400 साल पुराना रहस्य: गोबर से बनी हनुमान प्रतिमा, जहां सांप भी नहीं डसते छत्तीसगढ़ के नारधा का चमत्कारी धाम
Saturday, Dec 13, 2025-01:16 PM (IST)
धमधा। (हेमंत पाल): छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के धमधा विकासखंड अंतर्गत नारधा गांव में स्थित एक ऐसा हनुमान मंदिर है, जिसकी महिमा और रहस्य देशभर के श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच रहा है। आपने पत्थर, धातु और मिट्टी से बनी हनुमान प्रतिमाएं जरूर देखी होंगी, लेकिन गौ माता के गोबर से निर्मित हनुमान जी की प्रतिमा शायद ही कहीं और देखने को मिले।
करीब 400 वर्ष पुरानी यह अद्भुत प्रतिमा स्वामी रूख्खंड नाथ महाराज द्वारा स्थापित की गई थी। यह मंदिर सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि रहस्यों और चमत्कारों का साक्षात प्रमाण माना जाता है।
जहां सांपों का वास, पर डसने का भय नहीं
ग्रामीणों की मान्यता और अनुभव बताते हैं कि नारधा गांव में आज तक सर्पदंश से किसी की अकाल मृत्यु नहीं हुई। हैरानी की बात यह है कि मंदिर परिसर और आसपास सैकड़ों सांप विचरण करते हैं, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। इसे गरुड़ाकार हनुमान जी की विशेष कृपा माना जाता है।
तप, साधना और समाधि का पवित्र स्थल
यही वह स्थान है जहां स्वामी रूख्खंड नाथ महाराज ने तप, योग और साधना की और अंततः यहीं समाधि ली। बताया जाता है कि उनकी समाधि के ऊपर ही शिवलिंग स्थापित किया गया है। मंदिर के पुजारी पंडित सुरेंद्र गिरी के अनुसार, गर्भगृह में एकानन, चतुरानन और पंचानन शिवलिंग विराजमान हैं, और शिवलिंग के नीचे लगभग 15 फीट गहराई में बाबा की समाधि है।
श्रावण मास में यहां एक और अलौकिक दृश्य देखने को मिलता है, जब नाग देवता स्वयं शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं।
दो स्वानों की अद्भुत मान्यता
स्वामी रूख्खंड नाथ महाराज के साथ हमेशा दो स्वान रहते थे। उनके देहावसान के बाद उनकी स्मृति में दो मूर्तियां स्थापित की गईं। स्थानीय मान्यता है कि यदि किसी को कुत्ता काट ले, तो मंदिर की परिक्रमा कर यहां की पवित्र मिट्टी ग्रहण करने से रेबीज जैसी बीमारी नहीं होती।
मंगलकारी हनुमान, शिव के अंशावतार
यहां विराजमान हनुमान जी को रुद्रावतारी माना जाता है, यानी भगवान शिव का अंशावतार। इसी कारण श्रावण मास में गोबर से निर्मित हनुमान प्रतिमा का विशेष अनुष्ठान किया जाता है। कहा जाता है कि 18वीं शताब्दी में बाबा ने समाधि लेने से पूर्व हनुमान जी को मंगलकारी स्वरूप में विराजमान कराया था।
प्रकृति की गोद में बसा धाम
तीन तालाबों से घिरा यह धाम प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। मंदिर परिसर में स्थित अखंड (अमर) कुंड का पानी भीषण गर्मी में भी कभी नहीं सूखता। वहीं पास में एक बेलपत्र का वृक्ष है, जिसकी पांच शाखाएं जमीन को छूती हैं, जिससे एक प्राकृतिक झोपड़ी का आभास होता है। चारों ओर फैली शिव की जटाओं जैसी लताएं मानो प्रकृति का झूला रच रही हों।
देशभर से उमड़ रहे श्रद्धालु
हाल ही में बागेश्वर धाम महाराज द्वारा इस धाम के महत्व का उल्लेख किए जाने के बाद, यहां श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ गई है। अब यह धाम केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे देश के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनता जा रहा है।
रहस्य, श्रद्धा और चमत्कार का संगम यही है नारधा का रूख्खंड नाथ धाम।

