मध्य प्रदेश में किसकी सरकार और किसका चलावा ?
6/8/2020 3:27:15 PM
मध्य प्रदेश डेस्क(हेमंत चुतर्वेदी): बतौर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की चौथी पारी में उनके चेहरे पर वो ठसक एक बार भी देखने को नहीं मिली, जो कभी उनके सियासी रखूस की पहचान हुआ करती थी, जिसे उनकी संवेदनशीलता और सजग छवि के बावजूद भी आसानी से महसूस किया जा सकता था। वो ठसक, जो सरकार में जितना उनका एकाधिकार पेश करती थी, उससे कहीं ज्यादा संगठन में उनकी जरूरत का अहसास कराती रहती थी। लेकिन एक बार गाड़ी पटरी से उतरने के बाद न जाने ऐसा क्या हुआ, कि अब शिवराज सिंह अब पुराने अवतार से बिल्कुल जुदा नजर आने लगे हैं, और मानो उनकी वही सियासी ठसक अब उनसे रूठकर उन्हीं की कैबिनेट के मंत्री नरोत्तम मिश्रा के कंधों पर सवार हो गई है।
अगर पिछले लगभग ढाई महीने के शिवराज सिंह के कार्यकाल की बात करें, तो ऐसे ढेरों उदाहरण मिल जाएंगे जिनके चलते प्रदेश में सत्ता के केंद्र के बारे में चर्चा करना लगभग जरूरी हो जाता है। मंत्रिमंडल के अधूरे विस्तार से लेकर दो महीने से अटकी भाजपा कार्यकारिणी तक। मंत्री पद की चाह रखने वाले नेताओं की प्रभात फेरी से, उपचुनाव की तैयारियों तक। एक बात तय हो गई है, कि अब प्रदेश के मुखिया की कुर्सी पर बैठे शिवराज सिंह पिछले वाले शिवराज सिंह तो कतई नहीं है और प्रदेश स्तर पर फैसले लेने संबंधी भाजपा की व्यवस्था भी अब पूरी तरह से भंग हो गई है, अब जो होता है वो दिल्ली की मर्जी से होता है, लेकिन यहां खास बात यह है कि मौजूदा वक्त में शिवराज सिंह दिल्ली के दूत भी नजर नहीं आ रहे, और इस भूमिका को निभाते दिख रहे हैं प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा।
एक रोज पहले ग्वालियर चंबल के नाराज नेताओं को मनाने के लिए नरोत्तम मिश्रा ग्वालियर पहुंचे। संबंधित नेताओं में कुछ ऐसे भी नेता थे, जिन्हें लंबे समय से शिवराज सिंह का विरोधी माना जाता रहा है, अगर नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात के बाद इन नेताओं के तेवर नरम नजर आए, तो जाहिर है कि उनके बीच नरोत्तम शिवराज सिंह का संदेश लेकर तो गए नहीं होंगे। वह संदेश दिल्ली का ही होगा, जो वाया नरोत्तम संबंधित नेताओं के पास पहुंचा। इसके अलावा अब दूसरे पहलुओं पर भी गौर कीजिए, जो शिवराज कैबिनेट के विस्तार के साथ जुड़ी हुई हैं, मंत्री पद की चाह रखने वाले तमाम नेता पहले ही दिन से शिवराज सिंह के पास न जाते हुए नरोत्तम मिश्रा की देहरी पर पहुंच रहे हैं, किसी भी प्रदेश में शायद यह अपने जैसा अकेला मामला होगा, जब विधायक मंत्री पद की अर्जी लगाने के लिए मुख्यमंत्री की जगह गृहमंत्री के पास जा रहे हों, शायद इस बात को वो नेता भी समझते हैं कि उनकी बात को दिल्ली तक पहुंचाने का अगर कोई ठीक जरिए है तो वो नरोत्तम मिश्रा ही है।
ये वो स्थिति है, जिन्हें देखते हुए इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है, कि इस वक्त मध्यप्रदेश में अनचाहे ही सही लेकिन सीएम के साथ एक सुपर सीएम की व्यवस्था भी अस्तित्व में आ गई है, और उस सुपर सीएम की भूमिका नरोत्तम मिश्रा निभा रहे हैं। दो दिन पहले नरोत्तम मिश्रा के बंगले पर शिवराज सिंह की हाजिरी ने इस बात को और पुष्टि भी प्रदान कर दी, और अब इन कयासों ने और जोर पकड़ लिया है, कि मध्यप्रदेश में सरकार भले ही शिवराज सिंह चौहान की है, लेकिन इसमें असल चलावा नरोत्तम मिश्रा का ही है।