राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर बड़ा मंथन: MP बना देश का अग्रणी राज्य, राज्यपाल, CM और केंद्रीय मंत्री ने रखे भविष्य की शिक्षा के सूत्र

Sunday, Dec 07, 2025-06:45 PM (IST)

भोपाल: कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में शनिवार को ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: क्रियान्वयन, चुनौतियां एवं संभावनाएं’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई, जो राज्यपाल मंगुभाई पटेल के मुख्य आतिथ्य और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में राष्ट्रगान की धुन के साथ शुरू हुई। कार्यशाला में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह, तथा राज्यमंत्री कृष्णा गौर भी मौजूद रहीं।

राज्यपाल बोले – समग्र शिक्षा और ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोच की आवश्यकता
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 युवाओं के माध्यम से देश को बदलने का विश्वास जगाती है। यह केवल शिक्षा सुधार नहीं, बल्कि समग्र शिक्षा, समग्र विकास और राष्ट्र निर्माण की दिशा में दूरदर्शी योजना है। उन्होंने कहा कि एनईपी के प्रावधान, एकीकृत स्नातक कार्यक्रम, शैक्षणिक बैंक ऑफ क्रेडिट, बहु-प्रवेश-निर्गम व्यवस्था, और अनुसंधान आधारित शिक्षा, उच्च शिक्षा को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप बनाएंगे।

राज्यपाल ने मातृभाषा में शिक्षा, डिजिटल लर्निंग, एआई आधारित कौशल और ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोच पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि’नीति का सफल क्रियान्वयन केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि राष्ट्रीय जनभागीदारी है।’

मध्यप्रदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में देश में अग्रणी: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में एनईपी को केवल अकादमिक सुधार नहीं, बल्कि कौशल, नवाचार और सांस्कृतिक पुनर्जागरण से जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों को कुलगुरु संबोधन देकर प्राचीन गुरुकुल आदर्श को आधुनिक ढांचे से जोड़ा गया। प्रदेश में 370 सांदीपनि विद्यालय स्थापित किए गए हैं, जो गुरुकुल की भावना व डिजिटल शिक्षा को साथ लेकर चल रहे हैं। हर जिले में प्रधानमंत्री एक्सीलेंस कॉलेज शुरू किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने राम, कृष्ण, विक्रमादित्य और राजा भोज के उदाहरण देकर गुरु-शिष्य परंपरा और शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बोले— शिक्षा को जनांदोलन बनाना होगा
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय शिक्षा का आधार वैज्ञानिकता, दर्शन और अध्यात्म है। मैकाले की शिक्षा प्रणाली में भारतीयता को स्थापित करना ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य है। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों में छात्र कक्षा 12 तक निरंतर अध्ययनरत रहें। शोध को स्थानीय आवश्यकताओं से जोड़ा जाए। शैक्षणिक संस्थाओं का प्रबंधन समाज आधारित हो। स्वागत में महंगे गुलदस्तों की जगह फलों की टोकरी देने की परंपरा अपनाई जाए। उन्होंने कहा कि रोजगारपरक और नवाचार आधारित शिक्षा को जनांदोलन बनाना होगा।

स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग की प्रगति स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश दोहरी परीक्षा पद्धति लागू करने वाला देश का दूसरा राज्य है। पिछले 10 वर्षों में 10वीं-12वीं के परिणामों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने की दिशा में कार्य तेजी से जारी है। उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि प्रदेश में एनईपी का क्रियान्वयन भारतीय ज्ञान परंपरा के साथ किया जा रहा है। कृषि विरासत और जनजातीय ज्ञान पर विशेष अध्ययन की पहल जारी है। विश्वविद्यालयों की डिग्री और अंकसूची को Digitallocker में उपलब्ध कराया जा रहा है।

कार्यशाला में सांदीपनि विद्यालयों पर लघु फिल्म का प्रदर्शन
कार्यक्रम में सांदीपनि विद्यालयों पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। कार्यशाला में राज्य के अनेक कुलगुरु, प्राचार्य, शिक्षाविद, तथा विद्यार्थी मौजूद रहे


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Content Editor

Vikas Tiwari

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