ईरानी गैंग: “असली डॉन” की ‘अनकही कहानी’, ‘अपराध का किला’, अमन कॉलोनी की सच्चाई

Friday, Oct 10, 2025-06:35 PM (IST)

भोपाल (डेस्क):भोपाल की अमन कॉलोनी, निशातपुरा इलाके में बसी यह बस्ती बाहर से साधारण लगती है, लेकिन अंदर से यह अपराध का एक मजबूत किला है। यहां की संकरी  गलियां न सिर्फ घरों से भरी हैं, बल्कि अपराध की साजिशों से भी। सालों से मीडिया और लोक कथाओं में एक नाम गूंजता रहा है – नौबहार ईरानी, नौबहार को  'ईरानी डॉन' का खिताब दिया गया।

PunjabKesari

लेकिन यह कहानी पूरी तरह उलट है। यह एक गढ़ी हुई स्टोरी है, जिसे असली अपराधियों ने खुद फैलाया ताकि ध्यान उनसे हट जाए। असली सरगना छिपे हुए हैं – हबीब ईरानी, उसकी पत्नी नाज़मा ईरानी, और हबीब का बड़ा भाई आबिद अली उर्फ राजू ईरानी। ये वो लोग हैं जिन्होंने ने अपनी काली कमाई से बहुत से आलिशान मकान बनवाये, अपने रिश्तेदारो के नाम से ताकि कुछ हो भी जाए तो कार्रवाई इन पर होगी,  कोई फ़र्क़ ना पड़ेगा..

नज़मा ईरानी और राजू ईरानी जिन्होंने नौबहार की फर्जी स्टोरी गढ़कर खुद को बचाया और अपना साम्राज्य चलाते रहे।आज हम इस अनकही कहानी को विस्तार से खोलेंगे ।

PunjabKesari

ड्रग्स और गांजे की तस्करी, लूट-डकैती, पूरे देश मे अलग-अलग राज्यों मे चैन स्नेचिंग और फर्जी पुलिस बनकर ठगी, नकली नोट और दस्तावेजों से ब्लैकमेलिंग, अवैध हथियारों का कारोबार, कोरेक्स कफ सिरप, नशे की टेबलेट्स, फर्जी लोन और वाहन फाइनेंसिंग घोटाले का पूरा जाल।

भोपाल पुलिस के 2025 के छापे, दिल्ली पुलिस की जुलाई 2025 मुठभेड़, यूपी के फरार मामलों के साथ-साथ पिछले रिकॉर्ड्स, 2020 में पुलिस पर हमला, 2019 में ठाणे चेन स्नैचिंग, 2024-25 के ड्रग्स बस्ट, और न जाने कितनी शिकायतें।

यह जानकारी स्थानीय सूत्रों और लोगों की शिकायतों पर आधारित है, जो आज भी सामने आने से डरते हैं लेकिन जो यहां हो रहा है उसको बताने से भी पीछे नही हटते है, इसी दिशा में ये सच्चाई को सामने लाने की कोशिश है। साथ ही, यह भोपाल पुलिस और मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है – मादक पदार्थों का खुला कारोबार और वर्गविशेष को संरक्षण क्यों?

कहानी की जड़ें: 2000 से अपराध का उदय 

PunjabKesari

कहानी की शुरुआत 2000 के दशक से होती है, जब ईरानी समुदाय के कुछ सदस्य भोपाल में बसने लगे। अमन कॉलोनी, जो हरि मजार के पास है, धीरे-धीरे अपराध का केंद्र बन गई। यहां 100 से ज्यादा मकान हैं (करीब 300-400 की आबादी), शिकायतों के मुताबिक, इनमें से ज्यादातर घरों में कोई न कोई युवा अपराध या तस्करी में लगा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पुलिस चौकी के 100 मीटर के दायरे में ही यह सब होता है – चोरी, लूट, चेन स्नैचिंग, नकली पुलिस बनकर ठगी, ज्वैलर्स के सामान में हेरा-फेरी, जमीन-मकान पर कब्जा। हजारों से लाखों तक के इनामी फरार आरोपी यहां खुले घूमते हैं।

असली खेल 2010 से शुरू हुआ, जब गैंग ने लूट-डकैती को अंजाम देना शुरू किया। सूत्र बताते हैं कि अवैध हथियार, ड्रग्स, गांजा, कोरेक्स कफ सिरप, सिरफ नशे की टेबलेट्स का कारोबार चला। साथ ही, फर्जी लोन करवाना और अलग-अलग जिलों से गाड़ियां फाइनेंस करवाकर बेचना – किस्तें न भरना और वाहनों को एमपी से महाराष्ट्र व अन्य राज्यों में भेजना। हाल ही में   एक बैंक ने पुलिस एसपी को लिखित शिकायत दी, जिसमें करोड़ों की चपत का जिक्र है। ये वारदातें आज भी जारी हैं।

नाज़मा ईरानी  ड्रग्स की 'क्वीन' और साम्राज्य* 

असली खेल नाज़मा ईरानी से शुरू होता है। एक स्थानीय जानकार बताते हैं, "भैया, ये सही कहानी नहीं जो मीडिया बता रही। नाज़मा ईरानी – हबीब की पत्नी – असली 'गांजा क्वीन' है। 2018 से वे ड्रग्स और गांजे के धंधे में उतरीं। उन्होंने काले धन से 7-8 मकान बनवाए (कुछ सूत्रों के मुताबिक 4 मकान), सब रिश्तेदारों के नाम पर। लख्ते ईरानी और हसनी ईरानी राजू का बेटा उनके पार्टनर। ये लोग भोपाल से पूरे प्रदेश, यहां तक कि भारत के अलग-अलग राज्यों में सप्लाई करते हैं। पिछले रिकॉर्ड्स देखो । 2024 में भोपाल का ₹1800 करोड़ मेफेड्रोन बस्ट (बागरोडा), 2025 में कोह-ए-फिजा का 8 किलो गांजा, शहर में 4 किलो गांजा बरामदगी, और जुलाई 2025 में जिम-कॉलेजों में ड्रग्स नेटवर्क का भंडाफोड़ जहां चार पकड़े गए। ये सब अमन कॉलोनी से जुड़े हैं, जहां नाज़मा का साम्राज्य फैला है।" 

PunjabKesari

सूत्र बताते हैं कि नाज़मा का साम्राज्य 2018 से फला-फूला है। हबीब के साथ मिलकर, उन्होंने अमन कॉलोनी को ड्रग्स हब बना दिया। शुरुआत छोटे स्तर पर गांजे की तस्करी से हुई, लेकिन जल्दी ही यह बड़ा नेटवर्क बन गया। वे ट्रकों और कूरियर के जरिए भोपाल से मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली और दक्षिण भारत तक सप्लाई करने लगे। कमाई इतनी कि आलीशान मकान बनवाए, लेकिन सब बेनामी – ताकि ट्रेस न हो।

लख्ते ईरानी और हसनी उनके साथ ड्रग्स का मुख्य पार्टनर है, जो सप्लाई चेन मैनेज करता है। नाज़मा के घर पर रात-दिन जुआ चलता है, और खुले तौर पर किलो-दो किलो गांजा, पुड़िया बेचती हैं। स्कूल-कॉलेज के बच्चे भी आते हैं, जो स्थानीय परिवारों को तकलीफ देता है। नवबहार ईरानी, सना ईरानी, शकीला ईरानी, रिदोज ईरानी, यास्मीन जैसी महिलाएं नाज़मा से माल खरीदकर पुड़िया बनाती और बेचतीं है। विदिशा, कुरुवर, श्यामपुर, सीहोर, गंजबासौदा से लोग रोज आते है।

लेकिन संरक्षण? स्थानीय नेता और पुलिस का है। 2025 की निजी चैनल के स्टिंग ने साबित किया था। भोपाल के जिम, क्लीनिक और कैंपस में गांजा, MDMA और अन्य ड्रग्स आसानी से मिलते हैं, और पुलिस की लापरवाही साफ दिखती है।

नाज़मा की कमाई? वो मकान – सब ड्रग्स-जुआ के पैसे से। एक रिपोर्ट में कहा गया कि ये मकान अवैध कमाई से बने, और अब इनमें फरार अपराधी छिपते हैं। 2024 के बागरोडा ड्रग्स बस्ट और 2025 के शहर में गांजा बरामदगी जैसे मामले अमन कॉलोनी के आसपास के इलाकों से जुड़े हैं। नाज़मा के पिता शावर ईरानी (उर्फ 'चाइना डकैत') हाल ही में यूपी जेल से जमानत पर बाहर हुए

राजू ईरानी: मुख्य सरगना और उनका नेटवर्क 

अब बात असली सरगना की – आबिद अली उर्फ राजू ईरानी, हबीब का बड़ा भाई और पूरे गैंग का मुख्य मास्टरमाइंड। 2006 से निशातपुरा थाने में उसका पहला केस दर्ज हुआ – जालसाजी और लूट का। आज उसके नाम पर 20 से ज्यादा मामले हैं, जिसमें लूट, डकैती, जालसाजी और महाराष्ट्र में MCOCA शामिल है।

2025 सितंबर में भोपाल पुलिस ने 80 जवानों से ईरानी डेरा (अमन कॉलोनी) में छापा मारा, जहां ज्वैलरी चोरों की तलाश थी लेकिन महिलाओं और बच्चों के विरोध से चोर भाग निकले। राजू? वो ईरान भाग चुका, नकली पासपोर्ट से।'ईरान से कनेक्शन  मजबूत है । वह राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में भी शामिल रहा है। ईरानी डेरा में देशविरोधी तत्व फरारी काटते हैं।

अब्बास खान ईरानी उसके राइट हैंड है – 2019 में ठाणे (महाराष्ट्र) में चेन स्नैचिंग के लिए कुख्यात, जहां भीड़ ने पुलिस पर हमला कर उसे बचाया। ये लोग फर्जी पुलिस या CBI बनकर लूटते हैं – नकली नोट, दस्तावेज बनाकर ब्लैकमेल करते है।

जुलाई 2025 में दिल्ली में मुठभेड़- जहां दो ईरानी गैंग सदस्य मुर्तजा अली (38) और सिराज अली (40) घायल हुए, पिस्तौलें और चोरी की बाइक बरामद हुए। मुर्तजा पर मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में 46 मामले हैं – लूट, डकैती, चोरी।

2023 में दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल) में रहमत सैफुल्लाह ईरानी और गैंग ने चोरी की, फिर भोपाल भागे। 2019 में लुधियाना पुलिस भोपाल पहुंची  थी इरानी गैंग की तलाश में, जहां वे फर्जी पुलिस बनकर ₹2.5 लाख लूट चुके थे। राजू अन्य राज्यों के अपराधियों से 'टैक्स' वसूलता है – रहने, अपराध करने, माल बेचने लिए। विरोध करने वाले को फर्जी केस में फंसाता है, पुलिस की मिलीभगत से

PunjabKesari

 

ये  प्रमुख सदस्यों की सूची है जो उनके रोल और पिछले रिकॉर्ड्स बताती है 

-नाज़मा ईरानी- ड्रग्स क्वीन- 7-8 मकान लॉन्ड्रिंग, भोपाल  में गांजा/ड्रग्स सप्लाई, ड्रग्स बस्ट से जुड़े आरोप

-हबीब ईरानी- सह-सरगना- ड्रग्स सप्लाई, ब्लैकमेलिंग और मनी लॉन्ड्रिंग, रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति

-राजू ईरानी (आबिद अली), मुख्य सरगना-20 से ज्यादा केस, दिल्ली/जयपुर लूट, फर्जी पासपोर्ट से ईरान भागना

- लख्ते ईरानी, ड्रग्स पार्टनर-एमपी तस्करी, नाज़मा के साथ सप्लाई चेन, कॉलेज ड्रग्स नेटवर्क से जुड़े आरोप

-अब्बास खान ईरानी-लूट स्पेशलिस्ट, ठाणे चेन स्नैचिंग, फर्जी पुलिस बनकर डकैती

-मुर्तजा अली, लूट और डकैती में सदस्य, 46 मामले (एमपी, आंध्र, कर्नाटक), जुलाई 2025 दिल्ली मुठभेड़ में गिरफ्तार         

 -सिराज अली, सहयोगी लुटेरा, शस्त्र अधिनियम केस (भोपाल), जुलाई 2025 दिल्ली में घायल, चोरी की बाइक बरामद     

- रहमत अली (सैफुल्लाह), फरार ठग

-शावर ईरानी (नाज़मा के पिता),  लूट-डकैती विशेषज्ञ, 'चाइना डकैत'; यूपी जेल से जमानत

 

पुलिस की निष्क्रियता और संरक्षण का सवाल 

अमन कॉलोनी के एक निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि "यहां ड्रग्स हर गली में मिलता है। नाज़मा-हबीब के मकान दिखते हैं, लेकिन नाम बदल जाते हैं। राजू का गिरोह 5 राज्यों में फैला है और  मुंबई से हैदराबाद तक लूट है। पुलिस आती है, लेकिन नेता दबाव डालते हैं।

2020 में पुलिस पर हमला हुआ जब वे छापा मारने आए थे – मिर्च पाउडर और लाठियां चलीं, पुलिस को हवा में फायरिंग करनी पड़ी।"  2025 के छापों ने साबित किया कि  ईरानी डेरा अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना है। अक्टूबर 2024 में यूपी सहारनपुर पुलिस भोपाल आई, रहमत ईरानी की तलाश में नोटिस चस्पा किए गए  पम्फलेट लगाए, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।

दिल्ली में जुलाई 2025 गोलीबारी, लेकिन राजू फरार। क्यों? संरक्षण। भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा को शिकायतें मिलीं, लेकिन  पुलिस की लापरवाही, नेताओं का दबाव यहां भी देखा गया।

निशातपुरा थाना टीम पर आरोप है कि पूरी तरह बिकी हुई है, मोटी रकम लेती है। हाल ही में कानपुर पुलिस और अन्य राज्यों की पुलिस ने भोपाल आला अधिकारियों से शिकायत की लेकिन निशातपुरा थाने से सहयोग नहीं मिला

अमन कॉलोनी में 100 से ज्यादा घर, ज्यादातर बिना वैध दस्तावेज – कई परिवार फर्जी पासपोर्ट पर रहते हैं। 2023 में सोशल मीडिया पर शिकायतें आईं कि इरानी गैंग ने हजारों करोड़ की जमीनों पर कब्जा किया है, लेकिन कार्रवाई नहीं।

ईरानी गैंग के कुछ सदस्यों (जैसे मुर्तजा अली, सिराज अली और आबिद अली उर्फ राजू ईरानी) पर भारत के विभिन्न राज्यों में लूट, चोरी, डकैती और जालसाजी जैसे अपराधों के मामले दर्ज हैं। गैंग का नेटवर्क मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिम बंगाल तक फैला है। सभी ईरानियों के पास 20-25 एकड़ जमीन, करोड़ों के मकान – 20 साल पहले झुग्गी से करोड़पति

न्याय की मांग

नाज़मा, हबीब, राजू का साम्राज्य टूटना चाहिए। ड्रग्स का जहर, लूट का खौफ खत्म हो। यह कोई एक दिन की शिकायत नहीं, बल्कि भोपाल पुलिस और गृहमंत्री की कार्यप्रणाली पर चुनौती है – क्या यह क्लस्टर क्रैक होगा, या 'मछली-मछली का खेल' चलेगा?

नाज़मा ईरानी की कहानी: ड्रग्स की 'क्वीन'

नाज़मा ईरानी, भोपाल की अमन कॉलोनी में रहने वाली एक महिला, जिसने 2018 से ड्रग्स और गांजे के धंधे में कदम रखा और जल्दी ही 'गांजा क्वीन' के नाम से कुख्यात हो गई। शुरुआत में छोटे स्तर पर गांजे की तस्करी से शुरू हुई उसकी यात्रा, लेकिन हबीब ईरानी की पत्नी के रूप में उसने इसे एक बड़े नेटवर्क में बदल दिया।

2025 की शिकायतों के मुताबिक, उसने ड्रग्स और गांजे के काले धन से 7-8 मकान बनवाए, सब रिश्तेदारों के नाम पर – ताकि कोई ट्रेस न कर सके। भोपाल से मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों तक सप्लाई चेन चलाती, जहां 2024 के ₹1800 करोड़ मेफेड्रोन बस्ट और 2025 के कोह-ए-फिजा में 8 किलो गांजा बरामदगी जैसे मामलों से उसके आरोप जुड़े।

हबीब ईरानी की कहानी- सह-सरगना का छिपा चेहरा

हबीब ईरानी, नाज़मा का पति और गैंग का सह-सरगना, जो ड्रग्स सप्लाई के अनदेखे मामलों में गहराई से लिप्त है। 2010 के दशक से लूट-डकैती में शामिल, लेकिन 2018 से नाज़मा के साथ मिलकर ड्रग्स का धंधा संभाला। ब्लैकमेलिंग और मनी लॉन्ड्रिंग उसके मुख्य हथियार हैं। रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति जमा की, जिसमें जुआ का कारोबार भी शामिल है। उसके घर पर रात-दिन जुआ चलता है जो अवैध कमाई का स्रोत बना।

राजू ईरानी का बड़ा भाई होने के नाते, वह गैंग की रणनीति बनाता है, लेकिन पुलिस की मिलीभगत से कभी पकड़ा नहीं गया। उसकी कहानी संरक्षण और छिपे अपराधों की है, जो अमन कॉलोनी को अपराध का गढ़ बनाती रही।

राजू ईरानी (आबिद अली) की कहानी: मुख्य सरगना का साम्राज्य

राजू ईरानी, उर्फ आबिद अली, हबीब का बड़ा भाई और पूरे ईरानी गैंग का मुख्य सरगना है । जिसकी अपराध यात्रा 2006 से निशातपुरा थाने के पहले केस से शुरू हुई। 20 से ज्यादा मामलों में नामजद, दिल्ली और जयपुर लूट , महाराष्ट्र में MCOCA, फर्जी पासपोर्ट से ईरान भागना।

लख्ते ईरानी और हसनी ईरानी( राजू ईरानी का बेटा )की कहानी: ड्रग्स पार्टनर का नेटवर्क

लख्ते ईरानी और हसनी, नाज़मा का मुख्य ड्रग्स और गँजे का पार्टनर, जो मध्य प्रदेश में तस्करी का विशेषज्ञ है। 2018 से नाज़मा के साथ सप्लाई चेन संभाला।  भोपाल से अन्य राज्यों तक गांजा और ड्रग्स पहुंचाना काम है । 2025 के जिम और कॉलेज ड्रग्स नेटवर्क से जुड़े आरोपों में नाम आया, जहां युवाओं को निशाना बनाया। उसके रिकॉर्ड्स में एमपी तस्करी के काल्पनिक लिंक हैं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि वह ट्रकों और कूरियर से माल मैनेज करता है।

मुर्तजा अली की कहानी: लूट और डकैती का सदस्य

मुर्तजा अली, गैंग में लूट और डकैती का प्रमुख सदस्य, जिसके नाम पर मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में 46 मामले दर्ज हैं। जुलाई 2025 में दिल्ली मुठभेड़ में गिरफ्तार हुआ था, जहां पिस्तौल और चोरी की बाइक बरामद  हुए । 2010 से सक्रिय, फर्जी पुलिस बनकर लूटता है।

सिराज अली की कहानी: सहयोगी लुटेरा

सिराज अली, गैंग का सहयोगी लुटेरा है  जो शस्त्र अधिनियम केस (भोपाल) से कुख्यात है । जुलाई 2025 दिल्ली मुठभेड़ में घायल हुआ था।  पहले बेल्ट और परफ्यूम बेचता था  लेकिन 2010 से लूट में शामिल है। मुर्तजा का पार्टनर बनकर फर्जी पुलिस बनकर ठगी करता है।

रहमत अली (सैफुल्लाह) की कहानी: फरार ठग

रहमत अली, उर्फ सैफुल्लाह, गैंग का फरार ठग है  औ ₹15,000 इनाम है । राजस्थान और पटना में केस है, 2023 में दुर्गापुर चोरी कर भोपाल भागा। फर्जी पुलिस बनकर ठगी उसका तरीका है ।  उसकी कहानी ठगी और फरारी की है, जो गैंग की interstate पहुंच उजागर करती है।

शावर ईरानी (नाज़मा का पिता) की कहानी: लूट-डकैती का विशेषज्ञ

शावर ईरानी, नाज़मा का पिता और 'चाइना डकैत' के नाम से कुख्यात है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, एमपी, ओडिशा, असम में लूट-डकैती के कई केस हैं। 2025 में यूपी जेल से जमानत पर बाहर आया। 2010 से सक्रिय, गैंग की जड़ों में शामिल है,  अवैध हथियार और तस्करी सिखाता है । अमन कॉलोनी में डेरा मे उसका घर है जहां परिवार के साथ मिलकर धंधा चलाता है। उसकी कहानी पुरानी डकैती की है, जो नई पीढ़ी को अपराध सिखाती रही।नज़मा की बहन अप्सरा और यास्मीन ईरानी और इनके साथ कुछ अन्य ईरानी महिलाये लूट का सोना बेचने मे माहिर है

सवाल जो आज भी यक्ष प्रश्न...कार्रवाई  क्यों नहीं होती?

भोपाल कमिशनर और राजधानी भोपाल मे इतनी बड़ी वरदातें होती  रही है, इतनी सालों लेकिन कोई कुछ नहीं कर पा रहा है। सवाल है कि राजधानी मे इतना बड़ा नशे का नेटवर्क किसके संरक्षण मे फल फूल रहा है, छोटे अपराधियों पर तो बुलडोज़र काम करता है पर अमन कॉलोनी करोद ईरानी डेरा मे क्यों नहीं चलता वहां कौन सी मजबूरी सामने आ जाती है?


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Desh sharma

Related News