बदहाली का शिकार देवी भादवा मंदिर ! कागजों में दबी करोड़ों की योजना, लाखों श्रद्धालुओं की आस्था तार-तार

Saturday, Jul 12, 2025-06:01 PM (IST)

नीमच (मूलचंद खींची) : मध्य प्रदेश के नीमच में स्थित वैष्णो देवी अरोग्य की देवी भादवा माता का धाम में लोग दूर दूर से दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर से करोड़ों भक्तों की आस्था सदियों से जुड़ी हुई है। इस मंदिर में लकवाग्रस्त रोगी घुटनों के बल चलकर आते हैं और मां की चमत्कारिक बावड़ी से नया जीवन पाते हैं। उसी मालवा की वैष्णो देवी, आरोग्य की देवी भादवा माता का धाम आज उपेक्षा और बदहाली का शिकार है। 'भादवा माता लोक' का सपना, जो कभी महाकाल लोक की तर्ज पर बुना गया था, आज अधूरे निर्माण में बदल चुका है और इसके साथ ही लाखों श्रद्धालुओं की आस्था भी तार-तार हो रही है।

तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 30 नवंबर 2022 को 10 करोड़ की लागत से जिस भव्य लोक का भूमि पूजन किया था, 30 करोड़ रुपये की विशाल योजना, जिसमें कॉरिडोर, पात्रा, शिखर और गर्भगृह का निर्माण होना था, वो आज सिर्फ एक कागज़ी घोषणा बनकर रह गई है। क्या यही है हमारी सरकार और प्रशासन का हमारी आस्था के प्रति समर्पण?

बदहाली का मंज़र, आंसुओं में डूबी आस्था

पहले चरण में जिस तेज़ी से काम शुरू हुआ था, उसने भक्तों के दिलों में उम्मीद जगाई थी कि जल्द ही उनकी मां का धाम एक दिव्य रूप लेगा। लेकिन आज वही उम्मीदें धूल फांक रही हैं। बारिश के दिनों में मंदिर का हाल देखकर आंखें नम हो जाती हैं। गर्भगृह तक गंदा पानी टपक रहा है, परिसर में चारों ओर कीचड़ और गंदगी का अंबार है। जिस स्थान पर हर कदम पवित्रता का अहसास दिलाना चाहिए, वहां आज अधूरे निर्माण का भयावह मंज़र है।

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पुजारी भी इस पीड़ा को महसूस कर रहे हैं। वे कहते हैं, देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां आते हैं, लेकिन इस बदहाली को देखकर उनकी आस्था को गहरी चोट पहुंचती है। जहां पहले आरती में सैकड़ों लोग उमड़ते थे, आज उनकी संख्या में भी कमी आई है। भादवा माता मंदिर समिति के प्रबंधक अजय ऐरन का यह कहना कि शिखर निर्माण की राशि अभी तक स्वीकृत नहीं हुई है। कहीं न कहीं प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता पर सवाल खड़े करता है। क्या हमारी आस्था इतनी सस्ती हो गई है कि उसे बजट की मंजूरी का इंतज़ार करना पड़े?

आरोग्य की देवी बदहाल, कब जागेगा प्रशासन?

भादवा माता, जिन्हें आरोग्य की देवी माना जाता है, जिनके चमत्कारिक जल में स्नान कर अनगिनत लोगों ने नया जीवन पाया है - उन्हीं के धाम की यह दुर्दशा हृदय विदारक है। यह सिर्फ एक निर्माण कार्य का अधूरापन नहीं, यह लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं और विश्वास पर गहरा आघात है।

यह सवाल उठता है कि जब चुनाव नज़दीक आते हैं तो जनप्रतिनिधियों को हमारी आस्था याद आ जाती है, बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन फिर विकास के नाम पर सिर्फ जुमलेबाजी ही क्यों होती है? क्या प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के लिए लाखों करोड़ो लोगों की आस्था की कोई कीमत नहीं है? इस गंभीर समस्या पर उनकी खामोशी एक बड़े सवाल को जन्म देती है।

समय आ गया है कि प्रशासन तत्काल जागे और इस अधूरे निर्माण कार्य को पूरा करे। भादवा माता मंदिर को उसकी पुरानी गरिमा वापस दिलाना सिर्फ एक विकास कार्य नहीं, यह लाखों श्रद्धालुओं की टूटी हुई आस्था को जोड़ने का प्रयास होगा। क्या सरकार और प्रशासन श्रद्धालुओं की भावनाओं को समझेंगे, या भादवा माता लोक का सपना यूं ही अधूरा रह कर लाखों-करोड़ों दिलों को छलनी करता रहेगा?


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Content Writer

meena

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