Loksabha Election 2019: किस्सा कुर्सी का, बात 'कमलनाथ' के गढ़ 'छिंदवाड़ा' लोकसभा सीट की
3/23/2019 6:22:23 PM
छिंदवाड़ा: मध्यप्रदेश में लोकसभा सीटों के लिहाज से कांग्रेस की सबसे मजबूत सीट छिंदवाड़ा वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ है। लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के बावजूद भी कमलनाथ ने यहां से जीत हासिल की थी। कमलनाथ साल 1980 से इस सीट से लोकसभा का चुनाव जीतते आ रहे हैं। छिंदवाड़ा की जनता ने कमलनाथ को सिर्फ एक बार निराश किया है, जब 1997 में उन्हें यहां से हार मिली। अभी कांग्रेस ने भले ही प्रत्याशी घोषित नहीं किया है, लेकिन कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ धुआंधार चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। वे अब तक करीब 30 से ज्यादा जनसभाएं कर चुके हैं।
छिंदवाड़ा क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है। देश की कई बड़ी नामी कंपनियों की फैक्ट्री इस शहर में है। कुछ समय पहले छिंदवाड़ा को देश का सबसे पिछड़ा इलाका माना जाता था। लेकिन आज छिंदवाड़ा के पास खुद का एक विकास मॉडल है। जब कमलनाथ यहां से सांसद चुने गए तो उन्हे ऐसा विकास किया जिसके सभी उनके मोहताज हो गए। उन्होंने पूरे छिंदवाड़ा में सड़कों का जाल बिछाया और शहर को एक एजुकेशन हब के रूप में भी विकसित कर दिया। कमलनाथ ने यहां पर 56 किमी लंबी रिंग रोड, कॉल सेंटर, मॉडल रेलवे स्टेशन बनवाया है।
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का इतिहास
वर्ष 1951 में छिंदवाड़ा में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस के रायचंद भाई शाह को जीत मिली थी। इसके बाद 1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को जीत मिली थी। इसके बाद 1980 में इंदिरा गांधी ने कांग्रेस की ओर से कमलनाथ को यहां से मैदान में उतारा। जिसके बाद कमलनाथ ने जीत के साथ अपने राजनीतिक कैरियर का आगाज किया। कमलनाथ ने 1980 से लेकर 1991 तक हुए 3 चुनावों में जीत हासिल की। लेकिन 1996 में हवाला कांड में नाम आने के बाद कमलनाथ ने लोकसभा चुनाव से दूरी बनाई और उनकी पत्नी अलकानाथ को छिंदवाड़ा से मैदान में उतारा गया। लेकिन उन्होंने भी इसी सीट पर कांग्रेस की जीत का क्रम जारी रखा। लेकिन अलकानाथ ने बाद में इस सीट से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद यहां उपचुनाव हुआ और कमलनाथ एक बार फिर मैदान में उतरे। इस बार कमलनाथ के सामने बीजेपी के दिग्गज नेता सुंदरलाल पटवा थे। पहली बार ऐसा हुआ कि कमलनाथ इस लोकसभा सीट पर हार गए।
हालांकि अगले साल 1998 में फिर चुनाव हुए और पटवा कमलनाथ से हार गए। जिसके बाद से कमलनाथ ऐसा चले की रुके ही नहीं। 1998 से लेकर 2014 तक इस सीट पर कुल पांच लोकसभा चुनाव है और सभी में कमलनाथ ने ही जीत हासिल की। अगर विधानसभा के लिहाज से देखा जाए तो छिंदवाड़ा में सात सीटें आती हैं औऱ सभी सात सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है जो कि छिंदवाड़ा में कांग्रेस की मजबूती को दर्शाता है। छिंदवाड़ा में 36.82% जनसंख्या अनुसूचित जनजाति और 11.11% जनसंख्या अनुसूचित जाति की है। चुनाव आयोग के आंकड़े के अनुसार 2014 के चुनाव में यहां पर 14,01,277 मतदाता थे। इनमें से 7,21,482 पुरुष मतदाता तो 6,79,795 महिला मतदाता थीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 79.03% वोटिंग हुई थी।
लोकसभा चुनाव 2014
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद कमलनाथ ने बीजेपी के चंद्रभान सिंह को हराया था। कमलनाथ को 5,59,755 वोट मिले थे। तो वहीं चंद्रभान सिंह को 4,43,218 वोट मिले थे।
लोकसभा उम्मीदवार |
राजनीतिक दल |
वोट |
वोट प्रतिशत |
कमल नाथ |
कांग्रेस |
5,59,755% |
51.73% |
चंद्रभान सिंह |
बीजेपी |
4,43,218% |
40.96% |
पर्देशी हरतपशाह टिग्राम |
जीजीपी |
25,628% |
2.37% |
लोकसभा चुनाव 2009
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कमलनाथ ने बीजेपी के मारोत रॉव को हराया था। कमलनाथ को इस चुनाव में 4,09,736 वोट मिले थे तो वहीं मारोत रॉव को 2,88,516 वोट मिले थे।
लोकसभा उम्मीदवार |
राजनीतिक दल |
वोट |
वोट प्रतिशत |
कमल नाथ |
कांग्रेस |
409736 |
49.41% |
मारोत राव |
बीजेपी |
288516 |
34.79% |
मनमोहन शाह |
निर्दलीय |
27414 |
3.31 % |
बता दें कि कमलनाथ की गिनती देश के दिग्गज नेताओं में होती है और उनकी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट कांग्रेस की सबसे मजबूत सीटों में से एक मानी जाती है। कमलनाथ वर्तमान समय में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। वे 1991 से लेकर 1995 तक उन्होंने नरसिम्हा राव सरकार में पर्यावरण मंत्री रह चुके हैं। वहीं 1995 से 1996 तक वे कपड़ा मंत्री भी रह चुके हैं। इसके बाद वे मनमोहन सिंह की सरकार में वाणिज्य मंत्री का पद संभाल चुके हैं। यूपीए द्वितिय सरकार में भी कमलनाथ को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय का कार्यभार संभालने का मौका मिल चुका है।