women''s day special: 7 साल की छोटी उम्र में कथावाचक बनी, अब नेत्री बनकर लड़ रही किसान हितों की लड़ाई
Tuesday, Mar 08, 2022-07:23 PM (IST)

डबरा(भरत रावत): पूरी दुनिया में हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। अपने घर से लेकर देश की तरक्की में महिलाओं ने हर संभव अपना योगदान दिया है। साल के 365 दिन उनके त्याग और परिश्रम के लिए न्योछावर किये जाए तो भी कम है, लेकिन इस एक दिन समाज महिलाओं द्वारा की गई हर तपस्या का सम्मान करता है। तो आइए आज हम आपको मिलाते है छोटी सी उम्र में कथावाचक बनने वाली और अब किसान नेत्री बनी कृष्णा देवी रावत से जिन्होंने अपनी सूझ बूझ, साहस और अक्लमंदी से यह मुकाम हासिल किया।
तभी तो भारतीय संस्कृति में क्या खूब कहा गया है - यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता: अर्थात जहां नारी की पूजा की जाती है, उसका सम्मान किया जाता है। वहां देवताओं का वास होता है। आज महिला दिवस के अवसर पर हम आज आपको जिस नारी शक्ति का परिचय करवाने जा रहे है वह एक ग्रामीण किसान परिवार में जन्मी है, और आज अपने परिश्रम से अपने माता-पिता सहित अपने समाज का अपने गांव का नाम रोशन कर रही है।
मध्यप्रदेश जिला शिवपुरी के एक छोटे से गांव दिहाला में सन 1983 में लल्लू सिंह रावत माता जानकी रावत के घर जन्मी कृष्णा देवी रावत आज एक विख्यात कथा वाचक के साथ साथ भारतीय किसान यूनियन की मध्य प्रदेश प्रवक्ता भी है, जिन्होंने अभी हाल ही में हुए किसान आंदोलन में बतौर एक कथा वाचक किसानों की लड़ाई लड़ने की शुरुआत ग्वालियर जिले के डबरा में अपने दो चार साथियों के साथ की थी, उसके बाद कृष्णा के साथ डबरा ही नहीं बल्कि पूरे जिले के किसान किस तरह शामिल हो गए थे।
हम सभी ने बखूबी देखा था, जिसके चलते कृष्णा देवी पर चक्का जाम करने और रेल रोकने जैसे मुकदमे भी लगे है। कृष्णा देवी रावत के इसी संघर्ष को और किसानों के हितों के लिए लड़ने का जज्बा देखते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने मध्यप्रदेश में कृष्णा देवी को अपना प्रवक्ता बनाकर एक बड़ी जिम्मेदारी भी दे रखी है।
कृष्णा देवी ने बताई कथा वाचक से किसान नेत्री बनने की कहानी अपनी ही जुबानी
एक कथा वाचक से किसान नेत्री बनने की कहानी को बताते हुए कृष्णा ने बताया कि उनका किसान नेत्री या कोई भी राजनीतिक संगठन से जुड़ने का कोई विचार नहीं था लेकिन उनसे अन्याय देखा नहीं जाता है। डबरा मंडी में किसानों को कभी कच्ची अड़त कभी मलाद, फसल के उचित दाम ना मिलना जैसी परेशानियां व्याप्त थी, उन्होंने उनके लिए लड़ना शुरू किया उन्हीं दिनों देश में किसान आंदोलन छिड़ गया तब उन्होंने सभी साथियों को साथ लेकर किसान आंदोलन में अपनी भागीदारी निभाई और वह कथा वाचक कृष्णा देवी रावत से किसान नेत्री कृष्णा देवी रावत बन गई।