पत्नी को फोन का पासवर्ड बताने के लिए मजबूर करना घरेलू हिंसा - छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
Friday, Aug 01, 2025-01:19 PM (IST)

रायपुर: पत्नी को उसका फोन या बैंक खाते के पासवर्ड साझा करने के लिए मजबूर करना घरेलू हिंसा के दायरे में आता है। जी हां छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसला सुनाया है। कोर्ट के फैसले के अनुसार, एक पति अपनी पत्नी को उसका मोबाइल फोन या बैंक खाते के पासवर्ड साझा करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है। यदि पति ऐसा करता है तो यह पत्नी की निजता का उल्लंघन होगा। इसे घरेलू हिंसा का कृत्य माना जा सकता है।
जस्टिस राकेश मोहन पांडे ने जोर देकर कहा कि भले ही वैवाहिक संबंधों में पति और पत्नी जीवनसाथी की तरह जिंदगी गुजारते हैं, लेकिन यह व्यक्तिगत निजता के अधिकारों को नकारता नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया, 'विवाह पति को पत्नी की निजी जानकारी, संचार और व्यक्तिगत सामान तक स्वचालित पहुंच प्रदान नहीं करता है। पति अपनी पत्नी को उसके सेलफोन या बैंक खाते के पासवर्ड की जानकारी साझा करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है।' कोर्ट ने कहा कि 'निजता और पारदर्शिता की आवश्यकता के साथ-साथ रिश्ते में विश्वास के बीच संतुलन होना चाहिए।'
पति ने दी तलाक की अर्जी
दरअसल, एक याचिकाकर्ता पति ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत फोन का पासवर्ड न बताने को क्रूरता बताया था और इसको आधार बताते हुए तलाक के लिए आवेदन किया था। उसने अपनी पत्नी पर चरित्र संदेह का आरोप लगाया था और दुर्ग के एसएसपी से उसकी कॉल डिटेल रिकॉर्ड देने के लिए अनुरोध किया था। वहीं पत्नी ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए लिखित में बयान दिए।
फैमिली कोर्ट भी कर चुका पति की याचिका खारिज
मामले में पति फैमिली कोर्ट में भी इसी तरह का आवेदन दायर कर चुका था। लेकिन वहां भी उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी। हाई कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय केएस पुट्टस्वामी, पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज और मिस्टर एक्स बनाम हॉस्पिटल जेड का हवाला देते हुए इस बात की पुष्टि की और कहा कि निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।