पुश्तैनी जमीन के लिए एक बुढ़े किसान का संघर्ष, अधिकारी-कर्मचारी की मनमानी में उलझा मामला
Friday, May 06, 2022-06:27 PM (IST)

रीवा (सुभाष मिश्रा): वैसे तो सरकार ने लंबित मामलों को कम समय के अंदर पूरे करने के निर्देश दिए है। किसानों की जमीन की समस्या का निदान, हफ्ते या 15 दिन के अंदर ही किया जाना होता है। लेकिन यहां कर्मचारी, कलेक्टर के निर्देश की धज्जियां उड़ा रहे हैं। चाहे गलत फील्डिंग को सुधरवाना हो, चाहे नक्शा पास करवाना हो। लेकिन राजस्व के अधिकारी ना तो अपने विभाग की सुन रहे हैं और ना ही सरकार की सुनते हैं। जब इनके पास सुधारवाने के लिए जाते हैं तो कहा जाता है कंप्यूटर को ही जिम्मेदार ठहरा देते है। इसी तरह का मामला ग्राम हरदौली निवासी लालभोर मिश्रा की पुश्तैनी जमीन का सामने आया है।
किसान की जमीन दूसरे के नाम करवा दी
किसान लालभोर मिश्रा का कहना है कि मेरी पुश्तैनी जमीन हरदौली बौसड़ ओवरी की 26 एकड़ है। जिसे पूर्व तहसीलदार जाहर सिंह व उसी समय पदस्थ पटवारी चंद्रभान कोल द्वारा जानबूझकर रणजीत पांडे, जगदीश पांडे, चंद्रमणि पांडे निवासी दोदर व और जमीन लाल मुनीम कुमार संतोष पिता राजकिशोर, मंगल प्रसाद के नाम दर्ज कर दी गई है, जिससे मेरे परिवार का निवाला छिन गया है और मैं भूमिहीन हो गया हूं और कोई कमाई का साधन भी नहीं है। मेरी उम्र 75 वर्ष है, मैं राजस्व के दफ्तर का चक्कर काटते काटते परेशान हो गया हूं। अगर मुझे न्याय नहीं मिला तो मे अपने परिवार सहित जिला प्रशासन के सामने आत्मदाह कर लूंगा।
तहसील में तहसीलदार हमारी समस्या को नहीं सुन रहे हैं। पटवारी की मनमानी रवैया से गरीब किसान भूमिहीन हो गया है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है। पटवारी की मनामनी के खिलाफ विभाग कोई ध्यान क्यों नहीं दे रहा है।