इस नन्हें से बालक ने जीता स्वर्ण पदक, मुंह जुबानी याद है शिव तांडव

Saturday, May 07, 2022-05:20 PM (IST)

भोपाल (विवान तिवारी): राजधानी भोपाल के खजूरी कला निवासी माधवेंद्र प्रताप शर्मा महज 9 वर्ष की उम्र में ही भारत ही नहीं पूरे बल्कि विश्व में अपने बेहतरीन शतरंज के खिलाड़ी के रूप में पहचान बनाई है। इतनी छोटी सी उम्र में माधवेंद्र, जिन्हें घर पर गोविंदा कहा जाता है, उन्होंने बीते कुछ वर्षों में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर, यह बता दिया है कि वह आने वाले समय में भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के एक बेहतरीन शतरंज खिलाड़ी बनकर उभर सकते हैं। PunjabKesari

 

व्हाट्सएप, फेसबुक से रहते हैं कोसों दूर

गोविंदा 5 वर्ष की उम्र से ही शतरंज खेल रहे हैं और उसी उम्र में जब पहली बार जिला स्तरीय शतरंज प्रतियोगिता में भाग लिया था। तब उसमें प्रथम स्थान प्राप्त किया था। जब उनसे उनके खेल के जज्बे को लेकर के खास बातचीत की तो उन्होंने यह बताया कि मुझे शतरंज के अलावा किसी और खेल में कोई रुचि नहीं है। न तो वह टीवी देखते हैं ना ही फोन यूज करते हैं, व्हाट्सएप, फेसबुक से कोसों दूर बैठे हुए हैं।

 

छोटी सी उम्र में जीता स्वर्ण पदक  

अगर कभी वह यूट्यूब चलाते भी हैं तो सिर्फ उसमें शतरंज से जुड़े वीडियोस को ही देखा करते हैं। इससे यह साफ समझा जा सकता है कि एक 9 वर्ष का बच्चा सिर्फ अपने खेल को ही जी रहा है। उन्होंने 2019 में हुए कॉमनवेल्थ गेम तथा कई अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं भी भाग लेकर कई पदक जीत चुके है। वहीं एक स्वर्ण पदक भी अपनी झोली में इतने छोटी सी उम्र में कर चुके हैं।

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मुंह जुबानी याद है शिव तांडव

इसी दौरान जब उनके पिता से खेल के अलावा इनके अन्य चीजों के बारे में बातचीत हुई तो उनके पिता ने बताया कि इन्हे पूरा शिव तांडव याद है और मुंह जुबानी गाया करते हैं। माधवेंद्र, हर दिन 6 से 7 घंटे शतरंज की प्रैक्टिस किया करते हैं। 


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News Editor

Devendra Singh

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