, लेकिन बदले में उन्हें फर्जी ग्राम सभाओं, लाठीचार्ज और भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ा।

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उजाड़े जा रहे 46 लाख पेड़ और 22 गांव

सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर ने कहा कि यह परियोजना न केवल 46 लाख पेड़ों की कटाई और पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र को नष्ट करेगी, बल्कि 22 गांवों के आदिवासी और ग्रामीण समुदायों को उनकी पहचान और अधिकारों से वंचित कर रही है। यह परियोजना विकास नहीं, बल्कि विनाश का प्रतीक बन चुकी है। नरेंद्र मोदी ने इस विवादित परियोजना का शुभारंभ कर प्रधानमंत्री जैसे गरिमामयी पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।

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पर्यावरणीय और विधिक उल्लंघन

सुप्रीम कोर्ट और NGT के सुझावों की अनदेखी: अमित भटनागर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि जब परियोजना सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में विचाराधीन है, तब निर्णय आए बिना जनता के पैसे को बर्बाद क्यों किया जा रहा है?

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●केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) की रिपोर्ट

जैसा कि भाजपा और प्रधानमंत्री प्रचारित कर रहे हैं अगर यह परियोजना इतनी लाभकारी है तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्मित केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) की रिपोर्ट में परियोजना को पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से विनाशकारी क्यों बताया जा रहा?

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●झूठे जलविज्ञान के आंकड़े

सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर ने केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) की रिपोर्ट को आधार बताते हुए बताया कि परियोजना के तहत यह दावा किया गया कि केन नदी में जल अधिक है, लेकिन यह दावा झूठा और अप्रमाणिक है।

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●अमित भटनागर ने परियोजना सहित प्रधानमंत्री पर काई सवाल खड़े किए

1 बुंदेलखंड के जल संकट का समाधान झूठा दावा:

 "यह परियोजना बुंदेलखंड के पानी को अन्य क्षेत्रों में निर्यात करेगी और यहां की जल समस्याएं जस की तस बनी रहेंगी।" बुंदेलखंड की जल संकट का स्थायी समाधान पारंपरिक जल स्रोतों और 46 लाख पेड़ों को बचाने में है।

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●प्रदर्शनकारियों की मांगें:

1. परियोजना पर रोक:

 जब तक सुप्रीम कोर्ट और NGT का अंतिम निर्णय नहीं आता, परियोजना का काम रोका जाए। 

2. फर्जी ग्राम सभाओं की जांच:

स्वतंत्र एजेंसी से ग्राम सभाओं और सहमति के झूठे दावों की जांच कराई जाए।

3. पुनर्वास और मुआवजा:

 सभी प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा और पुनर्वास दिया जाए। 
 मुआवजे में हुई अनियमितताओं के दोषियों पर कार्रवाई की जाए। 

4. पर्यावरणीय और सामाजिक समीक्षा:

केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) की रिपोर्ट के आधार पर परियोजना की पुनः समीक्षा की जाए। 

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●ग्रामीणों की चेतावनी: विरोध जारी रहेगा

प्रभावितों ने स्पष्ट किया कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो उनका विरोध और तेज होगा। परियोजना की वास्तविकता और इसके विनाशकारी प्रभावों को देशभर में उजागर किया जाएगा। प्रदर्शनकारीयों का कहना था कि हम शांतिपूर्ण आंदोलन करेंगे, लेकिन अपने अधिकारों और पर्यावरण की रक्षा के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।" परियोजना प्रभावित धोड़न गांव के गौरीशंकर यादव ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि यह लड़ाई हम सबके अधिकारों ही नहीं है बल्कि आने वाली पीड़ियों के भविष्य बचाने की भी है।


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Content Writer

meena

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