अब मध्यप्रदेश से निकलेंगे माल्या और नीरव? SBI के अफसरों से ऐसा कांड कर दिया, जो कोई सोच भी नहीं सकता...जानिए सनसनीखेज कारनामा

Sunday, Jul 13, 2025-03:15 PM (IST)

विदिशा/भोपाल। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की विदिशा शाखा में सामने आया करोड़ों का लोन घोटाला अब बवंडर बनकर पूरे सर्कल को घेर रहा है। एक ओर जहाँ 2023 में बिना किसी अधिकृत पॉवर के लोन बांटे गए, वहीं दूसरी ओर 20 से अधिक उधारकर्ता अब लापता हैं!

सबसे बड़ा सवाल — जब ब्रांच के पास लोन स्वीकृत करने की शक्ति ही नहीं थी, तो इतनी बड़ी रकम किसके इशारे पर और कैसे स्वीकृत हुई?

काग़ज़ों में लोन, ज़मीन पर लूट!

बिना किसी डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन, बिना फील्ड विज़िट, बिना किसी क्रेडिट असेसमेंट के फाइलें मंजूर की गईं। ना आवेदकों की सही पहचान की गई, ना उनके बिज़नेस का वजूद, फिर भी करोड़ों की राशि सीधे खातों में ट्रांसफर कर दी गई।

क्या यह सिर्फ लापरवाही थी? या सुनियोजित बैंक डकैती?

भोपाल से चला रिमोट – विदिशा में लिखी स्क्रिप्ट?

इस पूरे प्रकरण में भोपाल के सीनियर अफसरों की भूमिका अब शक के घेरे में है। विशेष रूप से तत्कालीन GM एवं वर्तमान GM कुंदन ज्योति, तत्कालीन DGM विजिलेंस, और RM विनय सिंह – क्या इन्हें कुछ भी पता नहीं था? क्या उस समय के तत्कालीन RM बापूजी स्वाइन जो कि वर्तमान में DGM पदस्थ है, ये सब मामला उनको प्रमोशन दिलाने के लिए रचा गया था??? आखिर कैसे उस समय के CM क्रेडिट, RM बापूजी स्वाइन, ओर DGM लोकेश चंद्रा ( जो वर्तमान में GM पदस्थ है) की आंखों के सामने ये घोटाला फल फूल रहा था या फिर ये सबकुछ जानते हुए भी आंखें मूंदे बैठे रहे, ताकि प्रमोशन की सीढ़ी चढ़ सकें?

₹50,000 की बीमा पॉलिसी – और करोड़ों का फायदा?

जानकार सूत्र बताते हैं कि इन फर्जी लोन के साथ SBI लाइफ की पॉलिसी बेची गईं, जिनकी औसत राशि मात्र ₹50,000 थी। लेकिन इन बीमा पॉलिसियों ने अधिकारियों के लिए "क्रॉस सेलिंग टारगेट" का जादू चलाया — और इसके आधार पर उन्हें प्रमोशन का टिकट मिल गया।

अब सवाल है — क्या SBI में अब घोटालों को टारगेट अचीवमेंट कहा जाता है?

क्या बीमा सेल और सर्कल मैनेजमेंट ने मिलकर इसे “परफॉर्मेंस” का मुखौटा पहनाया?

 DMD चंद्रशेखर शर्मा की चुप्पी क्यों?

CGM से DMD बने चंद्रशेखर शर्मा अब सवालों के घेरे में हैं। क्या उन्हें इस पूरे मामले की भनक नहीं थी? या फिर उनके संरक्षण में ही यह खेल खेला गया? क्या प्रमोशन की हड़बड़ी ने ईमानदारी और पारदर्शिता को कुचल दिया?

इतिहास खुद को दोहरा रहा है?

पहले भी SBI पर इसी तरह के घोटाले उजागर हुए थे — पर समय के साथ दबा दिए गए।क्या इस बार भी वही होगा? या फिर कोई स्वतंत्र जांच एजेंसी सच्चाई की परतें खोलेगी?

अब देर नहीं – चाहिए न्याय और जवाबदेही!

अब वक्त आ गया है कि RBI, वित्त मंत्रालय और SBI चेयरमैन खुद इस मामले में हस्तक्षेप करें।

क्या वर्तमान GM कुंदन ज्योति और DMD चंद्रशेखर शर्मा की भूमिका की निष्पक्ष जांच होगी?

क्या दोषियों को सज़ा मिलेगी? या फिर “क्रॉस सेलिंग” और “टारगेट अचीवमेंट” की आड़ में ये मामला भी दफना दिया जाएगा?

यह केवल एक घोटाला नहीं — यह देश के सबसे बड़े बैंक की साख पर हमला है! हर ईमानदार कर्मचारी, हर ग्राहक और हर करदाता को इसका जवाब चाहिए!


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Content Editor

Himansh sharma

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