नेशनल न्यायिक डेटा ग्रिड 2019 की रिपोर्ट: MP की अदालतों में 18 लाख केस पेंडिंग

1/31/2020 6:31:24 PM

भोपाल: मध्य प्रदेश के साथ पूरे देश की अदालतों में लाखों केस पेंडिंग हैं। इस मामले में मध्य प्रदेश का नंबर 6वां है। यहां अदालतों में कुल 18 लाख केस हैं जिनका निपटारा होना बाकी है। मध्य प्रदेश में भी लोगों को इंसाफ के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ रहा है। नेशनल न्यायिक डेटा ग्रिड 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में करीब 18 लाख केस अदालतों में पेंडिंग हैं। इनमें हाईकोर्ट और जिला कोर्ट में दोनों में लंबित केस शामिल हैं।

पेंडिंग केस के मामले में मध्य प्रदेश का देशभर में 6वां स्थान है। मध्य प्रदेश से आगे उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और चेन्नई हैं। नेशनल न्यायिक डेटा ग्रिड 2019 की रिपोर्ट में ये सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में साढ़े तीन लाख से ज्यादा केस निपटारे का इंतजार कर रहे हैं। जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में करीब 14 लाख केस लंबित हैं। इस लिहाज से देखें तो कुल लंबित केसों की संख्या करीब 18 लाख के करीब पहुंचती है। इनमें से एक चौथाई मामले पांच साल से ज्यादा समय से पेंडिंग हैं।

सरकार का दावा है कि लंबित केसों की पेंडेंसी कम करने के लिए सरकार कदम उठा रही है। प्रदेश में 850 से ज्यादा नए न्यायालय भवन और जजों के 140 खाली पद भरने की प्रक्रिया चल रही है। सरकार जजों के लिए 985 नए मकान बनवा रही है।

अदालतों में पेंडिंग केस

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट - 3 लाख 56 हजार 968
जिला और अधीनस्थ न्यायालय - 14 लाख 28 हजार 784
राजस्थान हाईकोर्ट - 4.58 लाख केस जिला और अधीनस्थ न्यायालय - 16 लाख 67 हजार 743
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट - 67734 केस
जिला और अधीनस्थ न्यायालय -2 लाख 76 हजार 762

अदालतों में पेंडेंसी कम करने की कवायद
अदालतों में लंबित केसों की संख्या से इतना तो साफ है कि न्याय का इंतजार लंबा है। सरकार का दावा है कि अदालतों पर केसों के बोझ को कम करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। प्रदेश में 850 से ज्यादा नए न्यायालय भवन और जजों के 140 खाली पदों को भरने की प्रक्रिया चल रही है। सरकार जजों के लिए 985 नए आवास भी तैयार करवा रही है। इसके साथ ही हर साल लोक अदालतों के जरिए भी पेंडिंग केसों की संख्या कम करने का प्रयास किया जा रहा है।

 


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Edited By

Jagdev Singh

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