एंबुलेंस का भी काटा चालान, लेकिन कार वालों से पूछा भी नहीं... ये भेदभाव नहीं तो क्या है?

1/12/2022 12:45:25 PM

छतरपुर (राजेश चौरसिया): कोरोना कॉल की तीसरी लहर और ओमीक्रोन की दस्तक के चलते शासन प्रशासन भारी अलर्ट नजर आ रहा है। जहां शासन द्वारा जारी गाइड लाइन के तहत मास्क न लगाने वालों पर चालानी कार्रवाई की जा रही है।

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शहर के छत्रसाल चौराहे कारखाने पर यह चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें पुलिस, प्रशासन, और नगरपालिका के अधिकारी कर्मचारी संयुक्त रूप से शामिल हैं। चालान के दौरान यहां यह आकलन किया जाता हो कि व्यक्ति अमीर है या गरीब, रसूखदार है या आम.. दरअसल यहां व्यक्ति और उसका रसूख ओहदा देखकर कार्रवाई की जाती है। जो रसूखदार होते हैं उनका चालान नहीं होता... जो गरीब और आम होता है उसका चालान किया जाता है। आपको बता दें कि पहले भी एक ऐसा ही वीडियो वायरल हो चुका है जिसमें कार वालों का चालान नहीं काटा गया और बाइक, पैदल वालों को दौड़ा दौड़ाकर पकड़ा गया।

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तस्वीरों में आप देख सकते हैं किस तरह एंबुलेंस को रोककर उसका चालान किया जा रहा है। जबकि उसके अंदर नवजात बीमार बच्चा और उसकी मां बैठी है, जो कि अपने बीमार बच्चे को गंभीर हालत में जिला अस्पताल के SNCU वार्ड में भर्ती कराने ले जा रही है। बावजूद एंबुलेंस को रोककर जबरन चालान किया गया। यहां जिले के आला जिम्मेदार अधिकारी खड़े रहे पर किसी ने भी दया नहीं दिखाई और न ही मानवीय आधार पर बख्शा, यह तक नहीं देखा कि उसका बच्चा गंभीर बीमार है और पैसे देने की स्थिति में नहीं है। बावजूद उसकी एम्बुलेंस को रोके रखा। मजबूरी में एम्बुलेंस चालाक ने 100 रूपये अपनी जेब से निकालकर दिए तब कहीं अस्पताल जाने दिया। एम्बुलेंस के पायलट ड्राइवर का आरोप है कि उसे 20-25 मिनट आधे घंटे तक रोके रखा पैसे देने और चालान कटवाने के बाद ही जाने दिया गया। एंबुलेंस में सवार बच्चा गंभीर बीमार था ऐसे में उसकी जान भी जा सकती थी यो भला फिर उसका जिम्मेदार कौन होता।

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मामले पर ज़ब हमने मौके पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारी नायब तहसीलदार अंजू लोधी से बात की तो उन्होंने पहले तो कोरोना गाईडलाइन के तहत सारे नियम कानून बता दिए। पर ज़ाब हमने पैदल और बाईक वालों के चालान करने कार वालों के न करने पर सवाल किया तो समझाईश की बात करने लगीं और वहीं ज़ब एम्बुलेंस के चालान की बात पूछी तो अवाक रह गईं और बात को घुमाते हुए मामले से अनभिज्ञता जाहिर कर दी। मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि छतरपुर में सरेआमा दोगली नीति अपनाकर कानून की धज्जियां तो उड़ाई ही जा रहीं हैं, तो वहीं जिले के जिम्मेदारों पर सवालिया निशान भी खड़े हो रहे हैं। 


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Content Writer

Vikas Tiwari

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