बक्स्वाहा के जंगल में दुनिया के सबसे प्राचीन शैल चित्र होने का दावा, विश्व स्मारक घोषित करने की उठी मांग

Sunday, Jul 04, 2021-11:40 AM (IST)

छतरपुर(राजेश चौरसिया): मध्य प्रदेश के छतरपुर में कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं को बक्सवाहा जंगलों के भ्रमण के दौरान कई वर्ष पुराने पाषाण काल के शैल चित्र मिले। इन चित्रों को लेकर महाराजा कॉलेज में चित्रकला विभाग के प्रमुख एस.के. छारी का दावा है कि ये शैल चित्र 25000 ईसा पूर्व दुनिया के सबसे प्राचीन शैल चित्र है। सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा इन मध्य पाषाण कालीन शैल चित्रों के संरक्षण व इन्हें विश्व स्मारक घोषित करने की मांग भी उठाई थी जो कि अब नष्ट होने की कगार पर हैं।

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दरअसल, सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर, पर्यावरण बचाओ अभियान के संस्थापक सदस्य शरद सिंह कुमरे, आफताब आलम हाशमी, शुभम सैयाम, नीशू मालवीय, परमजीत सिंह, नंदराम आदिवासी आदि सामाजिक कार्यकर्ताओं की टोली बक्स्वाहा जंगल बचाओ आंदोलन के तहत हीरा खनन प्रभावित क्षेत्र कसेरा गांव पहुंची थी। जहां टोली ने कसेरा के जंगल मे शैल चित्रों का भ्रमण किया था। इसी दौरान उन्हें निमानी गांव के अंदर जंगल में ऐसे ही शैल चित्रों की जानकारी लगी, जिसे ग्रामीण स्थानीय भाषा में लाल पुतरिया कहते हैं।

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पर्यावरण प्रेमियों की टोली निमानी गांव के अंदर दुर्गम जंगल व पहाड़ी क्षेत्र के 6 किलोमीटर के सफर को तय करते हुए शैल चित्रों के पास पहुंची। सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर ने बताया कि निमानी गांव के जंगल में मिले शैल चित्र काफी क्षतिग्रस्त अवस्था में है, इनसे शरारती तत्वों द्वारा छेड़छाड़ की गई है, एक गुफा में इन शैल चित्रों के पास काले पेंट से लिखावट की है, तो एक दूसरी गुफा क्षतिग्रस्त है। सामाजिक कार्यकर्ताओं को इन शैल चित्रों के आसपास शैल चित्रों की एक सीरीज की जानकारी लगी थी, जिसके बाद पर्यावरण प्रेमियों की यह टोली लगातार आस-पास के गांव में सतत सक्रियता बनाये रही।

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निमानी गांव के 70 वर्षीय चिन्ना आदिवासी क्षतिग्रस्त होकर गिर गई चट्टान के बारे में बताते है कि लगभग 20 साल पहले ये चट्टान सही सलामत थी, इसमे लगभग एक से डेढ़ फुट के अच्छे शैल चित्र दिखाई देते थे। अमित भटनागर ने अभिलंब इन शैल चित्रों के संरक्षण व इन्हें ने विश्व स्मारक घोषित करने की मांग उठाते हुए कहा कि छतरपुर जिले के बक्स्वाहा के जंगलों में मध्य पाषाण काल के शैल चित्रों का होना सिर्फ बुंदेलखंड ही नहीं पूरे भारत के लिए गरिमा की बात है, पर हमारे लिए बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम इतनी अनमोल अपनी धरोहर की सही से देखभाल भी नहीं कर पा रहे है।

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शरद ने मांग की, यदि भाजपा सरकार आदिवासियों की हितैषी है तो उनके पूर्वजों की निशानी शैल चित्रों को विश्व धरोहर घोषित कराए और उनके जंगलों को हीरों के कारण से नहीं उजाड़े। मित भटनागर, शरद सिंह कुमरे आदि पर्यावरण प्रेमियों द्वारा इन शैल चित्रों को खजुराहो, जटाशंकर भीमकुंड, नैना गिरी से जोड़ते हुए बुंदेलखंड में पर्यटन की असीम संभावनाओं व रोजगार हेतु इन शैल चित्रो के संरक्षण संबर्धन व विश्व स्मारक घोषित करने की मुहिम छेड़ने की बात कही है।


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Content Writer

meena

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