MP में जिला न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाकर 61 वर्ष करने में कोई अड़चन नहीं: सुप्रीम कोर्ट
Monday, May 26, 2025-08:24 PM (IST)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि मध्यप्रदेश में न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाकर 61 वर्ष करने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मध्यप्रदेश न्यायाधीश संघ की दलीलों पर गौर किया और उच्च न्यायालय से कहा कि वह अपने प्रशासनिक पक्ष के मुद्दे पर दो महीने के भीतर निर्णय लेने का प्रयास करे। न्यायाधीश संघ ने जिला न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु को मौजूदा 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने के लिए 2018 में शीर्ष अदालत का रुख किया था। बाद में, पीठ को सूचित किया गया कि वह अब अन्य राज्य के अनुरूप इसे बढ़ाकर 61 वर्ष करने का अनुरोध कर रहा है।
एसोसिएशन ने सबसे पहले, 2018 में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में एक अभ्यावेदन दिया था। हालांकि, उच्च न्यायालय ने अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ मामले में 2002 के शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए अनुरोध खारिज कर दिया, जिसकी व्याख्या सेवानिवृत्ति उम्र में इस तरह की वृद्धि को अस्वीकार करने के रूप में की गई थी।
हालांकि, सोमवार को प्रधान न्यायाधीश गवई ने अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ मामले में तेलंगाना सरकार द्वारा दायर अर्जी पर अपने हालिया आदेश का हवाला दिया। उस मामले में तेलंगाना उच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 61 वर्ष करने के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था। न्यायालय ने कोई कानूनी अड़चन न पाते हुए इसकी अनुमति दे दी थी।
इस दृष्टांत के आधार पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आदेश के मद्देनजर, हमें नहीं लगता कि मध्यप्रदेश सरकार को राज्य में कार्यरत न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 61 वर्ष तक बढ़ाने की अनुमति देने में कोई अड़चन होनी चाहिए।'' पीठ ने कहा कि सेवानिवृत्ति उम्र में ऐसी कोई भी वृद्धि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के प्रशासनिक पक्ष के निर्णय के अधीन होगी। इसमें कहा गया है, ‘‘यदि उच्च न्यायालय आयु सीमा बढ़ाकर 61 वर्ष करने का निर्णय लेता है तो इसकी अनुमति दे दी जाएगी।''