क्या बाबरिया को भारी पड़ गई सिंधिया की नजदीकी?

5/1/2020 5:43:43 PM

भोपाल: भले ही सिंधिया ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया हो, लेकिन उनके कांग्रेस छोड़ने के बाद से अब कांग्रेस उनके विकल्प की तलाश कर रही है। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के सिंधिया पर हमले की बयार ऐसी चली कि छुटभैये नेता जो कभी सिंधिया की चरण रज मात्र पाकर अपने आप को उपकृत मानते रहे। आज वे भी सिंधिया को गद्दार और धोखेबाज जैसे शब्दों से महिमामंडित करने का साहस महज इसलिए दिखा पा रहे हैं कि शायद मध्यप्रदेश में कांग्रेस के खैवनहार की दृष्टि उनकी ओर हो जाए।

PunjabKesari, Madhya Pradesh, Bhopal, Deepak Babriya, Jyotiraditya scindia, Congress, BJP

खैर जो भी हो सिंधिया तो कांग्रेस छोड़कर चले गए, इस बीच पार्टी में कई बदलाव देखने को मिले, लेकिन इन सब के बीच जो एक चीज नहीं बदली, इस बीच एक और बदलाव हुआ और वो है मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी दीपक बाबरिया का, जी हां उन्हें इस पद से हटा दिया गया। बताया जा रहा है कि ये सब इसलिए हुआ क्योंकि सिंधिया के कांग्रेस में रहते उनके द्वारा समय-समय पर आलाकमान को यह चेतावनी दी जाती रही है, कि मध्यप्रदेश में सिंधिया की अनदेखी या उपेक्षा कांग्रेस को भारी पड़ सकती है। संभव है सरकार भी चली जाए। यह अभी नहीं 20 मार्च को मुख्यमंत्री के रुप में अपनी सरकार का इस्तीफा राज्यपाल को सौंपन से पहले यानि 27 फरवरी को आलाकमान को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दीपक बाबरिया ने कहा था। यही नहीं उनके द्वारा सोनिया गांधी से मुलाकात कर मध्यप्रदेश सरकार पर मंडरा रहे संकट से अवगत भी करा दिया था।

PunjabKesari, Madhya Pradesh, Bhopal, Deepak Babriya, Jyotiraditya scindia, Congress, BJP

दरअसल बाबरिया को किनारे करने की मुहिम तभी शुरू हो गई थी, जब बाबरिया ने दिग्विजय सिंह-उमंग सिंघार विवाद में कांग्रेस आलाकमान को दी अपनी रिपोर्ट में दिग्विजय सिंह को विवाद बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहराया था। उनका कहना था कि उमंग सिंघार युवा नेता हैं अतः अनुभव कम है। लेकिन दिग्विजय सिंह जैसे नेता को गंभीरता दिखाते हुए मामले को बढ़ने से रोकना चाहिए। यही नहीं उनकी रिपोर्ट में दिग्विजय सिंह द्वारा मंत्रियों को लिखी गई चिट्ठी पर भी सवाल खड़े किए थे। यही कारण रहा था कि उस मामले में अब तक कांग्रेस आलाकमान कोई कार्रवाई नहीं कर सका है। लेकिन दिग्विजय सिंह के दिमाग में बाबरिया की यह रिपोर्ट छप चुकी थी। सो जब मौका मिला हथौड़ा मार दिया। अब जबकि सिंधिया कांग्रेस के नहीं रहे और कांग्रेस की सरकार भी मध्यप्रदेश में नहीं रही तब कमलनाथ के दीमाग में यह बैठाया गया कि सरकार के संकट की जानकारी होने के बावजूद मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते बाबरिया को उन्हें को अवगत कराना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा न कर सिंधिया का साथ दिया।

PunjabKesari, Madhya Pradesh, Bhopal, Deepak Babriya, Jyotiraditya scindia, Congress, BJP

कमलनाथ की इसी शिकायत पर कांग्रेस आलाकमान ने बाबरिया से मध्यप्रदेश का प्रभार छीनकर मुकुल वासनिक को नया प्रभारी महासचिव नियुक्त कर दिया है। वर्ना तो बाबरिया ने खुद लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद अपना इस्तीफा राहुल गांधी को सौंप दिया था, लेकिन तब राहुल गांधी को बाबरिया नहीं कमलनाथ से इस्तीफे की उम्मीद रही थी। जो नहीं आया। इसलिए बाबरिया का इस्तीफा भी नामंजूर हो गया।

PunjabKesari, Madhya Pradesh, Bhopal, Deepak Babriya, Jyotiraditya scindia, Congress, BJP

बड़ा सवाल? जब युवा को ही कमान सौंपी थी तो सिंधिया को क्यों नहीं दी गई जिम्मेदारी

सभी बातों से उलट कांग्रेस की तरफ से यह दावा किया जा रहा है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान अब युवाओं के हाथ में सौंपने के उद्देश्य से यह परिवर्तन किया गया है। निकट भविष्य में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव से पहले प्रदेश में पार्टी का जनाधार बढ़ाकर मजबूत उम्मीदवारों को चुनावी रण में उतारने की कवायद मुकुल वासनिक, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ मिलकर करेंगे। अब यहां सवाल यह भी उठ रहा है, जिसे कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने नेताओं से पूंछ रहे हैं कि जब प्रदेश की कमान युवा को ही सौंपनी थी, तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला क्यों नही लिया गया। यदि तब यह फैसला लिया गया होता, तो शायद कमलनाथ सरकार का पतन नही हुआ होता। माना कि मुख्यमंत्री के चयन में वरिष्ठता के नाते सिंधिया की मेहनत को किनारे कर दिया गया था। परन्तु बाद में तो इस गलती को सुधारा जा सकता था।

 PunjabKesari, लMadhya Pradesh, Bhopal, Deepak Babriya, Jyotiraditya scindia, Congress, BJP

क्या सिंधिया की जगह ले पाएंगे वासनिक...

कांग्रेस में पहले तीन बड़े चेहरे थे। कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया। सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद खाली हुई जगह को भरने के लिए मुकुल वासनिक पर कांग्रेस पार्टी ने भरोसा जताया है। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वासनिक प्रदेश में पार्टी का चेहरा बनेंगे। साथ ही ग्वालियर चंबल इलाके में सिंधिया के खाली हुए स्थान को भर पाएंगे। यदि ऐसा होता है, तो आने वाले उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती जरूर बन सकती है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Vikas kumar

Recommended News

Related News