मप्र शराब घोटाले में ED की एंट्री, आबकारी मंत्री की नाक के नीचे करोड़ों का घोटाला, क्या जगदीश देवड़ा दे रहे संरक्षण?

Friday, Jun 07, 2024-05:11 PM (IST)

भोपाल (विनीत पाठक): मप्र शराब घोटाले में पंजाब केसरी की खबर के बाद अब इस मामले में ED की एंट्री हो गई है। लेकिन अभी भी जांच एजेंसियां देश के सबसे बड़े शराब घोटाले से कोसों दूर हैं। मप्र में भ्रष्ट नेताओं, अफसरों और शराब ठेकेदारों ने मिलकर घोटाले को अंजाम दिया है। ये फ़र्ज़ी एफडीआर घोटाला भोपाल, जबलपुर संभाग के कटनी, इंदौर और रीवा संभाग के सीधी में सामने आ चुका है। अंदेशा है कि इन घोटालों के तार प्रदेश के सभी जिलों से जुड़े हो सकते हैं। क्योंकि पूरे प्रदेश में शराब का सिंडिकेट सोम डिस्टलरीज के संचालक जगदीश अरोरा और उनके साथी ही संचालित कर रहे हैं। जिसमें आबकारी विभाग के अधिकारी और प्रदेश सरकार के आबकारी मंत्री तक सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।

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पंजाब केसरी की इन्वेस्टिगेशन में हुए बड़े खुलासे, क्या आबकारी मंत्री ही चला रहे पूरा शराब सिंडिकेट...घोटालेबाज़ों पर आखिर क्यों नहीं होती कार्यवाई...?

पंजाब केसरी की इन्वेस्टिगेशन में कई चौकाने वाले खुलासे लगातार हो रहे हैं। इस मामले खंगालने पर ये तो पक्का हो गया कि मप्र में हुआ शराब घोटाला दिल्ली शराब घोटाले से कहीं बड़ा है। जिसमें पिछली सरकार के मुखिया, आबकारी विभाग के मंत्री, अधिकारी , कर्मचारी, शराब माफिया (सोम डिस्टलरीज) और शराब ठेकेदार सबकी मिलीभगत है। जबलपुर, भोपाल, इंदौर और रीवा में हुए फ़र्ज़ी एफडीआर के जरिये सरकार के राजस्व को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया। लेकिन दोषी अधिकारियों पर कोई कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की गई। यहां तक कि आज भी ऐसे अधिकारी आबकारी विभाग में मलाईदार पदों पर बैठे हुए हैं। इससे ये तो साफ है कि आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा का इन घोटालेबाज़ अधिकारियों और शराब माफिया सोम डिस्टलरीज को पूरा पूरा संरक्षण मिला हुआ है।

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फ़र्ज़ी एफडीआर मामले में दोषी अधिकारी को बचाने में पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस भी सन्देह के घेरे में, ED की जांच में होंगे बड़े खुलासे। तत्कालीन सरकार भी जांच के घेरे में...

मध्यप्रदेश में हुए शराब घोटाले के छोटे हिस्से फ़र्ज़ी एफडीआर घोटाले में दोषी अधिकारियों की बचाने के आरोप पिछली सरकार में मप्र के मुख्य सचिव रहे इकबाल सिंह बैस तक भी पहुंच चुके हैं। उस वक्त भी प्रदेश के आबकारी महकमें का जिम्मा वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के पास ही था, जिसके चलते अब वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। दरअसल अब तक प्रदेश के भोपाल, जबलपुर, इन्दौर और रीवा में फ़र्ज़ी एफडीआर घोटाले के मामले सामने आ चुके हैं। इंदौर में जो फ़र्ज़ी एफडीआर बना कर घोटाला किया गया उसमें शराब माफिया के साथ इंदौर आबकारी विभाग के डिप्टी कमिश्नर संजय तिवारी (जो कि तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस के बेहद करीबी माने जाते हैं) असिस्टेंट कमिश्नर राजनारायण सिंह और आबकारी कंट्रोलर मुदगल को भी दोषी पाया गया था। तीनों को सस्पेंड भी किया गया। लेकिन कुछ समय बाद ही तीनों अधिकारी बहाल तो हुए ही साथ ही मलाईदार पोस्ट भी मिली।

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आपको बता दें कि संजय तिवारी फिलहाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृहजिले उज्जैन में आबकारी विभाग के डिप्टी कमिश्नर के पद पर काम कर रहे हैं। इसी तरह जबलपुर में हुए फ़र्ज़ी एफडीआर घोटाले में आबकारी विभाग के दोषी अधिकारी डिप्टी कमिश्नर अजय शर्मा, असिस्टेंट कमिश्नर राकेश कुर्मी और आबकारी कंट्रोलर सजेंद्र मोदी भी कुछ समय सस्पेंड रहने के बाद मलाईदार पदों पर बहाल कर दिए गए। यही हाल रीवा में हुए फ़र्ज़ी एफडीआर मामले में दोषी आबकारी विभाग के डिप्टी कमिश्नर आलोक खरे का है, आलोक खरे भी बहाली के साथ रीवा में ही मलाई काट रहे हैं। आलोक खरे के बारे में बता दें कि आय से अधिक संपत्ति के कई मामले लोकायुक्त में दर्ज हैं। और तो और अब ED भी आलोक खरे पर अपना शिकंजा कस रही है। लेकिन मप्र सरकार के आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा की विशेष कृपा के चलते लगातार बचते आ रहे हैं।

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करोड़ों के फर्जीवाड़े में दोषी शराब ठेकेदार फरार, आबकारी विभाग के भी नही की रिकवरी, इसलिए मप्र की माली हालत हुई खस्ता...

पंजाब केसरी की इन्वेस्टीगेशन में एक और विशेष तथ्य निकल कर सामने आया और वह यह कि आबकारी विभाग में जितने बड़े घोटाले हुए हैं, अगर उनकी ही रिकवरी ठीक तरीके से कर ली जाए, तो मध्य प्रदेश सरकार का खजाना तो भरेगा ही, साथ ही सरकार के माथे से उधारी का कलंक भी मिट सकता है। लेकिन विडंबना यह है कि प्रदेश के खजाने का ज़िम्मा जिन वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के कंधों पर है, उन्हीं के आबकारी विभाग में करोड़ों के घोटाले लगातार जारी है। लेकिन ना तो आबकारी मंत्री इस और ध्यान दे रहे हैं और ना ही दोषियों पर कार्रवाई कर उनसे रिकवरी ही की जा रही है। उल्टे मंत्री जी के संरक्षण में दोषी अधिकारी और शराब माफिया (सोम डिस्टलरीज) मिलकर सरकार को लगातार चूना लगा रहे हैं। जिसके चलते आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा की भूमिका पर भी कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिसकी जांच मुख्यमंत्री और जांच एजेंसियों को जल्दी करना होगी।

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meena

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