हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिये बनाई है ‘‘14 सितम्बर’’ : फिल्म निर्माता
Friday, Jul 17, 2020-08:07 PM (IST)
भोपाल, 17 जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश की बोर्ड परीक्षाओं में हिंदी विषय में बड़ी संख्या में बच्चों के असफल होने पर जारी चर्चा के बीच लघु टेली फिल्म ‘‘14 सितम्बर’’ के निर्माता केशव राय ने कहा है कि हिंदी के प्रति लोगों, खास कर शिक्षकों एवं बच्चों के बीच जागरूकता फैलाने के लिये उन्होंने यह फिल्म बनायी है ।
राय ने शुक्रवार को पीटीआई-भाषा से कहा कि लोगों, खास कर बच्चों और शिक्षकों के बीच हिन्दी भाषा को लेकर जागरुकता बढ़ाने के लिये हमने ''14 सितम्बर'' फिल्म बनाई है।
राय ने कहा कि हमने इस फिल्म को 14 सितम्बर को ही प्रस्तुत करने की योजना बनाई है लेकिन केन्द्र और प्रदेश सरकार चाहे तो इसे पहले भी पेश किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि देश में हर साल 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
उन्होंने बताया, ‘‘इस फिल्म के कथानक में हिन्दी- जो फिल्म की मुख्य पात्र है। आज की परिस्थितियों से तंग आकर आत्महत्या करने का फैसला कर लेती है लेकिन वह इस उम्मीद के साथ बच गई कि हालात सुधर जायेगें।’’ राय ने कहा कि अखबारों में पढ़ा कि उत्तर प्रदेश जैसे हिन्दी भाषी राज्य की बोर्ड की परीक्षाओं में इस साल बच्चे हिन्दी में असफल हो गये हैं, यह एक दुखद, चिंतनीय और भयावह समाचार है।
उन्होंने कहा कि हिन्दी सिर्फ एक भाषा ही नहीं है, यह हमारी संस्कृति की संवाहक भी है । आजादी के 73 वर्षो के बाद भी अगर हम अब भी नहीं चेते, तो देखते ही देखते हमारी भाषा और संस्कृति विलुप्त हो जाएगी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
राय ने शुक्रवार को पीटीआई-भाषा से कहा कि लोगों, खास कर बच्चों और शिक्षकों के बीच हिन्दी भाषा को लेकर जागरुकता बढ़ाने के लिये हमने ''14 सितम्बर'' फिल्म बनाई है।
राय ने कहा कि हमने इस फिल्म को 14 सितम्बर को ही प्रस्तुत करने की योजना बनाई है लेकिन केन्द्र और प्रदेश सरकार चाहे तो इसे पहले भी पेश किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि देश में हर साल 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
उन्होंने बताया, ‘‘इस फिल्म के कथानक में हिन्दी- जो फिल्म की मुख्य पात्र है। आज की परिस्थितियों से तंग आकर आत्महत्या करने का फैसला कर लेती है लेकिन वह इस उम्मीद के साथ बच गई कि हालात सुधर जायेगें।’’ राय ने कहा कि अखबारों में पढ़ा कि उत्तर प्रदेश जैसे हिन्दी भाषी राज्य की बोर्ड की परीक्षाओं में इस साल बच्चे हिन्दी में असफल हो गये हैं, यह एक दुखद, चिंतनीय और भयावह समाचार है।
उन्होंने कहा कि हिन्दी सिर्फ एक भाषा ही नहीं है, यह हमारी संस्कृति की संवाहक भी है । आजादी के 73 वर्षो के बाद भी अगर हम अब भी नहीं चेते, तो देखते ही देखते हमारी भाषा और संस्कृति विलुप्त हो जाएगी।
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