खत्म होने की कगार पर सतपुड़ा थर्मल पावर स्टेशन! बन सकता है MP का जीवनदाता, पंजाब केसरी exclusive

4/19/2021 1:35:23 PM

बैतूल(रामकिशोर पवार): सच्चाई अपने आप में कितनी शर्मसार कर देने वाली है कि जिस प्रदेश में आक्सीजन की कमी से लोग तड़प-तड़प कर मर रहे है। वही प्रदेश के एक दो नहीं बल्कि तीन थर्मल पावर स्टेशन से 24 घंटे में 10 टन ऑक्सीजन हवा में उड़ाई जा रही है। ताप बिजली घरों में बिजली पैदा करने के लिए बहुउपयोगी हाईड्रोजन गैस को बनाने वाले हाईड्रोजन प्लांट में हाईड्रोजन गैस बनाते समय हाईड्रोजन के साथ - साथ स्वत: ऑक्सीजन गैस भी बनती है जिसे अगर सहेज कर रखा जाए तो पूरे प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी और प्रदेश में ऑक्सीजन का एक ऐसा भंडार हो जाएगा कि मध्यप्रदेश ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा।

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मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में सतपुड़ा थर्मल पावर स्टेशन की स्थापित क्षमता 1330 मेगावाट थी। पहली इकाई अक्टूबर 1967 में स्थापित की गई थी। संयंत्र के लिए सतपुड़ा तवा जलाशय में संग्रहित पानी एवं पड़ोसी पाथाखेड़ा से कोयला के संग ताप बिजली पैदा की गई। कोयला के जलने और पानी के छिड़काव की प्रक्रिया के दौर में हाईड्रोलन गैस के संग बनने वाली ऑक्सीजन लोगों की जीवन दायनी बन सकती थी लेकिन बीते लगभग 35 सालों से किसी ने इस बारे में सोचा भी नहीं होगा।

मध्यप्रदेश के खण्डवा में जब एक इंजीनियर ने ऑक्सीजन की कमी का हल निकाला तो पूरा प्रदेश झठ उठा लेकिन ऐसा पहले क्यों नहीं किया इस डर के मारे इंजीनियर साहब ने किसी को कुछ नहीं बताया और अपनी सामान्य प्रक्रिया में खण्डवा के सिंगा जी प्लांट में ऑक्सीजन को सहेजने की तैयारी पूरी कर ली और संभव है कि अगले सप्ताह से खण्डवा पूरे प्रदेश में अपने यहां अनुउपयोगी ऑक्सीजन को सहेज कर प्रतिदिन 24 घंटे में 10 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति कर सकेगा।

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बैतूल जिले में स्थित सतपुड़ा ताप बिजली घर से भी 24 घंटे में 10 टन ऑक्सीजन को सहेजने की बात जब जिला कलेक्टर तक पहुंची तो उनकी आंखे चकाचौंध हो गई और वे ऑक्सीजन को सहेजने की प्रक्रिया में जूट गए। जिला कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस ने अपर कलेक्टर जेपी सचान को कंपनी प्रबंधन से चर्चा करने का सुझाव दिया था। लेकिन सतपुड़ा ताप बिजली घर प्रबंधन ने बहाने बाजी बनाकर गुमराह करने का काम किया है। कोरोना महामारी के संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार के लिए मप्र के तीन बड़े बिजली घर वरदान साबित होने के साथ ही ऑक्सीजन से लाखों मरीजों की जान बचाई जा सकती है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सिंगाजी पावर प्लांट के कंपनी प्रबंधन ने हवा में उडऩे वाली ऑक्सीजन गैस का उपयोग करने की योजना तैयार कर ली है। सब कुछ ठीक रहा तो एक पखवाड़े में उक्त योजना पर अमल होना शुरु होने की उम्मीद है।

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जीवनदाता बन सकते है सतपुड़ा, सिंगाजी, संजय गांधी
बता दें सतपुड़ा, सिंगाजी, संजय गांधी थर्मल पावर प्लांटों में हाइड्रोजन गैस तैयार होने के साथ ही इतनी ही मात्रा में ऑक्सीजन भी तैयार होती है जिसे कंपनी प्रबंधन हवा में उड़ा देते हैं। जानकारी अनुसार 250 - 250 मेगावाट क्षमता वाले सतपुड़ा पावर से करीबन 250 सिलेंडर हाइड्रोजन गैस बनाई जाती है। हाइड्रोजन गैस के साथ इतनी ही मात्रा में ऑक्सीजन भी तैयार होती है जिसे खुली हवा में सालों से उड़ाए जाने का सिलसिला जारी है। बताया जाता है कि ऑक्सीजन सिलेंडर में 14 केजी गैस भरी होती है। सतपुड़ा पावर प्लांट एसिंगाजी पावर प्लांट और संजय गांधी पावर प्लांट से करीबन 30 टन ऑक्सीन गैस तैयार हो रही है जिसका आज तक कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। तीनों कंपनी प्रबंधन ऑक्सीजन गैस सिलेंडरों में भरने की प्रक्रिया पर काम करते हैं तो आमदानी के साथ कोरोना संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार को भी राहत पहुंचा सकती है।

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खास बात यह है कि इन तीनों बिजली घरों में हाइड्रोजन बनाने के साथ ऑक्सीजन गैस भी बन रही है जिसका उपयोग करने में कंपनी प्रबंधनों को पसीना छूट रहा है। बताया जाता है कि ऑक्सीजन तैयार करने के लिए एयरवाल कंपनी की मदद से यह प्रक्रिया धरातल में उतर सकती है। प्रदेश में ऑक्सीजन हवा में उड़ाए जाने की जानकारी प्रमुख सचिव उर्जा संजय दुबे के साथ जनरेटिंग कंपनी के एमडी मंजीत सिंह को होने के बाद भी प्रक्रिया पर आज तक अमल नहीं हो पाया है।

इनका कहना है
सरज चौहान सीई सतपुड़ा बिजली घर सारनी ने बताया कि पानी के साथ हाईड्रोजन गैस भी बनती है। बैतूल जिला कलेक्टर के आदेश के बाद कंप्रेशर लगाने वाली कंपनी से संवाद जारी है लेकिन कब तक कार्य पूरा होगा कहा नहीं जा सकता।


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Content Writer

meena

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