क्या है आचार संहिता? कौन से काम बंद और कौन से चलते रहेंगे, अधूरी पड़ी सरकारी नौकरी भर्तियों का क्या होगा? जानिए इन सवालों के जवाब

10/9/2023 2:41:09 PM

मध्यप्रदेश डेस्क: चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इन पांचों राज्यों में 7 से 30 नवंबर तक विधानसभा चुनाव होंगे। मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान होंगे तो छत्तीसगढ़ में दो चरणों में वोट डाले जाएंगे।  3 दिसंबर को चुनाव की मतगणना होगी। इस चुनावी ऐलान के बाद सभी 5 राज्यों में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो चुकी है। इस दौरान ज्यादातर सरकारी कामों पर अस्थाई रोक लगी रहेगी। ऐसे में आम नागरिकों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि क्या मध्यप्रदेश में चल रही लाडली बहना योजना के तहत मिलने वाली रकम बंद हो जाएगी। अगर कोई सड़क आधी बनी है तो क्या वह पूरी बनेगी या काम रोक दिया जाएगा। क्या ड्राइविंग लाइसेंस जैसे तमाम सरकारी दस्तावेज बनाए जाएंगे। क्या सरकारों ने रोजगार देने की जो घोषणा की है वो पूरी की जाएगी। इन्हीं सब सवालों के जवाब आज हम आपको देंगे, और ये भी बताएंगे कि आचार संहिता क्या है।

क्या होती है आचार संहिता?
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं, इसे ही आचार संहिता कहा जाता है। ये नियम किसी कानून के तहत नहीं बल्कि राजनीतिक पार्टियों की आपसी सहमति से बनाए गए हैं। चुनाव के समय राजनीतिक दलों और सभी प्रत्याशियों को इसका पालन करना होता है। इसके तहत ये बताया जाता है, कि पार्टी और कैंडिडेट को चुनाव के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है।

क्या है आचार संहिता का इतिहास?
चुनावों के दौरान लगाई जाने वाली आदर्श आचार संहिता की शुरुआत सबसे पहले साल 1960 में केरल विधानसभा चुनाव में हुई थी। इसके बाद वर्ष 1962 में हुए लोकसभा चुनाव में पहली बार चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों को आचार संहिता के बारे में बताया। वर्ष 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में इन नियमों का पालन भी किया गया, और ये सिलसिला आज भी जारी है।  

कब लागू होती है आचार संहिता?  
चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है। ये आचार संहिता इलेक्शन की पूरी प्रक्रिया खत्म होने तक रहती है।

आचार संहिता के दौरान कौन से काम होते हैं और कौन से रुक जाते हैं?
आदर्श आचार संहिता के दौरान चुनाव कार्यों से जुड़ा कोई भी अधिकारी को किसी नेता या मंत्री से उसकी निजी यात्रा या आवास पर नहीं मिल सकता। अगर वह ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। यही नहीं, सरकारी खर्च पर कोई भी पार्टी या नेता कोई भी आयोजन नहीं कर सकती। वे सिर्फ अपने खर्च पर ही कोई आयोजन या कार्यक्रम कर सकते हैं। सत्ताधारी दल के लिए सरकारी पैसे से सरकार के काम का प्रचार-प्रसार करने के लिए विज्ञापन चलाने पर भी रोक होती है। धर्म के आधार पर बयानबाजी पर रोक लग जाती है। सरकार ने किसी योजना को हरी झंडी दे दी है और उसका काम जमीनी तौर पर शुरू नहीं हुआ है तो आचार संहिता के बाद ही उस काम को शुरू किया जा सकता है, हां अगर जमीनी काम शुरू किया जा चुका है तो वह निरंतर चलता रहेगा। विधायक या सांसद आचार संहिता लागू होने के बाद लोकल एरिया डेवलपमेंट फंड से नई राशि जारी नहीं कर सकते। आचार संहिता के बाद पेंशन फॉर्म जमा नहीं हो सकते और नए राशन कार्ड भी नहीं बनाए जा सकते। हथियार रखने के लिए नया आर्म्स लाइसेंस नहीं बनेगा। BPL के पीले कार्ड नहीं बनाए जाएंगे। किसी भी नए सरकारी काम की न तो शुरुआत होगी न कोई नया टेंडर पास किया जाएगा।  


MP में 50 हजार से ज्यादा सरकारी भर्तियों और अन्य कामों का क्या होगा?
आपको बता दें की CM शिवराज सिंह चौहान ने दिसंबर 2022 में प्रदेश भर में कुल 1 लाख 14 हजार भर्तियों का वादा किया था। इनमें से 67 हजार पदों पर भर्तियां हो गईं लेकिन बाकि बचे 47 हजार पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया जारी है। सीएम शिवराज ने ये भी कहा कि 1 लाख 14 हजार भर्तियों के बाद वे 50 हजार पदों पर भर्तियां और निकालेंगे। लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ ङै। जो भर्ती प्रक्रिया चल रही है, उस पर तो कोई रोक नहीं लगेगी, लेकिन सीएम शिवराज या कोई मंत्री किसी को भी नियुक्ति पत्र खुद ही नहीं दे पाएंगे।

किसी भी योजना का शिलान्यास-लोकार्पण नहीं किया जा सकता...
आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी योजना या परियोजना का शिलान्यास या लोकार्पण नहीं किया जा सकेगा। सड़क बनवाने, पीने के पानी को लेकर काम शुरू करवाना तो दूर, इसको लेकर कोई भी नेता वादा भी नहीं कर पाएगा। हां.. जो काम पहले से चल रहा है वो निरंतर चलता रहेगा।

क्या अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं की जा सकेगी?
इस नियम के लागू होती ही किसी भी अधिकारी कर्मचारी की ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं की जा सकेगी। हां.. अगर ट्रांसफर करना
बेहद ही जरूरी है तो उसके लिए चुनाव आयोग की सहमति लेनी ही होगी।

विधायक मंत्री सरकारी खर्च पर रैली नहीं कर सकते..
आचार संहिता के बीच कोई भी मंत्री या विधायक अपने निजी खर्च पर ही सभा या रैली कर पाएंगे। सरकारी खर्च पर वे कुछ नहीं कर सकते। यहा तक की कोई मंत्री सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल भी सिर्फ अपने निवास से ऑफिस तक के लिए ही कर सकता है

Vikas Tiwari

This news is Content Writer Vikas Tiwari