खैरबाना स्कूल में रहस्य का साया: 15 दिन में 25 छात्राएं बेहोश, कलेक्टर ने दिए मनोवैज्ञानिक जांच के आदेश
Thursday, Dec 18, 2025-10:33 AM (IST)
खैरागढ़। (हेमंत पाल): छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले के छुईखदान विकासखंड अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला खैरबाना इन दिनों एक रहस्यमयी और बेहद चिंताजनक घटना को लेकर चर्चा का केंद्र बनी हुई है। बीते लगभग 15 दिनों से स्कूल पहुंचते ही केवल बालिकाओं की तबीयत अचानक बिगड़ने लगती है। किसी को चक्कर आता है, तो कोई अचानक बेहोश होकर जमीन पर गिर जाती है। अब तक करीब 20 से 25 छात्राएं इस अजीब समस्या से प्रभावित हो चुकी हैं, जिससे पूरे गांव में दहशत और जिज्ञासा का माहौल बन गया है।
स्कूल पहुंचते ही बिगड़ती तबीयत, घर पर पूरी तरह स्वस्थ
इस मामले की सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जो बालिकाएं स्कूल नहीं जातीं या घर पर रहती हैं, उनकी तबीयत बिल्कुल सामान्य रहती है। लेकिन जैसे ही वे स्कूल परिसर में प्रवेश करती हैं, कुछ ही समय में उनमें चक्कर आना, घबराहट, पसीना आना और बेहोशी जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। इस अजीब संयोग ने न सिर्फ अभिभावकों को परेशान किया है, बल्कि डॉक्टरों और प्रशासन को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है।
स्वास्थ्य विभाग लगातार लगा रहा मेडिकल कैंप
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीम पिछले कई दिनों से स्कूल परिसर में प्रतिदिन मेडिकल कैंप लगा रही है। प्रभावित छात्राओं की ब्लड जांच, बीपी, शुगर और अन्य प्राथमिक चिकित्सकीय परीक्षण किए गए। हालांकि, डॉक्टरों के अनुसार अब तक की गई सभी जांच रिपोर्ट सामान्य आई हैं। किसी प्रकार की शारीरिक बीमारी, संक्रमण या खाद्य विषाक्तता के कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले हैं। यही वजह है कि शुरुआत में चिकित्सक भी इस बीमारी के कारण को लेकर असमंजस में रहे।
कलेक्टर ने किया स्कूल का निरीक्षण
मामले की जानकारी मिलते ही खैरागढ़ जिला के कलेक्टर ने स्वयं शासकीय प्राथमिक शाला खैरबाना का दौरा किया। उन्होंने स्कूल परिसर, कक्षाओं और आसपास के वातावरण का निरीक्षण किया तथा स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और स्थानीय अधिकारियों से विस्तृत जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए कि मामले को गंभीरता से लेते हुए हर पहलू से जांच की जाए।
मनोवैज्ञानिक जांच के दिए निर्देश
कलेक्टर ने बीएमओ और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रभावित बालिकाओं की मनोवैज्ञानिक जांच कराई जाए। उनका कहना है कि जब शारीरिक जांच में कोई कारण सामने नहीं आ रहा है, तो मानसिक और भावनात्मक पहलुओं की जांच जरूरी है, ताकि समस्या की जड़ तक पहुंचा जा सके।
डॉक्टरों का शुरुआती आकलन: मास हिस्टीरिया की आशंका
स्वास्थ्य विभाग के प्रारंभिक आकलन में डॉक्टरों ने इसे “मास हिस्टीरिया” या “सामूहिक मानसिक प्रभाव” का मामला बताया है। चिकित्सकों के अनुसार कई बार डर, तनाव, अफवाह या किसी अनजानी आशंका के कारण बच्चों में एक-दूसरे को देखकर समान लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। खासकर स्कूल जैसे माहौल में, जहां बच्चे लंबे समय तक साथ रहते हैं, इस तरह की मानसिक प्रतिक्रिया तेजी से फैल सकती है।
अभिभावकों में चिंता, प्रशासन सतर्क
लगातार हो रही घटनाओं के चलते अभिभावकों में अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई है। वहीं स्कूल प्रबंधन और प्रशासन भी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सतर्कता बरत रहा है। फिलहाल प्रशासन ने अभिभावकों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं, अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करें।
अब सभी की निगाहें मनोवैज्ञानिक जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही इस रहस्यमयी बीमारी के पीछे की असली वजह सामने आ सकेगी। तब तक खैरबाना स्कूल और पूरा गांव इस अनोखी घटना को लेकर बेचैनी और उत्सुकता के बीच जी रहा है।

